जयपुर. परकोटे की दीवार को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए डीपीआर तो तैयार कर दी गई है. हालांकि इसे अभी टेक्निकल हेरिटेज कमेटी से अप्रूवल नहीं मिला है. वहीं, अब स्मार्ट सिटी और नगर निगम की ओर से परकोटा क्षेत्र में जो भी कार्य किए जाएंगे, उन्हें यूनेस्को की हेरिटेज इंपैक्ट एसेसमेंट पॉइंट के आधार पर ही किया जाएगा.
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राजधानी के परकोटे पर यूनेस्को से मिले तमगे के छिन जाने का खतरा मंडरा रहा है. सरकार को 2022 में यूनेस्को को जयपुर का पूरा प्लान पेश करना है कि किस तरह जयपुर में प्राचीन शहर का संरक्षण होगा, लेकिन यूनेस्को की गाइडलाइन को नजरअंदाज करते हुए विरासत पर अतिक्रमण चढ़ा हुआ है.
बीते दिनों हुए ड्रोन सर्वे से 3100 अतिक्रमण की सूची तैयार हुई, लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं हो रही. वहीं स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट के कामों में भी गाइडलाइन को फॉलो नहीं किया जा रहा. चौगान स्टेडियम में बनाया जा रहा स्पोर्ट्स कंपलेक्स, दरबार स्कूल का नवनिर्माण इसके बड़े उदाहरण हैं.
हालांकि स्मार्ट सिटी के सीईओ और हेरिटेज नगर निगम के कमिश्नर अवधेश मीणा ने कहा कि परकोटे की दीवार पर किए गए अतिक्रमण पर टेक्निकल हेरिटेज कमेटी काम कर रही है. फिलहाल, अतिक्रमण को लेकर एक डीपीआर तैयार की गई है. इस डीपीआर पर टेक्निकल हेरिटेज कमेटी के अप्रूवल का इंतजार है और अप्रूवल के बाद वॉल को रिस्टोर करने का टेंडर लगा दिया जाएगा.
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उन्होंने बताया कि यूनेस्को की साफ-सुथरी गाइडलाइन है, और इस संबंध में 2 से 3 महीने में मीटिंग भी होती है. इसी में एक हेरिटेज इंपैक्ट एसेसमेंट का पॉइंट है. उसी को आधार बनाकर टेक्निकल हेरिटेज कमेटी और कंजर्वेशन आर्किटेक्ट से अप्रूवल के बाद ही स्मार्ट सिटी और हेरिटेज निगम के कार्य होंगे. बहरहाल, यूनेस्को की गाइडलाइन को ताक पर रखकर यदि परकोटा क्षेत्र में निर्माण कार्य जारी रहते हैं, तो विश्व विरासत की सूची से बाहर हुए लिवरपूल के बाद जयपुर के परकोटे का भी नंबर आ सकता है.