अलवर. अलवर जिले को राजस्थान की औद्योगिक राजधानी कहा जाता है. अलवर में 20 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें विदेशी कंपनी, छोटे और बड़े उद्योग शामिल हैं. अलवर में डेढ़ करोड़ से कम आय वाले 20 हजार फर्म की तरफ से सेल टैक्स विभाग को हर माह टैक्स दिया जाता है. इसके अलावा 15 हजार अन्य तरह की औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें 200 से 300 मल्टीनेशनल कंपनियां और करीब 700 बड़े कारोबारी हैं.
अलवर में ऑटोमोबाइल की चार बड़ी कंपनियां हैं, इसमें हीरो मोटोको, अशोक लीलैंड, होंडा कार और होंडा मोटरसाइकिल शामिल है. इसके अलावा 50 से अधिक इनकी सहयोगी कंपनियां हैं, जो बड़ी कंपनियों को पार्ट्स और अन्य सामान बनाकर देती हैं. इसी तरह से आयरन और स्टील के क्षेत्र में कामधेनु, राठी, मेट्रो और सिनर्जी स्टील जैसी बड़ी कंपनियों के अलावा 25 से अधिक छोटी कंपनियां हैं. वहीं सेनेटरी वेयर में कजारिया, रोका और पैरीवेयर सहित कई नामी कंपनियां हैं, जिनमें हजारों लोग काम करते हैं.
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एक नजर सेल टैक्स विभाग के आंकड़ों पर
- ऑटोमोबाइल की कंपनियों से हर माह 23 हजार 616.80 लाख का टैक्स मिला था, जबकि अभी इनसे 21 हजार 204.40 लाख का टैक्स मिल रहा है. ग्रोथ रेट में 10.21 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
- स्टील आयरन क्षेत्र में पहले 8,397.61 लाख का राजस्व मिलता था, लेकिन अब 7,370.24 लाख का राजस्व मिलता है. इस क्षेत्र में 12.23 लाख की गिरावट दर्ज की गई है.
- ऑटो पार्ट्स से जुड़ी हुई औद्योगिक इकाइयों से सेल टैक्स सरकार को 15,165.11 लाख का राजस्व मिलता है, इसमें भी कमी आई है. इस बार 12,548.2 लाख का राजस्व मिला है. इसमें 17.26 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
- सेनेट्रीवेयर से 720.44 लाख का राजस्व मिला था, इसमें भारी गिरावट दर्ज की गई है. काम धंधे बंद होने के कारण नए निर्माण नहीं होने के कारण इस बार 422.21 लाख का राजस्व मिला है, जिसमें 41.41 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
- प्लास्टिक की औद्योगिक इकाइयों से 7,339 करोड़ का राजस्व मिला था. इस बार 594.88 लाख का राजस्व मिला है. इसमें 23 प्रतिशत से ज्यादा की कमी दर्ज की गई है.
- केमिकल के क्षेत्र में 21.45 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है.
- ऑयल सीड्स में 7 प्रतिशत, एयर में 7 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स में 22 प्रतिशत, गैस में 54 प्रतिशत सहित कई अन्य क्षेत्र में भी लगातार गिरावट हो रही है, जिसके चलते लोगों के रोजगार छूट रहे हैं.
- सरकार को मिलने वाले टैक्स में कमी आई है. सरकारी विभाग खासा प्रभावित हो रहा है.
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सेल टैक्स विभाग के आंकड़ों से साफ है कि कोरोना काल के बाद से लगातार देश की अर्थव्यवस्था खराब हो रही है. अलवर से प्रदेश सरकार को हर महा 100 से 130 करोड़ का राजस्व अधिकारियों से मिलता है. सरकार की तरफ से नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का काम किया जा रहा है. उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं भी शुरू की गई हैं.
200 कंपनियां देती हैं, 60 प्रतिशत राजस्व
अलवर में नीमराणा, भिवाड़ी, खुशखेड़ा, टपूकड़ा, बानसूर, मुंडावर, तिजारा, राजगढ़, बहरोड़, अलवर, एमआईए, थानागाजी सहित छोटे-बड़े कई औद्योगिक क्षेत्र हैं. इनमें 20,000 से अधिक औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें से 200 कंपनियां डेढ़ सौ करोड़ में से 60 प्रतिशत राजस्व देती हैं. जबकि अन्य हजारों कंपनी मात्र 40 प्रतिशत राजस्व दे पाती हैं.