जयपुर. प्रदेश के बाघ संरक्षित क्षेत्र के लिए अलग-अलग रणनीति बनेगी. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने संरक्षित क्षेत्रों में बसे लोगों के स्वैच्छिक विस्थापन को लेकर अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रत्येक संरक्षित क्षेत्र के लिए स्पष्ट रणनीति बनाकर कार्य किया जाए. साथ ही सरकार की ओर से दिए जाने वाले विस्थापन पैकेज का लाभ दिया जाए.
निरंजन आर्य ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण के लिए आवश्यक है कि संरक्षित क्षेत्रों में रह रहे लोगों के स्वैच्छिक विस्थापन से संबंधित कार्य जल्द पूरे किया जाएं. उन्होंने विभाग के अधिकारियों के साथ ही संबंधित जिला कलक्टरों को भी निर्देश दिए कि राज्य के रणथम्भौर, सरिस्का और मुकुंदरा तीनों टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के लिए अलग-अलग रणनीति (Different strategy for three Tiger reserves) बनाई जाए.
वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रेया गुहा ने अब तक की प्रगति के बारे में हुए बताते हुए कहा कि बाघों व अन्य वन्य जीवों को पर्याप्त स्थान उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से विस्थापन योजना शुरू की गई थी. इसके तहत प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बाघ परियोजना क्षेत्र के आस-पास बसे गांवों को अन्यत्र विस्थापित किया जा रहा है.
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मुख्यमंत्री ने दिए थे निर्देश
राजस्थान में बाघों के संरक्षण को लेकर वृहत स्तर पर कार्य योजना तैयार करने को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों बैठक में निर्देश दिए थे. इसके लिए वरिष्ठ विशेषज्ञों की समिति गठित की गई है. यह समिति बाघों का कुनबा बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए दीर्घकालीन कार्ययोजना तैयार कर रही है. सीएम गहलोत ने राज्य में नए टाइगर रिजर्व विकसित करने पर भी जोर दिया था.