जयपुर. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (Jaipur Literature Festival) के लाइव सेशन के दूसरे दिन फ्रंट लॉन में 'अटल बिहारी वाजपेयी: द पर्सनल एंड द पॉलीटिकल' विषय पर चर्चा की गई. इस दौरान लेखक सागरिका घोष ने अपने विचार रखे. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को मंत्रमुग्ध करने वाले वक्ता, गठबंधन निर्माता, बुद्धिमान राजनेता बताते हुए उनके करीबी रहे लालकृष्ण आडवाणी और उनके संबंधों पर भी प्रकाश डाला.
इसके साथ ही कहा कि वह भले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से रहे हों, लेकिन फिर भी दूसरे दलों के नेता उनके मुरीद थे. वहीं दरबार हॉल में हुए एक सत्र में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने लेखक विलियम डालरिंपल को इंट्रोड्यूस करते हुए उनकी किताबों पर चर्चा की. हालांकि इस दौरान मौजूद रहे श्रोताओं ने शशि थरूर से भी सवाल पूछने की कोशिश की, जिन से वो बचते नजर आए.
जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन कई ज्वलंत विषयों से सम्बंधित सत्रों में वक्ताओं की भरमार रही. दूसरे दिन की शुरुआत योग इंस्ट्रक्टर सुमित थाल्वल ने प्राणायाम से हुई. वहीं शास्त्रीय गायिका आस्था गोस्वामी ने तबले और हार्मोनियम के संयोजन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. साहित्यिक उत्सव में आयोजित एक सत्र में सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के सेवानिवृत्त जज जस्टिस मदन बी. लोकुर, मेकर्स ऑफ़ मॉडर्न दलित हिस्ट्री के लेखक गुरु प्रकाश पासवान और भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त नवीन बी. चावला से संवाद किया गया.
इसमें चुनाव प्रक्रिया पर पूछे गए सवाल के जवाब में चावला ने कहा कि जिन राष्ट्रों ने भारत के साथ या उसके आसपास आजादी हासिल की थी उनकी लोकतांत्रिक हालत को देखें तो समझ जाएंगे कि आज़ादी के बाद से अब तक भारत में ही हर चुनाव ठीक समय कराया गया है. वहीं दरबार हॉल में हुए सत्र में भारत के पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले, स्टेट फॉर यूरोपियन अफेयर्स के पूर्व ब्रूनो मकाएस, बांग्लादेशी पत्रकार महफूज़ अनम, नेशनल स्ट्रेटेजिक अफेयर्स की एडिटर ज्योति मल्होत्रा से पाकिस्तान में भारत के पूर्व हाई कमिश्नर टीसीए राघवन ने संवाद किया. जिसमें उभरते वर्ल्ड ऑर्डर और भविष्य के दृष्टिकोण पर बात की गई.
वहीं एक दिलचस्प सत्र में भारतीय पत्रकार उदय माहुरकर और उपन्यासकार मकरंद आर परांजपे ने अपनी किताब, वीर सावरकर: लाइफ एंड लीगेसी के माध्यम से गाँधी, सावरकर और हिंदूत्व पर अपने विचार रखे. इस सत्र का संचालन पत्रकार मंदिरा नायर ने किया.