जयपुर. भारतीय संविधान में बजट शब्द कहीं पर भी नहीं है. जिसे आम भाषा में बजट कहा जाता है वो फाइनेंस स्टेटमेंट है. जिसमें पिछले साल की रिवाइज्ड एस्टिमेट्स के साथ ही वर्तमान वर्ष के संबंध में अनुमानित आय, व्यय, कर और कर की दरों में किए जाने वाले परिवर्तनों के बारे में चर्चा की जाती है. ये कहना है अर्थशास्त्री डॉ मानचंद खंडेला का.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में बजट की परिभाषा समझाते हुए उन्होंने बताया कि, सरकार द्वारा विधानसभा के बाहर की जाने वाली घोषणाओं से बजट का महत्व कम हुआ है. वहीं, उन्होंने साफ किया कि राजस्थान के बजट में करीब 82% खर्चे जिनमें ऋण और ब्याज के भुगतान, सरकारी कर्मचारियों के वेतन/भत्ते और सुविधाएं, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन, विभिन्न प्रकार की सब्सिडी, प्रचार-प्रसार, मंत्रियों और अधिकारियों की यात्राओं के खर्च पूर्व में निर्धारित होते हैं. फिर भी बजट हमेशा चर्चित रहता है.
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उन्होंने कहा कि, आगामी 20 फरवरी को राजस्थान में वित्त मंत्रालय देख रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बजट प्रस्तुत करेंगे. जिसको हर बार की तरह लोकलुभावन, विकास को प्रोत्साहित करने वाला और दूरदर्शी बताया जाएगा. लेकिन पिछले साल के बजट में युवाओं को नौकरी देने, बेरोजगारी भत्ता, किसानों की पेंशन और कल्याण कोष, साथ ही महिलाओं के विकास के लिए जिन योजनाओं की घोषणा की गई थी, उनके विश्लेषण से स्पष्ट है कि इनमें क्रियान्वयन बहुत कम प्रतिशत में हुआ है.
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शराब, खाद्य पदार्थों जैसी वस्तुओं की तस्करी बड़ी मात्रा में हो रही है...
उन्होंने कहा कि पिछले बजट में जयपुर मेट्रो, बाड़मेर रिफाइनरी और मेमू कोच फैक्ट्री की बहुत चर्चाएं हुई थी. लेकिन सार्थक काम नहीं हो पाया. ऐसे में एक बार फिर बजट में इनका जिक्र किया जा सकता है. साथ ही उन्होंने वर्तमान बजट में इसके लिए अतिरिक्त आवंटन किए जाने की बात कही. वहीं करों को लेकर डॉ. खंडेला ने बताया कि यहां दूसरे राज्यों की तुलना में पहले ही दरें ज्यादा है. फिर भी कलेक्शन कम है. ऐसे में प्रदेश में पेट्रोल-डीजल, शराब, खाद्य पदार्थों जैसी वस्तुओं की तस्करी बड़ी मात्रा में हो रही है. इससे सरकारी खजाने को भी घाटा हो रहा है. बजट में इन विसंगतियों को दूर करने के लिए सरकार कुछ करेगी, अपेक्षा की जा सकती है. वहीं उन्होंने केंद्रीय बजट में राजस्थान की 20 हजार करोड़ की राशि काट लिये जाने के सीएम के बयान पर कहा कि सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या केंद्रीय योजनाओं को समय रहते पूरी करने की है. जिसमें प्रशासन आमतौर पर असफल रहता है.
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नए स्कूल और कॉलेज खोलने की घोषणा...
उन्होंने बताया कि बजट 2020 में खाली पड़े सरकारी पदों को भरने, नियुक्तियों को नियमित करने, पारिश्रमिक में वृद्धि करने, मोहल्ला क्लीनिक की संख्या बढ़ाने के लिए बजट प्रावधान करने को सरकार की मजबूरी बताया. वहीं बिजली शुल्क में की गई वृद्धि पर हो रहे विरोध के बाद अल्प आय वर्ग के लिए दरों में कमी करने की संभावना जताई. इसके अलावा खंडेला ने खेलकूद, शिक्षा, प्रशिक्षण, महिला शिक्षा और सशक्तिकरण, हेरिटेज, पुष्कर और बीकानेर जैसे धार्मिक मेलों, वाईफाई सुविधाओं में वृद्धि, ग्रामीण सड़कों, शहरों में सौंदर्यकरण, निर्यात प्रोत्साहन, यातायात सुदृढ़ीकरण जैसे विषयों को बजट में 'टच' किए जाने की बात कही. साथ ही राज्य में स्कूलों और कॉलेजों को खोलने की घोषणा की भी संभावना जताई. आखिर में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बजट को लोकलुभावन बनाने के साथ ही विकास परक बनाने का हर संभव प्रयास करेगी.