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Hitendra Garasiya case: रूस से जयपुर लाया गया हितेंद्र का शव: परिजनों ने की पहचान, अब DNA टेस्ट की जरूरत नहीं - Blood sample for Hitendra Garasiya body DNA test

उदयपुर के हितेंद्र गरासिया का शव आखिरकार भारत लाया जा चुका है. शव को जयपुर के एसएमएस अस्पताल (Hitendra Garasiya dead body in SMS) में रखवाया गया है. परिजनों ने शव की शिनाख्त कर ली है. अब शव के डीएनए की आवश्यकता नहीं रह गई है.

DNA test of Hitendra Garasiya dead body
डीएनए टेस्ट को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति
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Published : Feb 7, 2022, 5:09 PM IST

Updated : Feb 7, 2022, 7:45 PM IST

जयपुर. उदयपुर के हितेंद्र गरासिया की बॉडी की उनके परिजनों ने पहचान (Hitendra Garasiya family identified his dead body) कर ली है. अब शव के डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं है. एफएसएल मेडिकल टीम ने सतर्कता के साथ ताबूत से बॉडी को बाहर निकालकर हितेंद्र के परिवार से पहचान प्रकिया शुरू की.

एसएमएस अस्पताल में हितेंद्र के शव की शिनाख्त की प्रक्रिया पूरी हो गई है. हितेंद्र की पत्नी आशा, पुत्र पीयूष, बेटी उर्वशी व भाई नटवर ने शव की पहचान की. हितेंद्र का चेहरा पूरी तरह से सुरक्षित है. उसकी पीठ और पेट भी वही निशान मिले हैं. अब डीएनए टेस्ट की आवश्यकता नहीं रह गई है. परिजनों के आग्रह पर पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हितेंद्र के परिवार की इस मामले में शुरू से मदद कर रहे चर्मेश शर्मा भी शव पहचान प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे.

पढ़ें: Hitendra Garasiya Case : 200 दिन बाद भी दर-दर भटक रहा परिवार, बेटा बोला- मां की तबीयत खराब, लेकिन सरकार नहीं कर रही मदद

इससे पहले हितेंद्र का शव रूस से आए बॉक्स में ही पैक एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. दिल्ली एयरपोर्ट की टीम ने यह तर्क देकर बॉक्स खोलने से इंकार कर दिया था कि बॉक्स खोलने पर किसी तरह का केमिकल रिएक्शन हो सकता है.

पढ़ें: 6 माह के संघर्ष के बाद हितेंद्र गरासिया का शव पहुंचा भारत, औपचारिकताएं पूरी कर पार्थिव देह के साथ दिल्ली से उदयपुर रवाना हुए परिजन

गौरतलब है कि उदयपुर के हितेंद्र गरासिया की मौत रूस में पिछले साल 17 जुलाई को हो गई थी. उनके शव को भारत लाने के लिए अपील की गई, लेकिन औपचारिकताओं के चलते शव भारत नहीं लाया जा सका. करीब 6 महीने से ज्यादा के संघर्ष के बाद शव लाया गया है. इससे पहले हितेंद्र के पूरे परिवार ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय के सामने शव भारत लाने की गुजारिश की थी. इसी बीच यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भारत सरकार को 14 फरवरी तक का समय दिया और कहा कि किसी भी सूरत में शव भारत लाने की व्यवस्था की जाए.

जयपुर. उदयपुर के हितेंद्र गरासिया की बॉडी की उनके परिजनों ने पहचान (Hitendra Garasiya family identified his dead body) कर ली है. अब शव के डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं है. एफएसएल मेडिकल टीम ने सतर्कता के साथ ताबूत से बॉडी को बाहर निकालकर हितेंद्र के परिवार से पहचान प्रकिया शुरू की.

एसएमएस अस्पताल में हितेंद्र के शव की शिनाख्त की प्रक्रिया पूरी हो गई है. हितेंद्र की पत्नी आशा, पुत्र पीयूष, बेटी उर्वशी व भाई नटवर ने शव की पहचान की. हितेंद्र का चेहरा पूरी तरह से सुरक्षित है. उसकी पीठ और पेट भी वही निशान मिले हैं. अब डीएनए टेस्ट की आवश्यकता नहीं रह गई है. परिजनों के आग्रह पर पोस्टमार्टम प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. हितेंद्र के परिवार की इस मामले में शुरू से मदद कर रहे चर्मेश शर्मा भी शव पहचान प्रक्रिया के दौरान मौजूद रहे.

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इससे पहले हितेंद्र का शव रूस से आए बॉक्स में ही पैक एसएमएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया. दिल्ली एयरपोर्ट की टीम ने यह तर्क देकर बॉक्स खोलने से इंकार कर दिया था कि बॉक्स खोलने पर किसी तरह का केमिकल रिएक्शन हो सकता है.

पढ़ें: 6 माह के संघर्ष के बाद हितेंद्र गरासिया का शव पहुंचा भारत, औपचारिकताएं पूरी कर पार्थिव देह के साथ दिल्ली से उदयपुर रवाना हुए परिजन

गौरतलब है कि उदयपुर के हितेंद्र गरासिया की मौत रूस में पिछले साल 17 जुलाई को हो गई थी. उनके शव को भारत लाने के लिए अपील की गई, लेकिन औपचारिकताओं के चलते शव भारत नहीं लाया जा सका. करीब 6 महीने से ज्यादा के संघर्ष के बाद शव लाया गया है. इससे पहले हितेंद्र के पूरे परिवार ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय के सामने शव भारत लाने की गुजारिश की थी. इसी बीच यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में भारत सरकार को 14 फरवरी तक का समय दिया और कहा कि किसी भी सूरत में शव भारत लाने की व्यवस्था की जाए.

Last Updated : Feb 7, 2022, 7:45 PM IST
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