जयपुरः राजस्थान भाजपा जल्द ही धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव में जुटेगी. हालांकि उपचुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन भाजपा ने पूर्व में 3 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान ही इन सीटों पर भी अपनी तैयारी शुरू कर दी थी. जिसे जल्द ही इन क्षेत्रों में प्रदेश से जुड़े नेताओं के दौरे व अन्य कार्यक्रमों के जरिए गति प्रदान की जाएगी. हालांकि, इन दोनों ही सीटों पर भाजपा के सामने चुनौतियां भी बड़ी है. चुनौतियों से निपटने के लिए भाजपा ने चुनावी रणनीति में बदलाव किया है.
बूथ स्तर तक मजबूती पर फोकस
कुछ माह पहले हुए राजसमंद, सहाड़ा और सुजानगढ़ विधानसभा सीटों के उपचुनाव के दौरान भाजपा ने जो तैयारियां की थी उसमें कुछ और तब्दीलियां करते हुए वल्लभनगर व धरियावद सीट पर भाजपा अब काम करेगी. खास तौर पर बूथ स्तर तक पार्टी इकाई खड़ी हो इस दिशा में काम तेज किया गया और विधानसभा क्षेत्र और उसके बूथ पर विस्तारक तक लगा दिए गए. हालांकि,अब पार्टी इन विधानसभा क्षेत्रों में प्रदेश स्तरीय नेताओं के दौरे शुरू करवा सकती है.
संगठन महामंत्री ने हाल ही में लिया था फीडबैक
हाल ही में प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने इन दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ा फीडबैक लिया था. उन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े नेता व कार्यकर्ताओं से इस संबंध में फीडबैक लिया. हालांकि इस दौरान कुछ दिशा-निर्देश भी दिए गए. साथ ही दोनों विधानसभा सीटों पर किन पहलुओं से भाजपा की कमजोरी है, उस पर भी फोकस किया गया, ताकि उपचुनाव से पहले उन्हें दूर कर पार्टी को इन दोनों ही सीटों पर जीत दिलवाई जा सके.
इन चुनौतियों से निपटना होगा भाजपा को
दोनों ही विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत हासिल करने के लिए कई चुनौतियों का सामना भी करना होगा. खासतौर पर दोनों ही सीटें उदयपुर संभाग में आती है. जिनमें धरियावाद सीट जनजाति बाहुल्य है और भारतीय ट्राइबल पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद यहां भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही दबदबा काफी हद तक कम हुआ है. वहीं भाजपा के पास जनजाति क्षेत्र से जुड़ा कोई प्रभावी नेता नहीं है. ऐसे में धरियावद क्षेत्र में जनजातियों को भाजपा से जोड़ना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. जिसके लिए भी प्रदेश भाजपा नेता विशेष रणनीति बना रहे हैं. हालांकि पूर्व में इस सीट पर भाजपा के दिवंगत विधायक गौतम लाल काबिज थे, लेकिन उनके निधन के बाद यहां भाजपा की स्थिति थोड़ी मजबूत करना जरूरी है.
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इसी तरह वल्लभनगर सीट भी भाजपा के लिए प्रतिष्ठा से जुड़ी सीट बन चुकी है। यहां पूर्व में कांग्रेस के विधायक थे. लिहाजा कांग्रेस का तो थोड़ा प्रभाव इसी पर राही लेकिन जनता सेना का भी यहां प्रभाव है खास तौर पर पूर्व विधायक रणधीर सिंह भिंडर इस सीट पर भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती हैं. हालांकि पूर्व में वह भाजपा के यहां से विधायक रह चुके हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और रणधीर भिंडर के बीच सियासी तकरार और गतिरोध किसी से छुपा हुआ नहीं है. यही कारण है कि भाजपा को यहां कांग्रेस के साथ ही जनता सेना का भी मुकाबला करना होगा.
जल्द होंगे सियासी दौरे
इन दोनों ही विधानसभा सीटों पर जल्द ही प्रदेश से जुड़े बड़े नेताओं के दौरे बनाए जाने की संभावना है. कांग्रेस जहां जल्द ही इन क्षेत्रों में प्रदेश प्रभारी अजय माकन और प्रदेश के प्रमुख नेताओं के दौरे करवा सकती है तो ही भाजपा भी इसी रणनीति में जुटी है. संभवता जल्द ही इस संबंध में प्रदेश नेतृत्व कुछ प्रमुख नेताओं के दौरे इन क्षेत्रों में तय करेगा जिससे यहां रणनीतिक तौर पर भाजपा को मजबूती मिल सके.