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स्पेशल: द्रव्यवती नदी को दे दिया कृत्रिम रूप, लेकिन पानी के मूल स्रोत से जोड़ने का कोई प्लान नहीं

राजधानी के द्रव्यवती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को बेस्ट स्मार्ट वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार ने इसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल करते हुए इस पर 1400 करोड़ से ज्यादा खर्च किए. लेकिन पूर्ववर्ती सरकार और प्रशासन ने द्रव्यवती नदी को बारहमासी प्राकृतिक नदी का रूप देने की कोई कोशिश नहीं की. देखें ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.

द्रव्यवती नदी, dravvati river
द्रव्यवती नदी
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Published : Jan 11, 2020, 7:00 PM IST

जयपुर. राजधानी के द्रव्यवती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को बेस्ट स्मार्ट वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. इस प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी एम्पावरिंग इंडिया अवॉर्ड से नवाजा जायेगा. भले ही पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने शहर के बीच से गुजरने वाले अमानीशाह नाले को एक बार फिर द्रव्यवती नदी का कृत्रिम रूप दिया हो. लेकिन प्रशासन ने अब तक द्रव्यवती नदी का उद्गम स्थल रहे नाहरगढ़ अभ्यारण की पहाड़ियों में मौजूद आथुनी बांध और यहां से बहने वाले झरनों से जोड़ने की कोई रूपरेखा ही तैयार नहीं की.

द्रव्यवती नदी को दे दिया कृत्रिम रूप

द्रव्यवती नदी जो कुछ समय पहले तक अमानीशाह नाले के रूप में बदल चुकी थी. इसके मूल स्वरूप को अब कृत्रिम नदी के रूप में बदल दिया गया है. इस नदी को पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया, और उस पर 1400 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए. लेकिन ना तो पूर्वर्ती सरकार ने द्रव्यवती नदी को बारहमासी प्राकृतिक नदी का रूप देने की कोशिश की ना ही प्रशासन ने. यही नहीं इस नदी के उद्गम स्थल को भी कृत्रिम नदी से नहीं जोड़ा.

ईटीवी भारत नाहरगढ़ अभयारण्य की पहाड़ियों में मौजूद द्रव्यवती नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचा. जहां आज भी झरने बहने के अंश मौजूद है. यही नहीं यहां मौजूद आथुनी बांध भी पूरी तरह टूट चुका है. बताया जाता है कि जब इस बांध में जल भरा रहता था, तब पहाड़ियों से झरने फूटा करते थे और शहर के बीच से गुजरते हुए नदी का रूप लेते थे.

पढ़ें- हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी, लेकिन कॉलेज में पढ़ाने के लिए फैकल्टी का संकट

हालांकि अब द्रव्यवती नदी की ये प्राकृतिक आभा कृत्रिम झील के रूप में विकसित की गई है. लेकिन इस नदी को बनाने में जितना पैसा खर्च किया गया है, उसका अनुमानित एक चौथाई खर्च कर इसे बारहमासी नदी के रूप में मूल स्वरूप दिया जा सकता था. बहरहाल, स्मार्ट सिटी एंपावरिंग इंडिया अवार्ड से इस प्रोजेक्ट को नवाजा जाना है.

ऐसे में एक बार फिर द्रव्यवती नदी चर्चा में आई है और जब चर्चा शुरू हो ही गई है तो क्यों ना द्रव्यवती नदी के मूल स्त्रोत को इससे जोड़ने की कवायद भी शुरू हो. जिससे सीवरेज के गंदे पानी के अलावा बरसाती दिनों में नाहरगढ़ की पहाड़ियों से बहने वाले झरने भी नदी के पानी का स्त्रोत बन सके.

जयपुर. राजधानी के द्रव्यवती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को बेस्ट स्मार्ट वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है. इस प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी एम्पावरिंग इंडिया अवॉर्ड से नवाजा जायेगा. भले ही पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने शहर के बीच से गुजरने वाले अमानीशाह नाले को एक बार फिर द्रव्यवती नदी का कृत्रिम रूप दिया हो. लेकिन प्रशासन ने अब तक द्रव्यवती नदी का उद्गम स्थल रहे नाहरगढ़ अभ्यारण की पहाड़ियों में मौजूद आथुनी बांध और यहां से बहने वाले झरनों से जोड़ने की कोई रूपरेखा ही तैयार नहीं की.

द्रव्यवती नदी को दे दिया कृत्रिम रूप

द्रव्यवती नदी जो कुछ समय पहले तक अमानीशाह नाले के रूप में बदल चुकी थी. इसके मूल स्वरूप को अब कृत्रिम नदी के रूप में बदल दिया गया है. इस नदी को पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया, और उस पर 1400 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए. लेकिन ना तो पूर्वर्ती सरकार ने द्रव्यवती नदी को बारहमासी प्राकृतिक नदी का रूप देने की कोशिश की ना ही प्रशासन ने. यही नहीं इस नदी के उद्गम स्थल को भी कृत्रिम नदी से नहीं जोड़ा.

ईटीवी भारत नाहरगढ़ अभयारण्य की पहाड़ियों में मौजूद द्रव्यवती नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचा. जहां आज भी झरने बहने के अंश मौजूद है. यही नहीं यहां मौजूद आथुनी बांध भी पूरी तरह टूट चुका है. बताया जाता है कि जब इस बांध में जल भरा रहता था, तब पहाड़ियों से झरने फूटा करते थे और शहर के बीच से गुजरते हुए नदी का रूप लेते थे.

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हालांकि अब द्रव्यवती नदी की ये प्राकृतिक आभा कृत्रिम झील के रूप में विकसित की गई है. लेकिन इस नदी को बनाने में जितना पैसा खर्च किया गया है, उसका अनुमानित एक चौथाई खर्च कर इसे बारहमासी नदी के रूप में मूल स्वरूप दिया जा सकता था. बहरहाल, स्मार्ट सिटी एंपावरिंग इंडिया अवार्ड से इस प्रोजेक्ट को नवाजा जाना है.

ऐसे में एक बार फिर द्रव्यवती नदी चर्चा में आई है और जब चर्चा शुरू हो ही गई है तो क्यों ना द्रव्यवती नदी के मूल स्त्रोत को इससे जोड़ने की कवायद भी शुरू हो. जिससे सीवरेज के गंदे पानी के अलावा बरसाती दिनों में नाहरगढ़ की पहाड़ियों से बहने वाले झरने भी नदी के पानी का स्त्रोत बन सके.

Intro:जयपुर - जयपुर के द्रव्यवती रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट को बेस्ट स्मार्ट वेस्ट वाटर प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है। इस प्रोजेक्ट को स्मार्ट सिटी एम्पावरिंग इंडिया अवॉर्ड से नवाजा जायेगा। भले ही पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने शहर के बीच से गुजरने अमानीशाह नाले को एक बार फिर द्रव्यवती नदी का कृत्रिम रूप दिया। लेकिन प्रशासन ने आज तलक द्रव्यवती नदी का उद्गम स्थल रहे नाहरगढ़ अभ्यारण की पहाड़ियों में मौजूद आथुनी बांध, और यहां से बहने वाले झरनों से जोड़ने की कोई रूपरेखा ही तैयार नहीं की गई।


Body:द्रव्यवती नदी, जो कुछ समय पहले तक अमानीशाह नाले के रूप में बदल चुकी थी। वो नदी जिसका मूल स्वरूप अब कृत्रिम नदी के रूप में बदल दिया गया। वो नदी जिसे पूर्वर्ती बीजेपी सरकार ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट बताया, और उस पर 1400 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए। लेकिन ना तो पूर्वर्ती सरकार ने और ना ही प्रशासन ने द्रव्यवती नदी को बारहमासी प्राकृतिक नदी का रूप देने की कोशिश की। और ना ही इस नदी के उद्गम स्थल को कृत्रिम नदी से जोड़ा।

ईटीवी भारत नाहरगढ़ अभयारण्य की पहाड़ियों में मौजूद द्रव्यवती नदी के उद्गम स्थल पर पहुंचा। जहां आज भी झरने बहने के अंश मौजूद है। यही नहीं यहां मौजूद आथुनी बांध भी पूरी तरह टूट चुका है। बताया जाता है कि जब इस बांध में जल भरा रहता था, तब पहाड़ियों से झड़ने फूटा करते थे। और यही झरने शहर के बीच से गुजरते हुए नदी का रूप लेते थे। हालांकि अब द्रव्यवती नदी की ये प्राकृतिक आभा कृत्रिम झील के रूप में विकसित की गई है। लेकिन इस नदी को बनाने में जितना पैसा खर्च किया गया है, उसका अनुमानित एक चौथाई खर्च कर इसे बारहमासी नदी के रूप में मूल स्वरूप दिया जा सकता था।


Conclusion:बहरहाल, स्मार्ट सिटी एंपावरिंग इंडिया अवार्ड से इस प्रोजेक्ट को नवाजा जाना है। ऐसे में एक बार फिर द्रव्यवती नदी चर्चा में आई है। और जब चर्चा शुरू हो ही गई है तो क्यों ना द्रव्यवती नदी के मूल स्त्रोत को इससे जोड़ने की कवायद भी शुरू हो। ताकि सीवरेज के गंदे पानी के अलावा बरसाती दिनों में नाहरगढ़ की पहाड़ियों से बहने वाले झरने भी नदी के पानी का स्त्रोत बन सके।
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