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बड़े आर्थिक पैकेज के ऐलान के बाद भी जनता को तत्काल राहत का रहेगा इंतजारः प्रो. जेपी यादव - Finance Minister Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को 20 लाख करोड़ के पैकेज की आखिरी किस्त का ऐलान किया. वित्त मंत्री के ऐलान के बाद अर्थशास्त्री प्रो. जेपी यादव ने इस पैकेज का विश्लेषण करते हुए कहा कि इतने बड़े आर्थिक पैकेज के ऐलान के बाद भी जनता को तत्काल राहत का इंतजार रहेगा.

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अर्थशास्त्री प्रो. जेपी यादव
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Published : May 17, 2020, 8:11 PM IST

जयपुर. कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की आखिरी किस्त का ऐलान रविवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया. उन्होंने मनरेगा, एजुकेशन, हेल्थ और कंपनी एक्ट पर विशेष फोकस करते हुए राहत पैकेज की घोषणा की. हालांकि अर्थशास्त्री प्रो. जेपी यादव ने इस पैकेज का विश्लेषण करते हुए कहा कि इतने बड़े आर्थिक पैकेज के ऐलान के बाद भी जनता को तत्काल राहत का इंतजार रहेगा.

अर्थशास्त्री प्रो. जेपी यादव से ईटीवी भारत की खास बातचीत

अमेरिका, जर्मनी और बाकी देशों में राहत पैकेज के ऐलान होने के बाद देशवासियों को भी मोदी सरकार से राहत पैकेज के ऐलान की उम्मीद थी. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया, तो गांव और शहर में रहने वाले हर एक व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक उठी. सभी को लग रहा था कि इस बार मोदी सरकार दूसरे देशों की तरह उनको तत्काल राहत देगी. लेकिन वित्त मंत्री के द्वारा राहत पैकेज खत्म होने के बाद आम आदमी को ये राहत दूर के ढोल लग रहे हैं.

पढ़ें- सभी क्षेत्रों में होगा निजी कंपनियों का निवेश, कानून में बदलाव : वित्त मंत्री सीतारमण

बता दें कि रविवार को हुए राहत पैकेज की घोषणाओं में प्रमुख रूप से मनरेगा, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, कंपनी एक्ट पर फोकस किया गया. इसे लेकर अर्थशास्त्री प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि चूंकि कोरोना का इंपैक्ट अभी ज्यादा है, ऐसे में ये जो पैकेज की घोषणा की गई है उन्हें तुरंत लागू कर जरूरतमंद तक मदद पहुंचे. सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दरकार है.

हेल्थ सेक्टर में बढ़ाया गया निवेश सराहनीय

यादव ने कहा कि मनरेगा मजदूरों के लिए बजट बढ़ाया जरूर गया है, लेकिन जो अनुमान लगाया गया था उसमें कमी रही है. वहीं कोरोना संकट को देखते हुए हेल्थ सेक्टर में बढ़ाया गया निवेश सराहनीय है. उन्होंने ये भी साफ किया कि दूसरे देशों की तुलना में देश में पहले ही हेल्थ सेक्टर में निवेश कम किया गया है. लेकिन अब आपात स्थिति से लड़ने के लिए इसे बढ़ाए जाने की जरूरत थी.

जेपी यादव ने किया सवाल खड़ा

वहीं, जेपी यादव ने एजुकेशन सेक्टर में ऑनलाइन और e-content मुहैया कराने को अच्छी पहल बताते हुए सवाल भी खड़ा किया, कि जिन छात्रों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, उन तक शिक्षा कैसे पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि कंपनी एक्ट के प्रावधानों में बदलाव से राहत मिलेगी तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग को भी सरकार ने राहत देने की कोशिश की है. हालांकि कोशिश ये रहनी चाहिए कि पब्लिक सेक्टर कंपनी का पूरी तरह विलय ना हो.

नहीं मिलेगी इंस्टेंट राहत

प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि इस राहत पैकेज से आम जनता को इंसटेंट राहत तो नहीं मिलेगी, लेकिन यदि सरकार समय से इन योजनाओं को धरातल पर उतारती है तो मजदूर और मध्यम वर्ग को साथ लेकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर जरूर लाया जा सकेगा.

जयपुर. कोरोना संकटकाल में केंद्र सरकार की ओर से 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज की आखिरी किस्त का ऐलान रविवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया. उन्होंने मनरेगा, एजुकेशन, हेल्थ और कंपनी एक्ट पर विशेष फोकस करते हुए राहत पैकेज की घोषणा की. हालांकि अर्थशास्त्री प्रो. जेपी यादव ने इस पैकेज का विश्लेषण करते हुए कहा कि इतने बड़े आर्थिक पैकेज के ऐलान के बाद भी जनता को तत्काल राहत का इंतजार रहेगा.

अर्थशास्त्री प्रो. जेपी यादव से ईटीवी भारत की खास बातचीत

अमेरिका, जर्मनी और बाकी देशों में राहत पैकेज के ऐलान होने के बाद देशवासियों को भी मोदी सरकार से राहत पैकेज के ऐलान की उम्मीद थी. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया, तो गांव और शहर में रहने वाले हर एक व्यक्ति के चेहरे पर खुशी झलक उठी. सभी को लग रहा था कि इस बार मोदी सरकार दूसरे देशों की तरह उनको तत्काल राहत देगी. लेकिन वित्त मंत्री के द्वारा राहत पैकेज खत्म होने के बाद आम आदमी को ये राहत दूर के ढोल लग रहे हैं.

पढ़ें- सभी क्षेत्रों में होगा निजी कंपनियों का निवेश, कानून में बदलाव : वित्त मंत्री सीतारमण

बता दें कि रविवार को हुए राहत पैकेज की घोषणाओं में प्रमुख रूप से मनरेगा, स्वास्थ्य, शिक्षा, उद्योग, कंपनी एक्ट पर फोकस किया गया. इसे लेकर अर्थशास्त्री प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि चूंकि कोरोना का इंपैक्ट अभी ज्यादा है, ऐसे में ये जो पैकेज की घोषणा की गई है उन्हें तुरंत लागू कर जरूरतमंद तक मदद पहुंचे. सरकार को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की दरकार है.

हेल्थ सेक्टर में बढ़ाया गया निवेश सराहनीय

यादव ने कहा कि मनरेगा मजदूरों के लिए बजट बढ़ाया जरूर गया है, लेकिन जो अनुमान लगाया गया था उसमें कमी रही है. वहीं कोरोना संकट को देखते हुए हेल्थ सेक्टर में बढ़ाया गया निवेश सराहनीय है. उन्होंने ये भी साफ किया कि दूसरे देशों की तुलना में देश में पहले ही हेल्थ सेक्टर में निवेश कम किया गया है. लेकिन अब आपात स्थिति से लड़ने के लिए इसे बढ़ाए जाने की जरूरत थी.

जेपी यादव ने किया सवाल खड़ा

वहीं, जेपी यादव ने एजुकेशन सेक्टर में ऑनलाइन और e-content मुहैया कराने को अच्छी पहल बताते हुए सवाल भी खड़ा किया, कि जिन छात्रों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं है, उन तक शिक्षा कैसे पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि कंपनी एक्ट के प्रावधानों में बदलाव से राहत मिलेगी तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग को भी सरकार ने राहत देने की कोशिश की है. हालांकि कोशिश ये रहनी चाहिए कि पब्लिक सेक्टर कंपनी का पूरी तरह विलय ना हो.

नहीं मिलेगी इंस्टेंट राहत

प्रोफेसर जेपी यादव ने कहा कि इस राहत पैकेज से आम जनता को इंसटेंट राहत तो नहीं मिलेगी, लेकिन यदि सरकार समय से इन योजनाओं को धरातल पर उतारती है तो मजदूर और मध्यम वर्ग को साथ लेकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर जरूर लाया जा सकेगा.

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