जयपुर. नवंबर अंत में राजस्थान डिस्कॉम के लिए 1,070 मेगावाट की बीड खोली गई, जिसमें 600 मेगावाट के लिए दो रुपए प्रति यूनिट दर आई. वहीं 470 मेगावाट के लिए दो रुपए 1 पैसे की प्रति यूनिट की दर आई. ये दरें सोलर एनर्जी के क्षेत्र में अब तक की सबसे न्यूनतम दर है. राजस्थान में शुरुआती दिनों में यानी साल 2010 में 17 रुपए 19 पैसे प्रति यूनिट तक सौर ऊर्जा खरीदी गई थी. ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला के अनुसार राजस्थान में सौर ऊर्जा की असीम संभावना है. सरकार की नीतियों के चलते अब इसका उचित उपयोग भी हो रहा है.
राजस्थान में 1 लाख 42 हजार मेगावाट बिजली पैदा करने जितना सोलर रेडिएशन है. पवन ऊर्जा की बात की जाए तो प्रदेश में एक लाख 27 हजार मेगावाट बिजली पवन ऊर्जा के माध्यम से जनरेट हो सकती है. राजस्थान देश का एकमात्र ऐसा प्रदेश है, जहां साल में 365 में से 325 से अधिक दिनों तक सोलर रेडिएशन स्वच्छ रूप से मिलती है, जो ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लिए आदर्श परिस्थितियां मानी जा सकती है. हाल ही में प्रदेश सरकार ने एनटीपीसी के साथ 5,000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए एमओयू किया है. ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला के अनुसार प्रदेश में अक्षय ऊर्जा की असीम संभावनाओं को देखते हुए निजी कंपनियों को भी आकर्षित किया जा रहा है. कल्ला ने कहा, हम चाहते हैं कि राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हब बने और इसी के तहत यहां काम भी किया जा रहा है.
यह भी पढ़ें: स्पेशल: बिना केमिकल का उपयोग किए गन्ने के रस से बनाया जा रहा गुड़, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में होता है कारगर
निजी क्षेत्र में संचालित है सौर ऊर्जा के प्लांट
प्रदेश में समय के साथ सोलर एनर्जी का उत्पादन बढ़ता गया और सौर ऊर्जा विक्रय की दरों में कमी आती गई. साल 2012-13 में भड़ला सोलर पार्क जोधपुर में उत्पादित विद्युत की दर 6.45 रुपए पैसे प्रति यूनिट थी. जो बाद में घटकर 4 रुपए 34 पैसे प्रति यूनिट रह गई और उसके बाद घटकर 2 रुपए 44 पैसे प्रति यूनिट तक रह गई और अब उससे भी कम हो गई.
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भविष्य की ये है प्लानिंग
राजस्थान में भविष्य में अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा पार्क स्थापित किया जाना प्रक्रियाधीन है. वहीं सोलर पार्क में निजी निवेशकों के साथ-साथ केंद्र सरकार के अनेक राजकीय उपक्रम द्वारा भी सौर ऊर्जा से विद्युत उत्पादन कर प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर न्यूनतम दरों पर विद्युत विक्रय किए जाने के लिए समझौते किए जा रहे हैं. वर्तमान में प्रदेश में 12,500 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजना क्रियान्वयन अधीन है. वहीं दिसंबर 2019 में राजस्थान सरकार द्वारा जारी राजस्थान सौर ऊर्जा नीति के बाद 7,438 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं निजी निवेशक द्वारा लगाए जाने के लिए पंजीकरण करवाया गया है.
यह भी पढ़ें: स्पेशल: कृषि मंडियां तो हुई गुलजार, लेकिन अब भी अधूरे हैं धरती पुत्रों के अरमान
प्रदेश में सोलर एनर्जी के क्षेत्र में निजी निवेशकों द्वारा अनुकूल परिस्थितियों के मद्देनजर सोलर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और राष्ट्रीय थर्मल पावर कॉरपोरेशन द्वारा 10 हजार मेगावाट क्षमता के अल्ट्रा अक्षय ऊर्जा पार्क विकसित किए जाने का प्रस्ताव भी प्रदेश सरकार के पास फिलहाल विचाराधीन है. ऐसे में मतलब साफ है कि आने वाले दिनों में सोलर के क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति राजस्थान में आने वाली है, जिसमें केंद्र सरकार के सहयोग और राजस्थान सरकार के सहयोग से यह तेजी से आगे बढ़ेगी.