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लुप्त होती वंशावली लेखन विधा को फिर से जीवित करने की जरूरत -राम सिंह राव - Rajasthan hindi news

सदियों तक वंश के इतिहास को संजोए रखने वाली वंशावली लेखन विधा (genealogy writing Skill) आधुनिक दौर में लुप्त होती जा रही है. ऐसे में वंशावली और वंशावली लेखन विधा के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता बढ़ गई है. इस विधा को बचाए रखने के लिए क्या कवायद की जा रही है इसे लेकर वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. पढ़ें पूरी खबर...

Academy of Genealogy Protection and Promotion
वंशावली लेखन विधा
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Published : Jul 29, 2022, 7:53 PM IST

Updated : Jul 29, 2022, 10:37 PM IST

जयपुर. आधुनिकता और ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में हम अपनी परम्परा और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. एकल परिवार प्रथा के संवर्धन और करियर के चलते घर-परिवार से दूर रहने के कारण हम अपने वंश के इतिहास से भी दूर होते जा रहे हैं. हालात ये हैं कि दो-तीन पीढ़ी तक छोड़ दें तो आज ज्यादातर लोगों को उससे पहले के पूर्वजों के नाम तक ठीक से याद नहीं होंगे. ऐसे में वंशावली लेखक हमारे वंश के इतिहास को संभाल कर रखते हैं, लेकिन गंभीर बात ये है कि आधुनिक युग का असर वंशावली लेखन विधा (genealogy writing Skill) पर भी दिखने लगा है.

लुप्त होती इस वंशावली लेखन विधा के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता प्रतीत हो रही है. इस संबंध में वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष राम सिंह राव ने बताया कि लुप्त होती इस विधा को बचाने के लिए युवाओं को जागरूक करने के साथ ही प्रदेश के संभाग स्तर पर अकादमी और संग्रहालय खोले जाएंगे.

वंशावली लेखन विधा

क्या है वंशावली लेखन -
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपके पूर्वज कौन थे, आप किस कुल से हैं या मूलतः किस धर्म से हैं तो इसका जवाब गूगल या इतिहास की किसी किताब में नहीं मिलेगा. यह जानकारी आपको सिर्फ वंशावली में ही मिल सकेगी. वंशावली के जरिए आप पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वजों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं. वंशावली एक प्रकार की खाता बही होती है जिसमें हर परिवार के पूर्वजों की जानकारी दर्ज रहती है. यहां आपका और पूर्वजों का इतिहास दर्ज रहता है. सालों साल से वंशावली लेखक हमारे पूर्वजों के इतिहास का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं. उनके पास सैकड़ों साल पुराने वे लेख मौजूद हैं जो किसी के पास नहीं हैं. उनके पास ये वंशावली धरोहर के रूप में आज भी रखी हैं. राजस्थान में वंशावली लेखकों की संख्या 50 हजार के करीब है जो पहले की तुलना में कम होती जा रही है.

पढ़ें.Rajasthani Traditional Arts : महज रुचि का विषय बन कर रह गया जयपुर चित्रकारी, चित्रकार रिक्शा चलाने और चौकीदारी करने को मजबूर

वंशावली विधि को बचाने की जरूरत
राजस्थान वंशावली संरक्षण संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष राम सिंह राव ने कहा है कि वंशावली विधि के संरक्षण के लिए युवाओं को इससे जोड़ने की जरुरत है. आधुनिक शिक्षा पद्धति के कारण लोग इस विधि से दूर होते जा रहे हैं. इसे बचाने के लिए इसका संरक्षण और युवाओं को इससे जोड़ने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अब तक उपेक्षित और आधुनिकता के कारण लुप्त हो रही वंशावली परंपरा के संरक्षण के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वंशावली विधि को बचाने के लिए अकादमी का गठन किया हुआ है. राजस्थान की इस अनूठी परंपरा को जीवित रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सभी संगठनों को एकजुट कर मंच उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि वंशावली इतिहास का खजाना और संस्कृति का समागम है . लुप्त हो रही वंशावली संरक्षण के प्रयास जरूरी है. आधुनिकता में दूर हो रहे युवाओं को इससे जोड़ने के लिए संभाग स्तर पर अकादमी और संग्रहालय खोले जाएंगे.

पढ़ें SPECIAL : लोक कलाओं का फीका पड़ता रंग, चंग की थाप होती गुम

वंशावली बहियों में मौजूद पुरखों का इतिहास
इतिहास के खेवनहार प्रदेश के सभी जिलों में काम ज्यादा संख्या में मौजूद हैं. उन्हें अलग-अलग नाम से जाना और पहचाना जाता है. राम सिंह राव ने कहा कि वंशावली लेखक आदिकाल से चले आ रहे हैं. आपके दादा-परदादा कौन थे, आठ पीढ़ियों में कौन-कौन हुए... ये बताना हमारे और आपके लिए कठिन हो सकता है लेकिन सैकड़ों साल पहले की वंशज की जानकारी वंशावली में मिल जाएगी. उनके पास वे धरोहर के रूप में आज भी मौजूद हैं. राम सिंह कहते हैं कि वंशावली लेखन की विधा भी सामान्य नहीं है. वंशावली लेखन अलग तरह की भाषा में किया जाता है. आदिकाल से ही कलम और स्याही से मोड़िया लिपि में वंशावली लिखी जाती है. इस लिपि और विधा की ख़ास बात ये है कि इसमें मात्राएं न के बराबर प्रयोग होती हैं. इसे वंशावली लेखकों के अलावा दूसरा कोई न पढ़ सकता है और न लिख सकता है. राम सिंह बताते हैं कि यह वंशावली लेखन की कला पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.

पढ़ें SPECIAL : सदियों पुरानी लोक कला को चाहिए 'संजीवनी'...क्योंकि कठपुतली अभी जिंदा है

कानून ने भी साक्ष्य के रूप में माना
राम सिंह कहते हैं कि वंशावली लेखक इस काम को ईश्वरीय वरदान मानकर करते आ रहे हैं. ये अलग बात है कि बिरुदावली लिखने वालों ने हमेशा राजा के मान-सम्मान और उनकी प्रशंसा में ही लिखा है, लेकिन वंशावली लेखकों के साथ ऐसा नहीं है. वे सार्वजनिक रूप से लेखन और वाचन करते हैं और वंशावली में वही लिखते हैं जिनकी गवाही पूरा गांव देता है. वंशावली लेखन की विश्वसनीयता कानून में भी मानी गई है. देश में ऐसे कई मामले हुए हैं जहां वंशावली लेखकों न्यायालय ने अंतिम साक्ष्य के रूप में माना है.

राम सिंह बताते हैं कि वंश का ज्ञान नहीं होने के कारण समाज में संस्कृति, परम्पराएं और मान्यताओं का ह्वास होता जा रहा है, जिसे बचाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने वंश के बारे में जानेगा तो उसे सच्चा इतिहास पता लगेगा और गौरवशाली पुरखों का भी ज्ञान होगा. घर-घर जाकर वंश लेखन का काम करने वाले ये लोग न सिर्फ राजा-महाराजा की वंशवली लिखते हैं, बल्कि हर जाति, हर वर्ग की वंशावली बनाते हैं. ये वंशावली में वंशजों के भोजन, आवास, कुल, नवजन्म, जमीन जायदाद, तत्कालीन समय, तारीख, गवाह, खानपान, मुद्रा, राज एवं अन्य तमाम बातों का उल्लेख करते हैं.

जयपुर में होगा वंशावली सम्मेलन
वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी के तत्वावधान में 31 जुलाई को हरीश चंद्र माथुर प्रशिक्षण संस्थान में सम्मेलन आयोजित होगा. राम सिंह राव ने कहा कि सम्मेलन में शामिल होने के लिए 25 जुलाई तक पंजीयन कराया गया था. सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्य अतिथि होंगे जिसमे वंशावली से जुड़े युवा लेखकों और कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा.

जयपुर. आधुनिकता और ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में हम अपनी परम्परा और संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. एकल परिवार प्रथा के संवर्धन और करियर के चलते घर-परिवार से दूर रहने के कारण हम अपने वंश के इतिहास से भी दूर होते जा रहे हैं. हालात ये हैं कि दो-तीन पीढ़ी तक छोड़ दें तो आज ज्यादातर लोगों को उससे पहले के पूर्वजों के नाम तक ठीक से याद नहीं होंगे. ऐसे में वंशावली लेखक हमारे वंश के इतिहास को संभाल कर रखते हैं, लेकिन गंभीर बात ये है कि आधुनिक युग का असर वंशावली लेखन विधा (genealogy writing Skill) पर भी दिखने लगा है.

लुप्त होती इस वंशावली लेखन विधा के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता प्रतीत हो रही है. इस संबंध में वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष राम सिंह राव ने बताया कि लुप्त होती इस विधा को बचाने के लिए युवाओं को जागरूक करने के साथ ही प्रदेश के संभाग स्तर पर अकादमी और संग्रहालय खोले जाएंगे.

वंशावली लेखन विधा

क्या है वंशावली लेखन -
यदि आप यह जानना चाहते हैं कि आपके पूर्वज कौन थे, आप किस कुल से हैं या मूलतः किस धर्म से हैं तो इसका जवाब गूगल या इतिहास की किसी किताब में नहीं मिलेगा. यह जानकारी आपको सिर्फ वंशावली में ही मिल सकेगी. वंशावली के जरिए आप पीढ़ी दर पीढ़ी अपने पूर्वजों की जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं. वंशावली एक प्रकार की खाता बही होती है जिसमें हर परिवार के पूर्वजों की जानकारी दर्ज रहती है. यहां आपका और पूर्वजों का इतिहास दर्ज रहता है. सालों साल से वंशावली लेखक हमारे पूर्वजों के इतिहास का संरक्षण और संवर्धन कर रहे हैं. उनके पास सैकड़ों साल पुराने वे लेख मौजूद हैं जो किसी के पास नहीं हैं. उनके पास ये वंशावली धरोहर के रूप में आज भी रखी हैं. राजस्थान में वंशावली लेखकों की संख्या 50 हजार के करीब है जो पहले की तुलना में कम होती जा रही है.

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वंशावली विधि को बचाने की जरूरत
राजस्थान वंशावली संरक्षण संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष राम सिंह राव ने कहा है कि वंशावली विधि के संरक्षण के लिए युवाओं को इससे जोड़ने की जरुरत है. आधुनिक शिक्षा पद्धति के कारण लोग इस विधि से दूर होते जा रहे हैं. इसे बचाने के लिए इसका संरक्षण और युवाओं को इससे जोड़ने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि अब तक उपेक्षित और आधुनिकता के कारण लुप्त हो रही वंशावली परंपरा के संरक्षण के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देकर जागरूक किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वंशावली विधि को बचाने के लिए अकादमी का गठन किया हुआ है. राजस्थान की इस अनूठी परंपरा को जीवित रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सभी संगठनों को एकजुट कर मंच उपलब्ध कराने के प्रयास किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि वंशावली इतिहास का खजाना और संस्कृति का समागम है . लुप्त हो रही वंशावली संरक्षण के प्रयास जरूरी है. आधुनिकता में दूर हो रहे युवाओं को इससे जोड़ने के लिए संभाग स्तर पर अकादमी और संग्रहालय खोले जाएंगे.

पढ़ें SPECIAL : लोक कलाओं का फीका पड़ता रंग, चंग की थाप होती गुम

वंशावली बहियों में मौजूद पुरखों का इतिहास
इतिहास के खेवनहार प्रदेश के सभी जिलों में काम ज्यादा संख्या में मौजूद हैं. उन्हें अलग-अलग नाम से जाना और पहचाना जाता है. राम सिंह राव ने कहा कि वंशावली लेखक आदिकाल से चले आ रहे हैं. आपके दादा-परदादा कौन थे, आठ पीढ़ियों में कौन-कौन हुए... ये बताना हमारे और आपके लिए कठिन हो सकता है लेकिन सैकड़ों साल पहले की वंशज की जानकारी वंशावली में मिल जाएगी. उनके पास वे धरोहर के रूप में आज भी मौजूद हैं. राम सिंह कहते हैं कि वंशावली लेखन की विधा भी सामान्य नहीं है. वंशावली लेखन अलग तरह की भाषा में किया जाता है. आदिकाल से ही कलम और स्याही से मोड़िया लिपि में वंशावली लिखी जाती है. इस लिपि और विधा की ख़ास बात ये है कि इसमें मात्राएं न के बराबर प्रयोग होती हैं. इसे वंशावली लेखकों के अलावा दूसरा कोई न पढ़ सकता है और न लिख सकता है. राम सिंह बताते हैं कि यह वंशावली लेखन की कला पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है.

पढ़ें SPECIAL : सदियों पुरानी लोक कला को चाहिए 'संजीवनी'...क्योंकि कठपुतली अभी जिंदा है

कानून ने भी साक्ष्य के रूप में माना
राम सिंह कहते हैं कि वंशावली लेखक इस काम को ईश्वरीय वरदान मानकर करते आ रहे हैं. ये अलग बात है कि बिरुदावली लिखने वालों ने हमेशा राजा के मान-सम्मान और उनकी प्रशंसा में ही लिखा है, लेकिन वंशावली लेखकों के साथ ऐसा नहीं है. वे सार्वजनिक रूप से लेखन और वाचन करते हैं और वंशावली में वही लिखते हैं जिनकी गवाही पूरा गांव देता है. वंशावली लेखन की विश्वसनीयता कानून में भी मानी गई है. देश में ऐसे कई मामले हुए हैं जहां वंशावली लेखकों न्यायालय ने अंतिम साक्ष्य के रूप में माना है.

राम सिंह बताते हैं कि वंश का ज्ञान नहीं होने के कारण समाज में संस्कृति, परम्पराएं और मान्यताओं का ह्वास होता जा रहा है, जिसे बचाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने वंश के बारे में जानेगा तो उसे सच्चा इतिहास पता लगेगा और गौरवशाली पुरखों का भी ज्ञान होगा. घर-घर जाकर वंश लेखन का काम करने वाले ये लोग न सिर्फ राजा-महाराजा की वंशवली लिखते हैं, बल्कि हर जाति, हर वर्ग की वंशावली बनाते हैं. ये वंशावली में वंशजों के भोजन, आवास, कुल, नवजन्म, जमीन जायदाद, तत्कालीन समय, तारीख, गवाह, खानपान, मुद्रा, राज एवं अन्य तमाम बातों का उल्लेख करते हैं.

जयपुर में होगा वंशावली सम्मेलन
वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी के तत्वावधान में 31 जुलाई को हरीश चंद्र माथुर प्रशिक्षण संस्थान में सम्मेलन आयोजित होगा. राम सिंह राव ने कहा कि सम्मेलन में शामिल होने के लिए 25 जुलाई तक पंजीयन कराया गया था. सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मुख्य अतिथि होंगे जिसमे वंशावली से जुड़े युवा लेखकों और कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा.

Last Updated : Jul 29, 2022, 10:37 PM IST
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