जयपुर. राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेवा को जन अनुशासन पखवाड़े के दौरान भी बदस्तूर जारी रखा गया है. लो फ्लोर बसें पूरी कैपेसिटी के साथ संचालित हैं. इनमें कुछ रूट पर तो यात्री भार भी देखने को मिल रहा है. लेकिन अब लो फ्लोर बस से जुड़े कर्मचारी कोरोना की चपेट में आने लगे हैं. अब तक करीब 28 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं. बावजूद इसके इन कर्मचारियों का वैक्सीनेशन तक नहीं कराया गया है. आलम ये है कि जनवरी के बाद से सैलरी भी नहीं दी गई है.
इसे लेकर जेसीटीएसएल एंप्लाइज यूनियन का कहना है कि मुखिया तो अपना खाना खा रहा है, लेकिन बच्चे भूखे सो रहे हैं. कोरोना महामारी के बीच आवश्यक सेवाओं के रूप में लो फ्लोर बसों को संचालित तो कर रखा है. लेकिन इससे जुड़े एंप्लॉयज को भुगतान नहीं किया जा रहा. जबकि मैनेजमेंट को सैलरी मिल रही है. उन्होंने कहा कि लो फ्लोर बसें कर्मचारी अपनी रिस्क पर चला रहे हैं.
विभाग की तरफ से कर्मचारियों के लिए कोई प्रॉपर मेडिकल सुविधा नहीं है. जो पॉलिसी दी है, वो भी कागजों तक सीमित है. हाल ही में जिन कर्मचारियों की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई, वो अपने स्तर पर ही इलाज ले रहे हैं. लेकिन हकीकत ये है कि आर्थिक रूप से कमजोर कर्मचारियों के पास अस्पताल का खर्चा वहन करने का भी पैसा नहीं है. यही नहीं कहने को फ्रंट लाइन वर्कर्स हैं. लेकिन अब तक वैक्सीनेशन तक नहीं कराया गया.
वहीं जेसीटीएसएल ओएसडी ब्रजेश चांदोलिया ने बताया कि कोविड-19 दूसरी लहर में लो फ्लोर बसों के कर्मचारियों के भी पॉजिटिव होने की सूचना मिल रही है. कर्मचारियों की मेडिकल सुविधा जल्द शुरू कर लाभ दिया जाएगा और जहां तक वेतन का सवाल है जेसीटीएसएल की वित्तीय स्थिति अभी कमजोर है. कोविड-19 के दौर में यात्री भार भी नहीं मिल रहा. लेकिन प्रयास किया जा रहा है कि कर्मचारियों की वेतन से संबंधित समस्याओं का शीघ्र निस्तारण किया जाए.
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बता दें कि राज्य सरकार के निर्देश पर परिवहन सेवाओं को 50% यात्री भार के साथ संचालित किया जा रहा है. इस संबंध में डिपो मैनेजर्स को भी निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही बसों को सैनिटाइज भी कराया जा रहा है. वहीं बिना मास्क यात्रा करने पर भी पाबंदी लगाई गई है.