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हमारी विरासत को बचाने के लिए यूनेस्को की गाइडलाइन और हेरिटेज बाइलॉज की पालना जरूरी... - Guideline for conservation of heritage buildings

यूनेस्को की विश्व विरासत जयपुर के परकोटे में अतिक्रण हटाने और हेरिटेज इमारतों का संरक्षण करने संबंधी गाइडलाइन की पालना नहीं हो पा रही है. यूनेस्को टीम के दौरे में ऐसी कई अनियमितताएं और अवैध निर्माण सामने (encroachment and illegal construction in walled city) आए ,जिस पर आपत्ति भी जताई गई. 6.5 किलोमीटर परिधि क्षेत्र की परकोटे की दीवार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए डीपीआर तो तैयार कर दी गई, लेकिन इस पर काम शुरू नहीं हुआ है.

encroachment and illegal construction in walled city
हेरिटेज बाइलॉज की पालना जरूरी
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Published : Apr 20, 2022, 10:42 PM IST

Updated : Apr 20, 2022, 11:10 PM IST

जयपुर. 6 जुलाई, 2019 को जयपुर के परकोटे को यूनेस्को की विश्व विरासत का तमगा मिला था. तब यूनेस्को ने परकोटे में हो रहे अतिक्रमण को हटाने और हेरिटेज इमारतों का संरक्षण करने की गाइडलाइन दी (Guideline for conservation of heritage buildings) थी. लेकिन हाल ही में हुए यूनेस्को टीम के दौरे में ऐसी कई अनियमितताएं और अवैध निर्माण सामने आए जिस पर आपत्ति भी जताई गई और इन्हें जल्द दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए. साथ ही परकोटे की दीवार को संजोने और उन हवेलियों को भी संरक्षित करने के निर्देश दिए गए जो वास्तुकला और नियोजन से परिपूर्ण हैं.

1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने परकोटे वाले नगर जयपुर की नींव रखी थी. खास बात ये थी कि परकोटे की दीवार प्रतिरक्षा की बजाय नगर सीमा को तय करने और एक व्यवस्था को बनाने के लिए की गई थी. यहां बने बुर्जनुमा दरवाजे आज भी यहां की विरासत की कहानी कहते हैं. नौ चौकड़ी, तीन चौपड़, मुख्य बाजारों के बरामदे और यहां एकरूपता का परिचय देता हुआ गुलाबी रंग यूनेस्को को भी रास आया और यूनेस्को ने इस परकोटे को विश्व विरासत का तमगा थमाया. लेकिन यूनेस्को ने अपनी गाइडलाइन में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि यहां परकोटे की दीवार का संरक्षण हो. अतिक्रमण को हटाया जाए और नए निर्माण में हेरिटेज बायलॉज का ध्यान रखा जाए.

हमारी विरासत को बचाने के लिए यूनेस्को की गाइडलाइन और हेरिटेज बाइलॉज की पालना जरूरी...

पढ़ें : यूनेस्को टीम को नहीं रास आया स्मार्ट सिटी का काम, दरबार स्कूल के काम के साथ-साथ नाना जी की हवेली पर जताई आपत्ति

हालांकि, खिताब मिलने से लेकर अब तक यहां सिर्फ ड्रोन सर्वे कर औपचारिकता निभाई गई है. 6.5 किलोमीटर परिधि क्षेत्र की परकोटे की दीवार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए डीपीआर तो तैयार कर दी गई, लेकिन इस पर काम शुरू नहीं हुआ है. यही नहीं परकोटा इलाके में नया निर्माण करने के लिए बायलॉज भी बना दिए गए हैं, लेकिन उनकी भी पालना नहीं हो रही. नतीजन ये विरासत जरूरतों की इमारतों के बोझ के तले दबकर रह गई हैं. अतिक्रमण धरोहरों पर चढ़ बैठा है. जिन दीवारों के कारण दुनिया इसे विश्व धरोहर के रूप में देख रही है. वहीं, दीवारें इमारतों की खिचपिच के बीच दम तोड़ रही हैं और रही सही कसर स्मार्ट सिटी का स्मार्ट काम पूरा कर रहा है. जिसने दरबार स्कूल में काम के दौरान परकोटे का एक बुर्ज तक धराशाई कर दिया.

पढ़ें: यूनेस्को की टीम जयपुर आई तो प्रशासन को याद आए परकोटे के स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट

वहीं, खुले में नाना जी की हवेली में व्यवसायिक निर्माण हो रहा है. इस पर आपत्ति जताते हुए यूनेस्को ने अपने अगले दौरे से पहले सुधार करने के निर्देश भी दिए हैं. साथ ही जयपुर परकोटे की चारदीवारी दोबारा पूरी बनाने, परकोटे पर हुए अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने के लिए भी ताकीद किया है. इसके साथ ही परकोटे की मैपिंग दोबारा करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि परकोटे की वास्तविक तस्वीर में कोई बदलाव ना हो और प्राचीन गौरव वापस लौट पाए.

पढ़ें : Smart city projects incomplete : यूनेस्को का तमगा बचाते हुए करना होगा स्मार्ट सिटी का पेंडिंग वर्क

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने 294 साल पहले बसी चारदीवारी के हेरिटेज को बचाने और संरक्षित करने के लिए हेरिटेज बायलॉज बनाए. इसमें चारदिवारी की हेरिटेज इमारतों के साथ-साथ बरामदे, चौकड़िया, पुराना ड्रेनेज सिस्टम को भी शामिल किया गया. मुख्य नगर नियोजक, कानून विद, हेरिटेज विशेषज्ञ और चारदीवारी को समझने वाले विषय विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति बनाई गई. जिनके सामने ये मसौदा तैयार किया गया. इसमें खास बात ये रही कि मुख्य बाजारों की तरफ झांकती इमारतों की डिजाइन, फसाड़ पूरी तरह एक जैसा होगा.

इसके अलावा सभी 9 चौकड़ियों को उनके मूल स्वरूप में लाना और यहां किए गए अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई भी जल्द शुरू होगी. लेकिन ड्रोन सर्वे में सामने आया था कि परकोटा आज 90 फीसदी अतिक्रमण और अवैध निर्माण की भेंट चढ़ चुका है. कई जगह तो परकोटे के अवशेष भी नजर नहीं आते. तो कहीं धरोहर बदहाल हो चली है. ऐसे में अब हेरिटेज बायलॉज को प्रभावी बनाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

जयपुर. 6 जुलाई, 2019 को जयपुर के परकोटे को यूनेस्को की विश्व विरासत का तमगा मिला था. तब यूनेस्को ने परकोटे में हो रहे अतिक्रमण को हटाने और हेरिटेज इमारतों का संरक्षण करने की गाइडलाइन दी (Guideline for conservation of heritage buildings) थी. लेकिन हाल ही में हुए यूनेस्को टीम के दौरे में ऐसी कई अनियमितताएं और अवैध निर्माण सामने आए जिस पर आपत्ति भी जताई गई और इन्हें जल्द दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए. साथ ही परकोटे की दीवार को संजोने और उन हवेलियों को भी संरक्षित करने के निर्देश दिए गए जो वास्तुकला और नियोजन से परिपूर्ण हैं.

1727 में सवाई जयसिंह द्वितीय ने परकोटे वाले नगर जयपुर की नींव रखी थी. खास बात ये थी कि परकोटे की दीवार प्रतिरक्षा की बजाय नगर सीमा को तय करने और एक व्यवस्था को बनाने के लिए की गई थी. यहां बने बुर्जनुमा दरवाजे आज भी यहां की विरासत की कहानी कहते हैं. नौ चौकड़ी, तीन चौपड़, मुख्य बाजारों के बरामदे और यहां एकरूपता का परिचय देता हुआ गुलाबी रंग यूनेस्को को भी रास आया और यूनेस्को ने इस परकोटे को विश्व विरासत का तमगा थमाया. लेकिन यूनेस्को ने अपनी गाइडलाइन में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि यहां परकोटे की दीवार का संरक्षण हो. अतिक्रमण को हटाया जाए और नए निर्माण में हेरिटेज बायलॉज का ध्यान रखा जाए.

हमारी विरासत को बचाने के लिए यूनेस्को की गाइडलाइन और हेरिटेज बाइलॉज की पालना जरूरी...

पढ़ें : यूनेस्को टीम को नहीं रास आया स्मार्ट सिटी का काम, दरबार स्कूल के काम के साथ-साथ नाना जी की हवेली पर जताई आपत्ति

हालांकि, खिताब मिलने से लेकर अब तक यहां सिर्फ ड्रोन सर्वे कर औपचारिकता निभाई गई है. 6.5 किलोमीटर परिधि क्षेत्र की परकोटे की दीवार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए डीपीआर तो तैयार कर दी गई, लेकिन इस पर काम शुरू नहीं हुआ है. यही नहीं परकोटा इलाके में नया निर्माण करने के लिए बायलॉज भी बना दिए गए हैं, लेकिन उनकी भी पालना नहीं हो रही. नतीजन ये विरासत जरूरतों की इमारतों के बोझ के तले दबकर रह गई हैं. अतिक्रमण धरोहरों पर चढ़ बैठा है. जिन दीवारों के कारण दुनिया इसे विश्व धरोहर के रूप में देख रही है. वहीं, दीवारें इमारतों की खिचपिच के बीच दम तोड़ रही हैं और रही सही कसर स्मार्ट सिटी का स्मार्ट काम पूरा कर रहा है. जिसने दरबार स्कूल में काम के दौरान परकोटे का एक बुर्ज तक धराशाई कर दिया.

पढ़ें: यूनेस्को की टीम जयपुर आई तो प्रशासन को याद आए परकोटे के स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट

वहीं, खुले में नाना जी की हवेली में व्यवसायिक निर्माण हो रहा है. इस पर आपत्ति जताते हुए यूनेस्को ने अपने अगले दौरे से पहले सुधार करने के निर्देश भी दिए हैं. साथ ही जयपुर परकोटे की चारदीवारी दोबारा पूरी बनाने, परकोटे पर हुए अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने के लिए भी ताकीद किया है. इसके साथ ही परकोटे की मैपिंग दोबारा करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि परकोटे की वास्तविक तस्वीर में कोई बदलाव ना हो और प्राचीन गौरव वापस लौट पाए.

पढ़ें : Smart city projects incomplete : यूनेस्को का तमगा बचाते हुए करना होगा स्मार्ट सिटी का पेंडिंग वर्क

आपको बता दें कि राज्य सरकार ने 294 साल पहले बसी चारदीवारी के हेरिटेज को बचाने और संरक्षित करने के लिए हेरिटेज बायलॉज बनाए. इसमें चारदिवारी की हेरिटेज इमारतों के साथ-साथ बरामदे, चौकड़िया, पुराना ड्रेनेज सिस्टम को भी शामिल किया गया. मुख्य नगर नियोजक, कानून विद, हेरिटेज विशेषज्ञ और चारदीवारी को समझने वाले विषय विशेषज्ञों को शामिल करते हुए एक उच्च स्तरीय तकनीकी समिति बनाई गई. जिनके सामने ये मसौदा तैयार किया गया. इसमें खास बात ये रही कि मुख्य बाजारों की तरफ झांकती इमारतों की डिजाइन, फसाड़ पूरी तरह एक जैसा होगा.

इसके अलावा सभी 9 चौकड़ियों को उनके मूल स्वरूप में लाना और यहां किए गए अतिक्रमण और अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई भी जल्द शुरू होगी. लेकिन ड्रोन सर्वे में सामने आया था कि परकोटा आज 90 फीसदी अतिक्रमण और अवैध निर्माण की भेंट चढ़ चुका है. कई जगह तो परकोटे के अवशेष भी नजर नहीं आते. तो कहीं धरोहर बदहाल हो चली है. ऐसे में अब हेरिटेज बायलॉज को प्रभावी बनाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

Last Updated : Apr 20, 2022, 11:10 PM IST
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