जयपुर. जयपुर में पेयजल की आधारभूत संरचना की सार संभाल और शहर का अप्रत्याशित रूप से बढ़ना पीएचईडी की लिए चुनौती है. शहर की 39 लाख की आबादी बीसलपुर बांध पर निर्भर है. शहर में सप्लाई होने वाला पानी का अधिकतर हिस्सा बीसलपुर बांध से ही लिया जाता है. शेष सप्लाई ट्यूबवेल और टैंकरों के माध्यम से की जाती है. छह लाख की आबादी ऐसी है जहां बीसलपुर का पानी नहीं पहुंच पा रहा है. यहां टैंकरों और ट्यूबवेल से पानी सप्लाई किया जाता है. लेकिन यह नाकाफी है.
विभाग के अधिकारियों के अनुसार गर्मियों में पानी की खपत ज्यादा होती है. इसके लिए पहले से ही योजना बनाना शुरू कर दिया जाता है. लेकिन बजट नहीं होने के कारण कई योजनाएं समय पर पूरी नहीं होती.
कई जगह पाइप लाइन 40 साल पुरानी
पानी सप्लाई को लेकर आधारभूत संरचना दूसरी बड़ी समस्या है. शहर में कई जगह पाइप लाइन काफी पुरानी हो चुकी है. लीकेज होने से पानी व्यर्थ बह जाता है. पंप 15 साल और लाइन 30 साल में बदल जानी चाहिए. लेकिन जयपुर में कई इलाकों में 40 साल पुरानी लाइन डली हुई है.
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ये इलाके हैं प्यासे
जयपुर शहर में जामडोली, जगतपुरा, खोनागोरियान, जयसिंह पुरा खोर, ट्रांसपोर्ट नगर पृथ्वीराज नगर आदि इलाके हैं जो बीसलपुर योजना से वंचित है. इनके लिए योजनाएं भी तैयार हैं. लेकिन योजनाएं कागजों में ही पड़ी हुई हैं.
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165 करोड़ की सिर्फ घोषणा हुई
दिल्ली रोड के इलाकों के लिए 165 करोड रुपए की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट भाषण में की थी. लेकिन बजट मिला नहीं. बजट मिलता तो 5 विधानसभा क्षेत्र के 10 लाख लोग लाभान्वित होते. आमेर, जयसिंहपुरा खोर, परकोटा के ब्रह्मपुरी इलाकों में भी बीसलपुर का पानी नहीं पहुंचने के कारण लोग पानी की किल्लत से जूझ रहे हैं.
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टैंकर से पानी, यानी मनमानी
हालांकि टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है. लेकिन इसमें भी गड़बड़ियां सामने आती हैं. ठेकेदार के आदमी अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में टैंकर कहीं और पहुंचा देते हैं. जिससे जरूरतमंद तक पानी नहीं पहुंच पाता. शहर में 225 टैंकरों से 2500 फेरे लगवाए जा रहे हैं.
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फिलहाल जलदाय विभाग की ओर से बीसलपुर बांध से 440 एमएलडी पानी जयपुर शहर के लिए दिया जा रहा है. ट्यूबेल से 193 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है. इस तरह जयपुर शहर में 633 एमएलडी पानी सप्लाई किया जा रहा है.
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अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने बताया कि जयपुर शहर में पानी पहुंचाने के लिए 200 वितरण तंत्र बने हुए हैं. लेकिन ये तंत्र शहर की प्यास पूरे तरीके से बुझा पाने में फेल साबित हो रहे हैं.