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दो साल तक विवादों में ही उलझी रही सरकार, कभी कुर्सी बचाने में तो कभी विपक्ष से जूझते दिखे गहलोत

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Published : Dec 17, 2020, 3:28 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 5:36 PM IST

अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे हो गए हैं. अब सरकार अपने तीसरे साल में प्रवेश करने जा रही है. दो साल के कार्यकाल में अशोक गहलोत सरकार जनता की कसौटी पर कितना खरी उतरी, इस विशेष मौके पर ईटीवी भारत ने एक परिचर्चा का आयोजन किया. देखिये इस चर्चा में क्या रहा खास...

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अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे हो गए हैं...

जयपुर. अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे हो गए हैं. इसके साथ ही सरकार अपने तीसरे साल में प्रवेश करने जा रही है. 17 दिसंबर 2018 को अशोक गहलोत ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. इन दो साल के कार्यकाल में अशोक गहलोत सरकार जनता की कसौटी पर कितना खरी उतरी, इसकी चर्चा प्रदेश के सियासी गलियारों के साथ-साथ आम जुबान पर भी कायम है.

ईटीवी भारत की परिचर्चा में प्रदेश की समस्याओं को लेकर खुलकर बात हुई....

ऐसे में ईटीवी भारत ने इस विशेष मौके पर एक परिचर्चा का आयोजन किया. जिसमें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, राज्य के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा शामिल रहे. चर्चा में राजस्थान ब्यूरो चीफ अश्निनी पारीक और दिल्ली के स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत ने मेहमानों के साथ सवाल-जवाब में राजस्थान की नब्ज को टटोलने की कोशिश की.

चुनावी घोषणाओं पर चर्चा...

ईटीवी भारत की परिचर्चा में प्रदेश की समस्याओं को लेकर खुलकर बात हुई. इस दौरान राजस्थान सरकार के चुनावी घोषणा पत्र, जिसे जन घोषणा पत्र का नाम दिया गया,उस पर भी चर्चा की गई. राजस्थान सरकार ने अपने कार्यकाल को पूरा करने के बाद इसी साल अक्टूबर में इस बात का दावा किया था कि चुनाव पूर्व किए गये 501 वादों में से सरकार ने 252 को पूरा कर लिया है, साथ ही 173 प्रक्रियाधीन है. वहीं, 85 प्रतिशत वादे ऐसे हैं जो या तो पूरे हो चुके हैं या उनपर अमल जारी है.

चुनावी घोषणाओं पर चर्चा...

पढ़ें: रिपोर्ट कार्डः 2 साल...गहलोत सरकार...कैसे हाल?...कितने वादे पूरे...कितने अधूरे

इस चर्चा के दौरान दो बरस की उपलब्धियों पर कोरोना संकट और राज्य सरकार के सियासी संकट की भी बात हुई. जिसमें बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि जनता से ज्यादा राज्य सरकार खुद को बचाने में लगी हुई है. वहीं, मंत्री हरीश चौधरी ने प्रत्यारोप में ये कहा कि भाजपा को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए. जहां चेहरे की लड़ाई है, वहां दूसरे के दामन पर कीचड़ नहीं उछाला जा सकता है. वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा ने कहा कि दोनों दलों में कमजोरी के हालात नहीं हैं, बल्कि दोनों ही दल आंतरिक कलह से प्रभावित हैं, जिसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है.

दो बरस की उपलब्धियों पर चर्चा...

राजस्थान में जारी स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल...

ईटीवी भारत ने इस परिचर्चा में राजस्थान में जारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़ा किया. खास तौर पर जनता क्लिनिक और मुफ्त दवा और जांच योजना का जिक्र किया गया. जाहिर है कि एक साल पहले शुरू हुई जनता क्लिनिक के प्रस्ताव के मुताबिक, राज्य में अब तक 100 क्लिनिक खोले जाने थे, लेकिन ये काम महज 12 की संख्या से आगे नहीं बढ़ सका. इन जनता क्लिनिक पर 6 से 8 जांच मुफ्त की जानी थी और तीन दर्जन जरूरी दवाओं का मुफ्त वितरण किया जाना था. इसी प्रकार कोटा के जेके लोन अस्पताल में जारी नवजातों की मौत और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार का सवाल पर उठा, लेकिन इस मसले पर ना तो सरकार के पास कोई जवाब था और ना ही विपक्ष के पास इसके सवाल नजर आए.

पढ़ें: रिपोर्ट कार्डः 2 साल...गहलोत सरकार...कैसे हाल?...कितने वादे पूरे...कितने अधूरे

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारों को भत्ता और सरकार के अंतर्कलह के सवाल उठाकर सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठाए, वहीं हाल में हुए पंचायत और निकाय चुनाव के नतीजों को सरकार के खिलाफ जनमत के विरोध के रूप में पेश करने की कोशिश की. दूसरी ओर हरीश चौधरी ने भी माना कि हाल में हुए चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए आशा के मुताबिक नहीं रहे, लेकिन इन नतीजों का फायदा बीजेपी को भी नहीं मिल सका.

समस्याओं पर खुलकर बात हुई...

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा ने कहा कि राजस्थान की जनता को मौजूदा सरकार से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि आने वाले सालों में भी सरकार के सामने चुनौतियां जारी रहेंगी. ना तो सरकार के पास केंद्र से मदद पहुंच पा रही है और ना ही जीएसटी का कलेक्शन हो पाया है. ऐसे में बिना पैसे सरकार को चलाना और आंतरिक कलह से निपट पाना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है.

जयपुर. अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल के दो साल पूरे हो गए हैं. इसके साथ ही सरकार अपने तीसरे साल में प्रवेश करने जा रही है. 17 दिसंबर 2018 को अशोक गहलोत ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. इन दो साल के कार्यकाल में अशोक गहलोत सरकार जनता की कसौटी पर कितना खरी उतरी, इसकी चर्चा प्रदेश के सियासी गलियारों के साथ-साथ आम जुबान पर भी कायम है.

ईटीवी भारत की परिचर्चा में प्रदेश की समस्याओं को लेकर खुलकर बात हुई....

ऐसे में ईटीवी भारत ने इस विशेष मौके पर एक परिचर्चा का आयोजन किया. जिसमें भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, राज्य के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा शामिल रहे. चर्चा में राजस्थान ब्यूरो चीफ अश्निनी पारीक और दिल्ली के स्टेट हेड विशाल सूर्यकांत ने मेहमानों के साथ सवाल-जवाब में राजस्थान की नब्ज को टटोलने की कोशिश की.

चुनावी घोषणाओं पर चर्चा...

ईटीवी भारत की परिचर्चा में प्रदेश की समस्याओं को लेकर खुलकर बात हुई. इस दौरान राजस्थान सरकार के चुनावी घोषणा पत्र, जिसे जन घोषणा पत्र का नाम दिया गया,उस पर भी चर्चा की गई. राजस्थान सरकार ने अपने कार्यकाल को पूरा करने के बाद इसी साल अक्टूबर में इस बात का दावा किया था कि चुनाव पूर्व किए गये 501 वादों में से सरकार ने 252 को पूरा कर लिया है, साथ ही 173 प्रक्रियाधीन है. वहीं, 85 प्रतिशत वादे ऐसे हैं जो या तो पूरे हो चुके हैं या उनपर अमल जारी है.

चुनावी घोषणाओं पर चर्चा...

पढ़ें: रिपोर्ट कार्डः 2 साल...गहलोत सरकार...कैसे हाल?...कितने वादे पूरे...कितने अधूरे

इस चर्चा के दौरान दो बरस की उपलब्धियों पर कोरोना संकट और राज्य सरकार के सियासी संकट की भी बात हुई. जिसमें बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने आरोप लगाते हुए कहा कि जनता से ज्यादा राज्य सरकार खुद को बचाने में लगी हुई है. वहीं, मंत्री हरीश चौधरी ने प्रत्यारोप में ये कहा कि भाजपा को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए. जहां चेहरे की लड़ाई है, वहां दूसरे के दामन पर कीचड़ नहीं उछाला जा सकता है. वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा ने कहा कि दोनों दलों में कमजोरी के हालात नहीं हैं, बल्कि दोनों ही दल आंतरिक कलह से प्रभावित हैं, जिसका खामियाजा जनता को उठाना पड़ रहा है.

दो बरस की उपलब्धियों पर चर्चा...

राजस्थान में जारी स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल...

ईटीवी भारत ने इस परिचर्चा में राजस्थान में जारी स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़ा किया. खास तौर पर जनता क्लिनिक और मुफ्त दवा और जांच योजना का जिक्र किया गया. जाहिर है कि एक साल पहले शुरू हुई जनता क्लिनिक के प्रस्ताव के मुताबिक, राज्य में अब तक 100 क्लिनिक खोले जाने थे, लेकिन ये काम महज 12 की संख्या से आगे नहीं बढ़ सका. इन जनता क्लिनिक पर 6 से 8 जांच मुफ्त की जानी थी और तीन दर्जन जरूरी दवाओं का मुफ्त वितरण किया जाना था. इसी प्रकार कोटा के जेके लोन अस्पताल में जारी नवजातों की मौत और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार का सवाल पर उठा, लेकिन इस मसले पर ना तो सरकार के पास कोई जवाब था और ना ही विपक्ष के पास इसके सवाल नजर आए.

पढ़ें: रिपोर्ट कार्डः 2 साल...गहलोत सरकार...कैसे हाल?...कितने वादे पूरे...कितने अधूरे

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारों को भत्ता और सरकार के अंतर्कलह के सवाल उठाकर सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठाए, वहीं हाल में हुए पंचायत और निकाय चुनाव के नतीजों को सरकार के खिलाफ जनमत के विरोध के रूप में पेश करने की कोशिश की. दूसरी ओर हरीश चौधरी ने भी माना कि हाल में हुए चुनावों के नतीजे कांग्रेस के लिए आशा के मुताबिक नहीं रहे, लेकिन इन नतीजों का फायदा बीजेपी को भी नहीं मिल सका.

समस्याओं पर खुलकर बात हुई...

वहीं, वरिष्ठ पत्रकार प्रतुल सिन्हा ने कहा कि राजस्थान की जनता को मौजूदा सरकार से ज्यादा उम्मीदें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि आने वाले सालों में भी सरकार के सामने चुनौतियां जारी रहेंगी. ना तो सरकार के पास केंद्र से मदद पहुंच पा रही है और ना ही जीएसटी का कलेक्शन हो पाया है. ऐसे में बिना पैसे सरकार को चलाना और आंतरिक कलह से निपट पाना मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है.

Last Updated : Dec 17, 2020, 5:36 PM IST
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