ETV Bharat / city

कोरोना की विदाई के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती- डॉ. मानचंद खंडेला - jaipur news

कोरोना का जितना प्रभाव सीधे देखने को मिल रहा है, उससे कहीं ज्यादा घातक अदृश्य प्रभाव है. ये कहना है अर्थशास्त्री डॉ. मानचंद खंडेला का. उन्होंने कोरोना संक्रमण को लेकर किए अपने विश्लेषण को ईटीवी भारत के साथ साझा करते हुए बताया कि जब कोरोना विदा हो जाएगा तब तक अर्थव्यवस्था में बहुत कुछ अलविदा हो जाएगा. उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि तब उत्पादन, विनिमय, वितरण, उपभोग, साहस, निवेश सब कुछ एक नए सिरे से प्रारंभ करना पड़ेगा.

Corona effect, राजस्थान में कोरोना वायरस,  अर्थशास्त्री डॉ मानचंद खंडेला,  corona transition in jaipur,  कोराना का कहर, राजस्थान में लॉकडाउन, jaipur news, rajasthan news
कोरोना का प्रभाव
author img

By

Published : Apr 2, 2020, 11:32 AM IST

जयपुर. देश में कोरोना संक्रमण का कहर बरप रहा है. पॉजीटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और इस पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने 21 दिन का लॉकडाउन किया है. इस लॉकडाउन में देश की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा. इसे लेकर अर्थशास्त्री डॉ. मानचंद खंडेला ने कहा कि कोरोना वायरस ने संसार के सभी देशों में बर्बादी का आलम पैदा कर दिया है. अभी तो इसका इलाज खोजने के लिए ही अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन पुख्ता सफलता नहीं मिल रही है.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती

आश्चर्य तो ये है कि इस वायरस ने चीन, इटली, अमेरिका जैसे विकसित देशों और ईरान, सऊदी अरब जैसे धार्मिक कहे जाने वाले देशों को कुछ ज्यादा प्रभावित किया है. उनकी सरकारों के द्वारा सब कुछ दाव पर लगा दिए जाने के बाद भी कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है. यही नहीं असल आंकड़ों को भी छुपाया जा रहा है. उन्होंने चीन में 80 लाख मोबाइल फोन बंद होने का कारण उनके यूजर्स का खत्म होना बताया. वहीं अमेरिका के सभी 50 राज्य इसकी चपेट में होने और इटली में मरने वालों के आंकड़े को चिंताजनक बताया. साथ ही सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं तहस-नहस हो जाने की बात कही है.

पढ़ेंः कोरोना संकट में मदद के लिए उठे हाथ, पूर्व मंत्री ने घर-घर जाकर की मदद

डॉ. खंडेला ने बताया कि जब भारत में रेल, सड़क, वायु यातायात बंद हैं, देश में लोकडाउन तक लगा दिया है. करीब-करीब सारी गतिविधियां अपनी जगह ठहर गई है, उत्पादन प्रक्रिया मंद पड़ गई है, करोड़ों की संख्या में लोग त्वरित रूप से बेरोजगार हो गए हैं, शिक्षण संस्थाएं बंद हैं. ऐसे में मानना पड़ेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका बहुत अधिक विपरीत प्रभाव पड़ा है.

साथ ही उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब कोरोना विदा हो जाएगा तब तक अर्थव्यवस्था में क्या-क्या अलविदा हो जाएगा. लगता है तब उत्पादन, विनिमय, वितरण, उपभोग, साहस, निवेश सब कुछ एक नए सिरे से प्रारंभ करना पड़ेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन उनकी भी अपनी वित्तीय सीमाएं हैं. ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जो पूंजीवादी आर्थिक नीतियां देश में चल रही थी, उन पर विराम लगाना ही पड़ेगा.

अब ये नहीं हो सकेगा कि 1% जनसंख्या देश के करीब दो तिहाई संपत्ति पर अधिकार कर ले, करोड़ों लोगों के रोजगार छीन लिए जाएं, छोटे उद्योग धंधे बंद होने की ओर अग्रसर हो जाएं, ऑनलाइन के नाम पर सारे करोड़ों छोटे बड़े व्यापार बंद करने के लिए मजबूर होने की स्थिति में पहुंच जाएं, सरकारें केवल विकास की बातें करती रहें. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकताएं केवल अभी तक सक्षम लोगों के कल्याण की रही है. सरकार को हर हालत में गरीब, उपेक्षित, बेरोजगार, ग्रामीण, असहाय, महिला, विद्यार्थी, मजदूर आदि वर्गों के बारे में ध्यान लगाना पड़ेगा.

पढ़ेंः राजस्थान में 450 तबलीगी जमात के लोगों को चिह्नित कर किया गया क्वॉरेंटाइन

डॉ. खंडेला ने सरकारों को वित्तीय प्रबंधन के साथ ही वित्तीय प्रशासन पर ध्यान देने और विकास को समान रूप से वितरण करने नसीहत दी. उन्होंने भारत को किसी अन्य देश की सहायता मिलने की सोच खत्म करते हुए, सरकार को बचत आधारित अर्थव्यवस्था के संदर्भ में सोचने, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को संरक्षण देने और फिजूल खर्चों को रोक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सूत्र दिया.

जयपुर. देश में कोरोना संक्रमण का कहर बरप रहा है. पॉजीटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और इस पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार ने 21 दिन का लॉकडाउन किया है. इस लॉकडाउन में देश की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा. इसे लेकर अर्थशास्त्री डॉ. मानचंद खंडेला ने कहा कि कोरोना वायरस ने संसार के सभी देशों में बर्बादी का आलम पैदा कर दिया है. अभी तो इसका इलाज खोजने के लिए ही अरबों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन पुख्ता सफलता नहीं मिल रही है.

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती

आश्चर्य तो ये है कि इस वायरस ने चीन, इटली, अमेरिका जैसे विकसित देशों और ईरान, सऊदी अरब जैसे धार्मिक कहे जाने वाले देशों को कुछ ज्यादा प्रभावित किया है. उनकी सरकारों के द्वारा सब कुछ दाव पर लगा दिए जाने के बाद भी कोरोना संक्रमण पर नियंत्रण नहीं किया जा सका है. यही नहीं असल आंकड़ों को भी छुपाया जा रहा है. उन्होंने चीन में 80 लाख मोबाइल फोन बंद होने का कारण उनके यूजर्स का खत्म होना बताया. वहीं अमेरिका के सभी 50 राज्य इसकी चपेट में होने और इटली में मरने वालों के आंकड़े को चिंताजनक बताया. साथ ही सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं तहस-नहस हो जाने की बात कही है.

पढ़ेंः कोरोना संकट में मदद के लिए उठे हाथ, पूर्व मंत्री ने घर-घर जाकर की मदद

डॉ. खंडेला ने बताया कि जब भारत में रेल, सड़क, वायु यातायात बंद हैं, देश में लोकडाउन तक लगा दिया है. करीब-करीब सारी गतिविधियां अपनी जगह ठहर गई है, उत्पादन प्रक्रिया मंद पड़ गई है, करोड़ों की संख्या में लोग त्वरित रूप से बेरोजगार हो गए हैं, शिक्षण संस्थाएं बंद हैं. ऐसे में मानना पड़ेगा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका बहुत अधिक विपरीत प्रभाव पड़ा है.

साथ ही उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जब कोरोना विदा हो जाएगा तब तक अर्थव्यवस्था में क्या-क्या अलविदा हो जाएगा. लगता है तब उत्पादन, विनिमय, वितरण, उपभोग, साहस, निवेश सब कुछ एक नए सिरे से प्रारंभ करना पड़ेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार भले ही लाख दावे कर रही हो लेकिन उनकी भी अपनी वित्तीय सीमाएं हैं. ऐसे में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए जो पूंजीवादी आर्थिक नीतियां देश में चल रही थी, उन पर विराम लगाना ही पड़ेगा.

अब ये नहीं हो सकेगा कि 1% जनसंख्या देश के करीब दो तिहाई संपत्ति पर अधिकार कर ले, करोड़ों लोगों के रोजगार छीन लिए जाएं, छोटे उद्योग धंधे बंद होने की ओर अग्रसर हो जाएं, ऑनलाइन के नाम पर सारे करोड़ों छोटे बड़े व्यापार बंद करने के लिए मजबूर होने की स्थिति में पहुंच जाएं, सरकारें केवल विकास की बातें करती रहें. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकताएं केवल अभी तक सक्षम लोगों के कल्याण की रही है. सरकार को हर हालत में गरीब, उपेक्षित, बेरोजगार, ग्रामीण, असहाय, महिला, विद्यार्थी, मजदूर आदि वर्गों के बारे में ध्यान लगाना पड़ेगा.

पढ़ेंः राजस्थान में 450 तबलीगी जमात के लोगों को चिह्नित कर किया गया क्वॉरेंटाइन

डॉ. खंडेला ने सरकारों को वित्तीय प्रबंधन के साथ ही वित्तीय प्रशासन पर ध्यान देने और विकास को समान रूप से वितरण करने नसीहत दी. उन्होंने भारत को किसी अन्य देश की सहायता मिलने की सोच खत्म करते हुए, सरकार को बचत आधारित अर्थव्यवस्था के संदर्भ में सोचने, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों को संरक्षण देने और फिजूल खर्चों को रोक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का सूत्र दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.