जयपुर. 3 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस मनाया जा रहा है. पीएम मोदी ने महात्मा गांधी जयंती की 150 जयंती पर देश को सिंगल यूज प्लास्टिक से निजात दिलाने का फैसला किया है. इसीके तहत 1 जनवरी से इसपर प्रतिबंध लग जाएगा. प्रदेश सरकार (Rajasthan Government) भी राज्य में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर कार्रवाई कर रही है लेकिन कोरोना काल में एक बार फिर प्लास्टिक का यूज धड़ल्ले से हो रहा है.
पर्यावरण की दृष्टि से प्लास्टिक घातक है. बहुत कम खर्चे पर बनने वाली ये प्लास्टिक में हानिकारक रसायन होते हैं. साथ ही इसके कचरे की सफाई पर भी बहुत खर्च आता है. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक होता और नॉर्मल प्लास्टिक में अंतर क्या है.
चलिए समझते हैं क्या है सिंगल यूज प्लास्टिक ?
चालीस माइक्रोमीटर या उससे कम स्तर के प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक कहते हैं. इसका मतलब प्लास्टिक से बनी वो चीजें हैं, जो एक बार ही उपयोग में लाई जाती है और फेंक दी जाती है. मसलन सब्जी की पॉलीथिन, चाय की प्लास्टिक की कप, चाट गोलगप्पे वाली प्लास्टिक प्लेट, बाजार से खरीदी पानी की बोतल, स्ट्रॉ सभी सिंगल यूज प्लास्टिक के उदाहरण हैं.
- सरकारी कार्यालयों में 2019 से कड़ाई से प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाने के निर्देश
- आगामी 1 जनवरी से प्रतिबंध लगना प्रस्तावित
- कचरे में 40 से 60 फीसदी प्लास्टिक होता है मौजूद
- जिसे सेग्रीगेट कर निस्तारित करने के लिए पर्याप्त व्यवस्था तक नहीं
जिन पर रोक लगाने की जिम्मेदारी, उनके दफ्तरों में हो रहा प्लास्टिक का यूज
देश को 2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है लेकिन कोरोना काल में दोबारा पॉलीथिन बैग, प्लास्टिक की बोतलें, फूड पैकेजिंग का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है. यही नहीं सब्जी और फल विक्रेता भी कागज की थैलियां छोड़ एक बार फिर पॉलीथिन थैलियों को इस्तेमाल करने लगे हैं. जिन पर सिंगल यूज प्लास्टिक को रोकने की जिम्मेदारी है, उन्हीं के दफ्तरों में इसका इस्तेमाल हो रहा है.
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राजस्थान में हर दिन 1100 टन हो रहा प्लास्टिक जनरेट
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट के अनुसार हर दिन 1100 टन से ज्यादा प्लास्टिक वेस्ट जनरेट हो रहा है. हालांकि, 2010 में राजस्थान में प्लास्टिक को बैन (Ban on Plastic in Rajasthan) किया गया था. सरकार ने सख्ती बरतते हुए प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल करने वालों का चालान कर जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया था. साथ ही आवश्यकता पड़ने पर सीजर की कार्रवाई की भी शक्तियां दी गई लेकिन हालात जस के तस हैं.
जयपुर में प्लास्टिक डिस्पोजल लगाने के लिए नए संयंत्र लगाने का प्रयास
वर्तमान में जयपुर नगर निगम की ओर से कचरा कलेक्शन के दौरान प्लास्टिक कैरी बैग को सेग्रीगेट किया जा रहा है. जिसे ऊर्जा संयंत्र में इस्तेमाल किया जा रहा है. जिससे पर्यावरण को हानि ना हो और एनर्जी भी जनरेट हो. वहीं अब दूसरे नए प्लांट लगाने के लिए भी प्रयास किया जा रहा है. इस संबंध में बीते दिनों टेंडर भी किया गया था। हालांकि किसी कंपनी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई. दोबारा कोशिश की जाएगी कि प्लांट की कैपेसिटी बढ़े या फिर दूसरा प्लांट लगे.
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ग्रेटर निगम एडिशनल कमिश्नर बृजेश चांदोलिया के अनुसार निगम परिसर में प्लास्टिक कैरी बैग पूरी तरह प्रतिबंधित है. जहां तक सिंगल यूज प्लास्टिक की बात है तो उस पर भी नीतिगत निर्णय लेकर कार्रवाई की जाएगी. जिससे पर्यावरण की सुरक्षा हो सके. उन्होंने कहा कि यदि कोई सिंगल यूज प्लास्टिक को इस्तेमाल कर रहा है तो उनके खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाकर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई करते हैं. जिससे लोगों में एक संदेश जाए कि ये प्रतिबंधित सामग्री हैं.
प्लास्टिक से बन रहा रिफ्यूज ड्राइड फ्यूल
वहीं जयपुर हेरिटेज नगर निगम कमिश्नर अवधेश मीणा कहते हैं कि जयपुर में प्लास्टिक वेस्ट को इस्तेमाल करके रिफ्यूज ड्राइ फ्यूल (Refuse dried fuel) बनाया जा रहा है. जिसका सीमेंट प्लांट में इस्तेमाल हो रहा है. हेरिटेज निगम कमिश्नर और स्मार्ट सिटी सीईओ के अनुसार सेग्रीगेशन की व्यवस्था धीरे-धीरे शुरू की जा रही है. वेस्ट मैनेजमेंट सबसे कठिन प्रक्रिया सेग्रीगेशन है. सेग्रीगेशन का सबसे अच्छा उपाय सोर्स ही है.
जयपुर हेरिटेज कमिश्नर ने की अपील
- प्लास्टिक को कम से कम यूज करें
- बाजार जाते समय कपड़े के बने कैरी बैग हमेशा अपने साथ रखें
- प्लास्टिक की बोतल और दूसरे डिस्पोजल उनका उपयोग ना करें
मुख्य सचिव निरंजन आर्य (CS Niranjan Arya) ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के साथ उसके दूसरे विकल्प क्या हो, इसको लेकर चर्चा की थी. जिसमें सिंगल यूज प्लास्टिक के अन्य विकल्प तलाशने के निर्देश भी दिए थे. लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में जिस तरीके से धड़ल्ले से प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है, उसे रोकना एक चुनौती होगी.