जयपुर. शहर की 39 लाख की आबादी के लिए बीसलपुर से पेयजल की सप्लाई होती है. जयपुर शहर की सिर्फ 6 लाख की आबादी बीसलपुर के पानी से वंचित है. बीसलपुर का पानी शुद्ध करके सप्लाई किया जा रहा है.
शहर में जहां बीसलपुर का पानी नहीं पहुंच रहा, वहां ट्यूबवेल और बोरिंग से पानी पहुंचाया जा रहा है. जयपुर शहर के पास पेयजल आपूर्ति के लिए बीसलपुर के अलावा ऐसा कोई स्त्रोत नहीं है. शुरुआत में रामगढ़ बांध से पानी की सप्लाई की जाती थी. लेकिन यह बांध पूरी तरह सूख चुका है. जयपुर की जनता अब पूरी तरह बीसलपुर बांध के पानी पर ही निर्भर है.
कई चरणों में शुद्ध होकर पहुंचता है पानी
बीसलपुर से पानी सूरजपुरा फिल्टर प्लांट (Surajpura Filter Plant) पर पहुंचता है. जहां पानी फ़िल्टर होता है. इसके बाद जयपुर शहर में स्थित अलग-अलग पंपिंग स्टेशनों पर पानी को क्लोरीनेशन (drinking water chlorination) से साफ किया जाता है. इसके लिए पानी में क्लोरीन मिलाई जाती है. क्लोरीनेशन के बाद पानी पाइप लाइनों से अलग अलग इलाकों में सप्लाई किया जाता है. जयपुर शहर के बालावाला, जवाहर नगर, मानसरोवर, पानीपेच, रामनिवास बाग आदि जगहों पर पंपिंग स्टेशन बने हुए हैं. जयपुर शहर में 2700 ट्यूबवेलों के जरिए भी पानी सप्लाई किया जा रहा है. इन ट्यूबवेल के पानी की सप्लाई से पहले जांच की जाती है.
समय-समय पर फिल्टर प्लांट की सफाई
समय-समय पर इन पंपिंग स्टेशनों और सूरजपुरा स्थित फिल्टर प्लांट की साफ सफाई की जाती है. सफाई के दौरान शहर के कई इलाकों में पानी सप्लाई नहीं हो पाता. इसकी पूर्व सूचना जनता को दे दी जाती है.
दूषित पानी से हो सकती हैं ये बीमारियां
प्रदूषित पानी पीने से हैजा, टाइफाइड, हेपेटाइटिस डायरिया, बुखार जैसे रोग हो जाते हैं. कई तरह के संक्रमण भी हो जाते हैं. विशेषज्ञ चिकित्सकों का कहना है कि पानी अगर पीने लायक न आ रहा हो तो उसे उबाल कर ठंडा करके पीना चाहिए.
पेयजल का मानक स्टैंडर्ड
पीने के पानी के स्टैंडर्ड 2012 के आईएस 10500 के स्टैंडर्ड के अनुसार हैं. इसके अनुसार पीने के पानी का पीएच 6.5 से 8.5 तक होता है. कुल घुलनशील पदार्थ (total dissolved solids) 500 से 2000 एमजी (मिलीग्राम) प्रति लीटर होता है. पैरामीटर के अनुसार पीने के पानी के लिए एलुमिनियम 0.3 एमजी प्रति लीटर, अमोनिया 0.5 एमजी प्रति लीटर, क्लोराइड 250 एमजी प्रति लीटर, कॉपर 0.05 एमजी प्रति लीटर, फ्लोराइड 1 एमजी प्रति लीटर होता है. स्टैंडर्ड के अनुसार मानक नहीं होने से भी पानी मानव शरीर को हानि पहुंचाता है.