जयपुर. देवगुरु बृहस्पति मंगलवार को मकर राशि से निकल कर धनु राशि में प्रवेश करेंगे. धनु राशि देवगुरु बृहस्पति की स्वयं की राशि है. ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं में कमी आएगी और कोरोना जैसी महामारी में कमी आना प्रारंभ होगा. साथ ही मानसून के आगमन के साथ बरसात अच्छी होने की संभावनाएं हैं.
ज्योतिष परिषद और शोध संस्थान के निदेशक ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार, यहां से देवगुरु धनु राशि मे प्रवेश कर रहे है. जो कि बृहस्पति की स्वराशि और अपनी मूल त्रिकोण राशि हैं. बृहस्पति वर्तमान में मकर राशि में हैं जो देवगुरु की नीच राशि है. वह धनु राशि में भी वक्री रहेंगे. वहीं, 13 सितंबर को बृहस्पति मार्गी होंगे. मार्गी गति से आगे बढ़ते हुए 20 नवंबर को पुनः मकर राशि मे प्रवेश करेंगे और फिर राशि परिवर्तन कर 6 अप्रैल 2021 को कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.
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हालांकि, वक्री गुरु के धनु राशि में आने से एक अशुभ योग भी बन रहा है. धनु राशि में गुरु के आते ही राहु का दृष्टि संबंध बनेगा, जिसे ज्योतिष के नजरिए से अशुभ माना जाता है. इस अशुभ योग का प्रभाव कई राशियों पर पड़ेगा. तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वालो को गुरु राहु का यह योग ज्यादा प्रभावित करेगा. ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, संतान, शिक्षा, धार्मिक कार्य, पवित्र स्थल, धन-दान और व्रद्धि का कारक ग्रह माना जाता है, यह धनु और मीन राशि का स्वामी है.
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ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इससे विश्व के दूसरे देश भारत का सहयोग करेंगे और इससे विश्व में भारत के लिए प्रसिद्ध बढ़ेगी. इन ग्रहों के कारण देश में न्याय और धर्म बढ़ेगा. प्राकृतिक आपदाओं और महामारी से जीतकर भारत एक ताकतवर देश के रूप में उभर कर सामने आएगा. वहीं, देश में धार्मिक गतिविधियां बढ़ेंगी और मजदूर वर्ग के लिए अच्छा समय शुरू होगा, साथ ही किसानों को खेती में बढ़ावा मिलेगा और उत्पादन भी बढ़ेगा.