जयपुर. रीट पेपर लीक मामले पर उठते सवालों के बीच आखिरकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को रीट लेवल टू की परीक्षा को रद्द कर दिया है. इसके बावजूद भाजपा ने ऐलान किया है कि जब तक रीट प्रकरण के षड्यंत्रकारियों पर कार्रवाई नहीं होती है, वे चुप बैठने वाले नहीं हैं. इनमें सीएम के एक करीबी लोग भी शामिल हैं.
रीट पेपर लीक प्रकरण को लेकर गहलोत सरकार भाजपा के निशाने पर है और लगातार रीट पर सीबीआई जांच कराने की मांग की जा रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कैबिनेट की मीटिंग के बाद रीट पेपर 2021 का level-2 का पेपर निरस्त कर दिया है. इसके बाद भी भाजपा ने रीट प्रकरण की जांच सीबीआई से कराने की मांग (BJP adamant on the demand of CBI probe) पर अड़ी हुई है.
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इस मामले में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि नौजवानों के दबाव में सरकार ने रीट लेवल सेकंड का पेपर रद्द कर दिया है लेकिन पेपर लीक प्रकरण में कैबिनेट में रहने वाले सदस्यों के नाम भी जुड़े हैं और यह लोग मुख्यमंत्री के अति निकट के लोग हैं. जब तक इन लोगों पर कार्रवाई नहीं होती है हम शांत बैठने वाले नहीं हैं. सरकार को इस मामले की सीबीआई से जांच करानी चाहिए. रीट पेपर लीक प्रकरण में शामिल लोगों का चेहरा बेनकाब होना चाहिए. राठौड़ ने कहा कि परीक्षा के संचालन और आश्वासन देकर सरकारी नौकरी दिलाने में एक नया गिरोह शामिल हो गया है. इस तरह करोड़ों रुपए ठगने वाले गिरोह का चेहरा सामने आना ही चाहिए.
पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि परीक्षा निरस्त करना इसका समाधान नहीं है जिस कारण 26 लाख लोगों को फिर से परीक्षा देने की स्थिति बन रही है, वह कारण आज भी मौजूद है. इस पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराने चाहिए क्योंकि इसके लिए मुख्यमंत्री सचिवालय और मंत्रिपरिषद में शामिल लोग जिम्मेदार हैं. राजीव गांधी स्टडी सर्किल के लोगों को जांच में शामिल कर उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.
प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रीट लेवल टू की परीक्षा रद्द कर 62 हजार पदों पर भर्ती की घोषणा की है लेकिन हमारी मांग शुरू से यही रही है कि रीट पेपर लीक प्रकरण की सीबीआई से जांच होनी चाहिए. इस मामले में शामिल संदिग्ध व्यक्तियों, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष, मंत्रिमंडल में शामिल लोगों, या अन्य किसी गिरोह की भूमिका की सीबीआई जांच होनी चाहिए.