जयपुर. कटारिया द्वारा लिखे गए पत्र में इस पूरे घटनाक्रम को दुर्भाग्य का विषय बताया और यह भी लिखा कि 31 दिसंबर को जारी स्थानांतरण सूची को केवल इसलिए रोका गया था कि रुक्टा नाम के एक शिक्षक संगठन ने उसमें संघ की विचारधारा से जुड़े शिक्षकों के नाम होने का आरोप लगाया था. कटारिया ने लिखा कि शिक्षक संगठनों की आपसी प्रतिस्पर्धा या पसंद नापसंद हो सकती है, लेकिन उच्च शिक्षा मंत्री और आपसे तो समाज निष्पक्ष और व्यापक हित में निर्णय की अपेक्षा करता है.
कटारिया ने लिखा कि जिस तरह आप के कार्यालय और उच्च शिक्षा मंत्री की भूमिका इस मामले में निकल कर सामने आई है, इससे संपूर्ण उच्च शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व चिंता और गिरावट का माहौल बन गया है. कटारिया ने अपने पत्र में लिखा कि तथाकथित कांग्रेस विचारधारा से जुड़ी एक कर्मचारी संगठन के नेता के बोलने पर आपके कार्यालय ने ना केवल अपने ही मंत्री की जारी सूची रोकी, बल्कि संशोधित जारी सूची में 1 शिक्षक संगठन के महामंत्री द्वारा कुछ शिक्षकों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े होने के आरोप पर उन शिक्षकों को आपने वर्तमान पदस्थापन स्थान से 100 से 200 किलोमीटर आगे पद स्थापित करने के निर्देश भी जारी कर दिए.
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कटारिया ने आरोप लगाया कि प्रताड़ना का यह हाल तब है जब आप की सरकार आते ही बदले की भावना से इन शिक्षकों सहित रुक्टा राष्ट्रीय से जुड़े होने का आधार बनाकर सैकड़ों कॉलेज शिक्षकों को 400 से 500 किलोमीटर दूर तक स्थानांतरण कर दिया गया था. कटारिया ने कहा कि आखिर इस द्वेष का नतीजा क्या निकलने वाला है. मैं मानता हूं कि सरकार आएगी और जाएगी, लेकिन सरकार चलाने के कुछ न्यूनतम नियमों की पालना करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
कटारिया ने मांग की कि आप राज्य के मुखिया हैं और इस नाते आपसे उम्मीद है कि एक शिक्षक संगठन के कार्यकर्ता की भांति व्यवहार करने के स्थान पर सब के संरक्षक के पक्ष में निर्णय लेंगे. आशा है कि आप मेरे इस पत्र पर सकारात्मक रूप से चिंतन करते हुए मुख्यमंत्री के रूप में निष्पक्ष निर्णय लेकर प्रताड़ित शिक्षकों के साथ न्याय करेंगे.