जयपुर. चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर नॉलेज एटीट्यूडस एंड प्रैक्टिसेज और लाइन सर्वे कराने के निर्देश दिए हैं. माना जा रहा है कि सर्वे के बाद मतदाताओं को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के बजट में भी कटौती की जा सकती है. इस सर्वे के जरिए निर्वाचन आयोग मतदाताओं का मन टटोलने की कोशिश करेगा और जानेगा कि आखिर वह मतदान क्यों नहीं करते हैं.
देशभर में चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग हमेशा से उठती रही है. हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने सुधार की दिशा में आगे कदम बढ़ा दिया है. निर्वाचन आयोग ने इसको लेकर दिल्ली में अधिकारियों की बैठक बुलाई थी. चुनावी खर्च में कटौती के लिए कॉन्फ्रेंस में मिले सुझावों के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने एंड लाइन सर्वे कराने का निर्णय लिया है जिसको लेकर आयोग ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर 15 अक्टूबर तक सर्वे रिपोर्ट भेजने के लिए कहा है.
सर्वे में कम मतदान रहने वाले क्षेत्रों में विशेष फोकस करने के निर्देश दिए गए हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में राजस्थान में भरतपुर और बीकानेर संसदीय सीट पर मतदान प्रतिशत सबसे कम रहा. अब सर्वे में मतदाताओं से कम मतदान प्रतिशत आने का कारण पूछा जाएगा. पूरे प्रदेश में होने वाले सर्वे के लिए चुनाव आयोग ने 50 प्रश्नों की सूची भेजी है. आयोग की ओर से भेजे गए प्रश्नों का जवाब के लिए मतदाताओं से घर-घर तक सर्वे कराया जाएगा इसमें बीएलओ और सामाजिक संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी.
सर्वे के लिए आयोग ने भेजे गए प्रश्नों में माना जा रहा है कि आम मतदाताओं से आसान सवाल पूछे जाएंगे जिसका वह आसानी से जवाब दे सकेंगे. इसमें मतदान प्रतिशत कम रहने का कारण मतदान का पता कैसे चला, बीएलओ ने जानकारी दी या टीवी चैनलों के माध्यम से, प्रचार-प्रसार में टीवी महत्वपूर्ण है या अखबार, मतदान केंद्रों पर छाया पानी की सुविधा थी या नहीं, लंबी लाइनों की वजह से मतदान किया या नहीं, और वोट देने में परेशानी हुई या नहीं और देने के लिए किस डॉक्यूमेंट का उपयोग किया. इस तरह के सवाल आम मतदाताओं से पूछे जाएंगे. माना जा रहा है कि सर्वे के बाद मतदाताओं को जागरूक करने में उपयोगी संसाधनों पर ही आयोग बजट खर्च कर सकता है.
आयोग से मिले निर्देशों के बाद राज्य निर्वाचन विभाग ने सर्वे की तैयारी शुरू कर दी है. जल्दी अधिकारियों की बैठक बुलाई जाएगी. इसके साथ ही सर्वे के लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किए जाएंगे. सर्वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए निर्वाचन विभाग राजस्थान यूनिवर्सिटी के सांख्यिकी विभाग की भी मदद ले सकता है. बहरहाल निर्वाचन विभाग इस कोशिश में लगा हुआ है कि देश के मतदाताओं को उनके मताधिकार के लिए जागरूक किया जा सके और अधिक से अधिक अपने मतदान का उपयोग करें. इसको लेकर किस तरह से कार्य किया जाए इसको लेकर भी इस सर्वे के जरिए मतदाताओं का मन टटोला जाएगा.