जयपुर. ग्रेटर नगर निगम के उपमहापौर पुनीत कर्णावट (jaipur nagar nigam deputy mayor punit karnawat) ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से जयपुर ग्रेटर राज्य का सबसे बड़ा निगम क्षेत्र है. मानसून के बाद से पूरे ग्रेटर क्षेत्र में खस्ताहाल और टूटी-फूटी सड़कों के कारण दुर्घटनाओं की आशंका के साथ-साथ धूल मिट्टी से वातावरण प्रदूषित रहता है, जिससे स्थानीय लोग बेहद परेशान है.
उन्होंने कहा कि जेडीए जयपुर की विभिन्न कॉलोनियों में भूमि की नीलामी करके मेनटनेंस और रखरखाव की पूरी जिम्मेदारी नगर निगम को हस्तांतरित कर देता है. लेकिन नीलामी राशि में निगम की हिस्सेदारी का भुगतान समय पर नहीं करता. जिससे निगम को काम करने में वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ता है.
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निगम की आर्थिक बदहाली के लिए जेडीए भी जिम्मेदार है. उन्होंने यूडीएच मंत्री के आदेश को पक्षपातपूर्ण बताते हुए कहा कि जेडीए की ओर से सड़कों की मरम्मत का अधिकांश कार्य हेरिटेज निगम क्षेत्र में करवाया जाएगा और संभावना है कि ग्रेटर निगम क्षेत्र में कम से कम काम करवाने के बाद निगम की जेडीए में बकाया राशि का पुनर्भरण दिखाकर हिसाब बराबर कर दिया जाए. कर्णावट ने बिना राजनीतिक पक्षपात के जयपुर ग्रेटर निगम की बदहाल सड़कों के सुदृढ़ीकरण के आदेश प्रदान कर, जेडीए में ग्रेटर निगम के हिस्से की राशि का समय पर भुगतान करने के निर्देश भी जारी करने की अपील की.
बहरहाल, अब तक धारीवाल के आदेश से अंदाजा (UDH Minister Shanti Dhariwal Order) लगाया जा रहा था कि या तो वो निगम की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं या फिर निगम की आर्थिक तंगी उनके संज्ञान में है. लेकिन अब ग्रेटर निगम उप महापौर ने इसमें राजनीतिक द्वेषता का एक नजरिया और जोड़ दिया है.