जयपुर. पूर्वर्ती बीजेपी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट द्रव्यवती नदी का काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है. द्रव्यवती नदी प्रोजेक्ट का निर्माण करने वाली कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स को ये काम 2018 तक पूरा करना था, लेकिन बार-बार डेडलाइन बदलती जा रही है. महज 10 फीसदी काम के कारण पूरी द्रव्यवती नदी के हाल बदतर होते जा रहे हैं. द्रव्यवती नदी में भारी मात्रा में कचरा और काई जमा हो गई है. ऐसे में अब पानी की आवक को रोककर सफाई का कार्य शुरू किया गया है.
4 साल पहले अमानीशाह नाले को दोबारा द्रव्यवती नदी बनाने का सफर शुरू हुआ. लेकिन ये सफर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. फिलहाल जमीन के विवाद और कांट्रैक्ट मैनेजमेंट की कमी के चलते काम पूरी तरह ठप पड़ा है. आलम ये है कि सीवरेज के पानी को साफ करके नदी में डालने का काम तो दूर की बात, अब इसकी स्थिति नाले से भी बदतर होती जा रही है.
देखरेख के अभाव में शहर के सबसे बड़े प्रोजेक्ट की दुर्गति हो रही है. 47 किलोमीटर लंबी इस द्रव्यवती नदी में कुल 5 एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं, लेकिन आज तक एसटीपी प्लांट से नालों को जोड़ने का काम पूरा नहीं हो पाया है. नदी में आज भी सीवरेज का गंदा पानी आ रहा है. द्रव्यवती नदी के कई मुहाने तो ऐसे हैं, जहां भारी मात्रा में कचरा और काई जमा हो रही है, जो अब बीमारियों को भी न्योता दे रही है.
हालांकि जेडीए प्रशासन ने अब पानी की आवक को रोककर सफाई का काम जरूर शुरू किया है. इस संबंध में जेडीसी गौरव गोयल ने बताया कि मानसून के बाद द्रव्यवती के अनिकट पर सफाई की जा रही है. ये प्रोजेक्ट 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है. हालांकि अभी कहीं जमीनी विवाद है, तो कुछ कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट से संबंधित प्रकरण है. जिन्हें निस्तारित कर प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं. प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद 10 साल का ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस कांट्रेक्टर को दिया है. उन्होंने कहा कि 3 साइट के जमीनी प्रकरण कोर्ट में लंबित हैं. जिसमें प्रभावी पैरवी कर जल्द से जल्द समाधान का प्रयास किया जा रहा है.
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1800 करोड़ रुपए से भी ज्यादा के इस प्रोजेक्ट का काम टाटा प्रोजेक्ट्स को दिया गया था. प्रोजेक्ट के रखरखाव का जिम्मा भी अगले 10 सालों के लिए टाटा कंपनी के पास ही है, लेकिन प्रभावी मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण रखरखाव तो दूर की बात नदी फिर से नाले में तब्दील होती दिख रही है.