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ढूंढ नदी को पुनर्जीवित करने का भागीरथ प्रयास शुरू

प्रदेश की प्राचीन नदियां में से एक ढूंढ़ नदी (dhondh river) को पुनर्जीवित करने के प्रयास शुरू हो गए है. इस कड़ी में अखिल विश्व गायत्री परिवार (All World Gayatri Parivar) ने खेरवाड़ी गांव के पास हनुमानपुरा के जंगल में पौधरोपण (plantation) किया.

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Published : Jun 6, 2021, 7:02 AM IST

Updated : Jun 6, 2021, 7:11 AM IST

ढूंढ नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू, Efforts to revive Khod river started in rajasthan
ढूंढ नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू

जयपुर. राजस्थान की सबसे प्राचीन नदियां में एक ढूंढ़ नदी (dhondh river) को पुनर्जीवित करने के प्रयास शुरू हो गए है. विश्व पर्यावरण दिवस पर अखिल विश्व गायत्री परिवार ने खेरवाड़ी गांव के पास हनुमानपुरा के जंगल में पौधरोपण (plantation) किया. यही वही स्थान है, जहां से ढूंढ़ नदी का उद्गम हुआ. गायत्री परिवार (gayatri family) वर्षाकाल में यहां सघन वन विकसित करेगा. बड़ी संख्या में पीपल और बरगद के पेड़ लगाए जाएंगे.

ढूंढ नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू

इससे पहले गायत्री यज्ञ कर दैव शक्तियों का आशीर्वाद लिया. गायत्री परिवार, जयपुर के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए नदियों का पुनर्जीवित होना भी सहायक है. भैरू खेजड़ा के पास भूरी डूंगरी हरमाड़ा के आगे दौलतपुरा, नया ट्रांसपोर्ट नगर के पास विधिवत पूजन-हवन कर इसकी शुरूआत की जा चुकी है, अब इसे विस्तार दिया जाएगा. इस कार्य के लिए आसपास के गांवों के लोगों का सहयोग लिया जाएगा. इस मौके पर गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक रणवीर सिंह चौधरी सहित कई स्थानीय निवासी भी उपस्थित थे.

भैरूंलाल जाट ने बताया कि इससे पहले गायत्री परिवार ने बांडी नदी के उद्गम स्थल सामोद की पहाड़ी पर बरगद और पीपल के करीब 1300 पेड़ लगाए, जो कि अब वृक्ष बन चुके हैं. इसका प्रभाव यह हुआ कि तीस साल बाद बांडी नदी पुन: जीवित हो उठी है. अब ढूंढ़ नदी को पुनर्जीवित करने का काम हाथ में लिया है. पौधरोपण के विशेषज्ञ विष्णु गुप्ता के मार्गदर्शन में यहां सघन वन विकसित किया जाएगा.

पढ़ें- ज्ञानदेव आहूजा की फिर फिसली जुबान...इस बार गहलोत को बताया 'माफिया'

उल्लेखनीय है कि जयपुर कभी ढूंढ़ाड़ प्रदेश कहलाता था. इसकी भाषा को आज भी ढूंढ़ाड़ी भाषा कहा जाता है. यह सब ढूंढ़ नदी के किनारे बसे होने के कारण होता था. ढूंढ़ नदी राजस्थान की प्राचीन नदियों में एक थी, जो रियासकाल में ही लुप्त हो गई. मगर नदी का बहाव क्षेत्र, मार्ग आज भी सुरक्षित है। गायत्री परिवार ने इसका सर्वे कर इसके उद्गम स्थल का पता लगाया है.

जयपुर. राजस्थान की सबसे प्राचीन नदियां में एक ढूंढ़ नदी (dhondh river) को पुनर्जीवित करने के प्रयास शुरू हो गए है. विश्व पर्यावरण दिवस पर अखिल विश्व गायत्री परिवार ने खेरवाड़ी गांव के पास हनुमानपुरा के जंगल में पौधरोपण (plantation) किया. यही वही स्थान है, जहां से ढूंढ़ नदी का उद्गम हुआ. गायत्री परिवार (gayatri family) वर्षाकाल में यहां सघन वन विकसित करेगा. बड़ी संख्या में पीपल और बरगद के पेड़ लगाए जाएंगे.

ढूंढ नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास शुरू

इससे पहले गायत्री यज्ञ कर दैव शक्तियों का आशीर्वाद लिया. गायत्री परिवार, जयपुर के समन्वयक ओमप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए नदियों का पुनर्जीवित होना भी सहायक है. भैरू खेजड़ा के पास भूरी डूंगरी हरमाड़ा के आगे दौलतपुरा, नया ट्रांसपोर्ट नगर के पास विधिवत पूजन-हवन कर इसकी शुरूआत की जा चुकी है, अब इसे विस्तार दिया जाएगा. इस कार्य के लिए आसपास के गांवों के लोगों का सहयोग लिया जाएगा. इस मौके पर गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के व्यवस्थापक रणवीर सिंह चौधरी सहित कई स्थानीय निवासी भी उपस्थित थे.

भैरूंलाल जाट ने बताया कि इससे पहले गायत्री परिवार ने बांडी नदी के उद्गम स्थल सामोद की पहाड़ी पर बरगद और पीपल के करीब 1300 पेड़ लगाए, जो कि अब वृक्ष बन चुके हैं. इसका प्रभाव यह हुआ कि तीस साल बाद बांडी नदी पुन: जीवित हो उठी है. अब ढूंढ़ नदी को पुनर्जीवित करने का काम हाथ में लिया है. पौधरोपण के विशेषज्ञ विष्णु गुप्ता के मार्गदर्शन में यहां सघन वन विकसित किया जाएगा.

पढ़ें- ज्ञानदेव आहूजा की फिर फिसली जुबान...इस बार गहलोत को बताया 'माफिया'

उल्लेखनीय है कि जयपुर कभी ढूंढ़ाड़ प्रदेश कहलाता था. इसकी भाषा को आज भी ढूंढ़ाड़ी भाषा कहा जाता है. यह सब ढूंढ़ नदी के किनारे बसे होने के कारण होता था. ढूंढ़ नदी राजस्थान की प्राचीन नदियों में एक थी, जो रियासकाल में ही लुप्त हो गई. मगर नदी का बहाव क्षेत्र, मार्ग आज भी सुरक्षित है। गायत्री परिवार ने इसका सर्वे कर इसके उद्गम स्थल का पता लगाया है.

Last Updated : Jun 6, 2021, 7:11 AM IST
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