जयपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट सिटी कछुआ चाल से आगे बढ़ रहा है. राजधानी में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत होने वाले काम 40 फ़ीसदी भी पूरे नहीं हुए हैं. ऐसे में 3 साल बीत जाने के बाद अब इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं. डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज ने भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को लेकर राज्य सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल उठाए.
केंद्र सरकार ने 2015 में प्रदेश की राजधानी जयपुर का स्मार्ट सिटी के लिए चयन किया था. स्मार्ट सिटी के तहत जयपुर को तकरीबन 404 करोड़ मिले है. जिसमें से जयपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से महज 139 करोड रुपए ही खर्च किए गए हैं. जो कुल राशि का 35 फ़ीसदी भी नहीं है. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के कामों की इसी धीमी गति की वजह से उस पर कई सवाल भी खड़े हुए हैं, तो वहीं बीते 2 साल में केंद्र ने उसे एक पैसा भी बतौर फंड उपलब्ध नहीं कराया.
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वहीं अब शहर के उपमहापौर मनोज भारद्वाज ने राज्य सरकार की इच्छाशक्ति पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि यूडीएच मंत्री खुद दो से तीन बार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत दौरा कर चुके हैं. इसके बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, तो सरकार की मंशा पर ही सवाल उठता है, कि वो जनता को राहत देने का काम कर रही है या तकलीफ देने का. उन्होंने कहा कि जनता के जो भी काम किए जा रहे हैं उसमें केंद्र और राज्य सरकार का कुछ भी नहीं, जिम्मेदारी मंत्री और सीईओ की है. उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि सरकार स्मार्ट सिटी का काम समय से पूरा कराएं और पब्लिक को जो दिक्कतें हो रही हैं उसे दूर करे.
दरअसल, स्मार्ट सिटी के तहत जयपुर में अजमेरी गेट का कायाकल्प, किशनपोल बाजार में स्मार्ट रोड, रूफटॉप सोलर प्रोजेक्ट, स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, राजस्थान स्कूल ऑफ आर्ट का जीर्णोद्धार, स्मार्ट टॉयलेट्स के काम हुए हैं. जबकि चारदीवारी में बरामदों की मरम्मत, मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण और चांदपोल सहित 8 स्मार्ट रोड और बनाए जाने का काम पेंडिंग चल रहा है. जिसके कारण अब राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े उठ रहे हैं.