जयपुर. जिले के चिकित्सकों ने दावा किया है कि पहली बार राज्य में एक्यूट लिवर फेलियर यानी अचानक मरीज का लिवर फेल होने पर इमरजेंसी लिवर ट्रांसप्लांट किया गया (Liver transplant of 50 year old woman) है और लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज एकदम स्वस्थ है. जयपुर के एक निजी अस्पताल में इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है और एक 50 वर्षीय महिला की जिंदगी बचाई गई है. खास बात यह है कि महिला को लिवर उसके बेटे ने डोनेट किया.
देश के जाने माने लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉक्टर नैमिष मेहता ने बताया कि राजस्थान में पहली बार इस तरह आपातकालीन स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है. झालावाड़ निवासी 50 वर्षीय महिला कालीबाई का लिवर अचानक खराब हो गया. इसका कारण ड्रग साइड इफेक्ट था. उन्होंने बताया कि महिला को गंभीर स्थिति में अस्पताल में लाया गया था और उसे वेंटिलेटर पर रखना पड़ा ऐसे में महिला की जिंदगी बचाने के लिए एकमात्र उपाय लिवर ट्रांसप्लांट था. ऐसे में चिकित्सकों ने परिजनों को इस बारे में अवगत करवाया और महिला के तीनों बेटे लिवर डोनेट करने को तैयार हो गए. ऐसे में महिला के एक बेटे राजेश का लिवर उसकी मां को लगाया गया है.
डॉ. मेहता का कहना है कि आमतौर पर एक्यूट लिवर फेलियर होने पर 80 से 85 फ़ीसदी मरीज अपनी जान गवा देते हैं. आमतौर पर किसी भी अंग को ट्रांसप्लांट करने से पहले डोनर की जांच और ट्रांसप्लांट संबंधित सभी प्रक्रिया जिसमें सरकारी अनुमति भी शामिल है. इसको करने में तकरीबन 8 से 10 दिन का समय लग जाता है लेकिन आपातकालीन स्थिति में किए गए इस लिवर ट्रांसप्लांट में 1 दिन में यह सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई और यह ऑपरेशन तकरीबन 10 से 12 घंटे चला. फिलहाल महिला स्थिति एकदम ठीक है.