जयपुर. उदयपुर के हितेंद्र गरासिया की बॉडी की उनके परिजनों ने पहचान (Hitendra Garasiya family identified his dead body) कर ली है. अब शव के डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं है. एफएसएल मेडिकल टीम ने सतर्कता के साथ ताबूत से बॉडी को बाहर निकालकर हितेंद्र के परिवार से पहचान प्रकिया शुरू की.
एसएमएस अस्पताल में हितेंद्र के शव की शिनाख्त की प्रक्रिया पूरी हो गई है. हितेंद्र की पत्नी आशा, पुत्र पीयूष, बेटी उर्वशी व भाई नटवर ने शव की पहचान की. हितेंद्र का चेहरा पूरी तरह से सुरक्षित है. उसकी पीठ और पेट भी वही निशान मिले हैं. अब डीएनए टेस्ट की आवश्यकता नहीं रह गई है. परिजनों के आग्रह पर पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हितेंद्र के परिवार की इस मामले में शुरू से मदद कर रहे चर्मेश शर्मा भी शव पहचान प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे.
इससे पहले हितेंद्र का शव रूस से आए बॉक्स में ही पैक एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. दिल्ली एयरपोर्ट की टीम ने यह तर्क देकर बॉक्स खोलने से इंकार कर दिया था कि बॉक्स खोलने पर किसी तरह का केमिकल रिएक्शन हो सकता है.
गौरतलब है कि उदयपुर के हितेंद्र गरासिया की मौत रूस में पिछले साल 17 जुलाई को हो गई थी. उनके शव को भारत लाने के लिए अपील की गई, लेकिन औपचारिकताओं के चलते शव भारत नहीं लाया जा सका. करीब 6 महीने से ज्यादा के संघर्ष के बाद शव लाया गया है. इससे पहले हितेंद्र के पूरे परिवार ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय के सामने शव भारत लाने की गुजारिश की थी. इसी बीच यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भारत सरकार को 14 फरवरी तक का समय दिया और कहा कि किसी भी सूरत में शव भारत लाने की व्यवस्था की जाए.