जयपुर. लोकसभा संसद में सत्र के दौरान जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी को जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'शीशे की गुड़िया' कहा तो दोनों के बीच चल रही अदावत सियासी गलियारों तक पहुंच गई. जाने माने लेखक खुशवंत सिंह ने भी अपनी किताब इस बात का जिक्र किया था. एक ही स्कूल में पढ़ने वालीं देश की सबसे ताकतवर महिला इंदिरा गांधी और दुनिया की सबसे खूबसूरत महिला का खिताब पाने वाली पूर्व महारानी गायत्री देवी के बीच अदावत का ही नतीजा था आयकर विभाग का छापा और जयपुर के किले पर फौज की चढ़ाई.
किवंदती है कि मुगल राज में रक्षा मंत्री का दर्जा प्राप्त तत्कालीन महाराजा मान सिंह के पास एक बड़ा खजाना था, जिसे उन्होंने किले में ही गुप्त स्थानों पर छिपाया गया था. गायत्री देवी ने जब देश में आपाताकाल (Emergency) को लेकर इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की आलोचना की तो इसकी कीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी. नाराज इंदिरा गांधी ने जयपुर की पूर्व रियासत पर आयकर विभाग की टीम को छापा मारने भेजा. जिसमें आयकर विभाग को करोड़ों का खजाना हाथ लगा और इसे जब्त करने के लिए सेना को एक गुप्त ऑपरेशन पर भेजा गया.
गायत्री देवी की किताब में है पूरे घटनाक्रम का जिक्र
इस घटनाक्रम की असली कहानी क्या है इसको लेकर पूर्व महारानी गायत्री देवी ने अपनी किताब 'A princess Remembers' में जिक्र किया है. किताब में लिखे तथ्यों के अनुसार ये घटनाक्रम इमरजेंसी से करीब 4 माह पूर्व 11 फरवरी 1975 को शुरु हुआ था. तब आयकर विभाग ने पहली बार जयपुर के नाहरगढ़ किले पर दस्तक दी थी. इस कार्रवाई के दौरान खुद गायत्री देवी को भी किले से बाहर नहीं निकलने दिया गया. किले के हर महल, गुप्त स्थलों, मोती डूंगरी और आमेर महल में भी इनकम टैक्स अफसरों ने छानबीन करना शुरू कर दिया. इसके बाद सिटी पैलेस, रामबाग पैलेस और उनके दिल्ली स्थित सांसद आवास पर भी छापा मारा गया. इस कार्रवाई के दो दिन बाद यानि 13 फरवरी को जयगढ़ फोर्ट में कई हफ्तों तक छानबीन की गई. देश की चर्चित हस्ती गायत्री देवी के किले पर छापामारी की खबर उन दिनों अखबारों की सुर्खियां बनीं.
मोती डूंगरी में मिला खजाना
बताया जाता है जयगढ़ फोर्ट सहित अन्य सभी दफ्तरों में आयकर अधिकारियों के हाथ कुछ नहीं लगा लेकिन सिटी पैलेस और मोती डूंगरी में बहुत कुछ मिला जो चौंकाने वाला था. यहां एक खास तरह का स्ट्रॉन्ग रूम था जिसमें कई कीमती चीजों को रखा गया था. वहीं, सिटी पैलेस के एक गुप्त तहखाने में भी करोड़ों का खजाना था. इस बात का खुलासा अगस्त 1975 में रूस के एक न्यूजपेपर सेंट पीटर्सबर्ग टाइम्स में छपी रिपोर्ट में हुआ.
भारत में तब तक इमरजेंसी लग जाने के चलते अखबारों पर प्रतिबंध था. तब रूस के अखबार की रिपोर्ट में सरकार के हवाले लिखा गया कि इस छापामारी में करीब 1.70 लाख करोड़ डॉलर कीमत का सोना, डायमंड और कीमती धातुएं मिली हैं. सिटी पैलेस के गुप्त तहखाने में मिले खजाने की कुल कीमत भी उस समय करीब 50 लाख डॉलर आंकी गई.
गायत्री देवी अपनी किताब में लिखती हैं कि जो खजाना आयकर अधिकारियों को मिला वो मान सिंह द्वितीय नाहरगढ़ के किले से मोती डूंगरी लाए थे. खास बात यह थी कि इस खजाने का जिक्र जयपुर रियासत ने भारतीय संघ में विलय के दौरान आखिरी बजट में किया हुआ था. इस खजाने को सेना के ट्रकों में भरकर ले जाने का तथ्य कितना सही है, यह कहा नहीं जा सकता.
गायत्री देवी की गिरफ्तारी
साल 1975 में देश में आपातकाल लग जाने के बाद गायत्री देवी उस समय बंबई से इलाज करवाकर दिल्ली लौटीं. दिल्ली स्थित उनके आवास पर आयकर विभाग के अधिकारी पहले से मौजूद थे. जहां उन्हें अघोषित सोना और संपत्ति छुपाने, विदेशी एक्सचेंज और तस्करी से जुड़े एक एक्ट (COFEPOSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया. उस समय उनके साथ उनके सौतेले बेटे जगत सिंह भी साथ थे. गायत्री देवी और जगत सिंह को तिहाड़ जेल भेज दिया गया. जहां करीब 6 माह रहने के बाद उन्हें पैरोल मिल पाई. इसके बाद भी दोनों के बीच सियासी अदावत जारी रही.