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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कृषि कानूनों के विरोध में संशोधन बिल लाए जाने को बताया असंवैधानिक

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Published : Nov 2, 2020, 2:39 PM IST

Updated : Nov 2, 2020, 3:45 PM IST

कृषि बिलों को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार पर कृषि कानूनों के विरोध में संशोधन बिल लाए जाने को असंवैधानिक बताया. साथ ही इसे देश के फेडरल सिस्टम पर एक हमला करार दिया.

राजस्थान विधानसभा सत्र, Rajasthan assembly session
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

जयपुर. कृषि बिलों को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार पर कृषि कानूनों के विरोध में संशोधन बिल लाए जाने को असंवैधानिक बताया. साथ ही इसे देश के फेडरल सिस्टम पर एक हमला करार दिया. राठौड़ ने कहा कि समाचार पत्रों से सुना कि अचानक सदन आहूत किया गया. यह सदन उस समय पर हो रहा है जब कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. राजस्थान में दो हजार से ज्यादा लोग इस संक्रमण से मर चुके हैं और दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं.

उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

दूसरी ओर कानून व्यवस्था भी प्रदेश में खराब हो चुकी है. कृषि मंत्री जिस बेरोजगारी की चिंता कर रहे हैं एक सर्वे में राजस्थान में बेरोजगारी 15.3 प्रतिशत है. जिन 3 बिलों का संशोधन राजस्थान की सरकार लेकर आ रही है वह असंवैधानिक है और केवल सदन का समय बर्बाद किया जा रहा है. 24 सितंबर को राष्ट्रपति ने इन बिलों पर हस्ताक्षर कर दिया और यह लागू हो चुका है. यह कोई अनिवार्य बिल नहीं है. किसान आज भी मंडी में जाकर मंडी टैक्स लेकर अपनी उपज को बेच सकता है, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे यह अधिकार दिया है कि वह बिना किसी टैक्स के अपनी फसल बाहर बेच सकता है.

पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ बिल लाए जाने पर क्या बोले RLP प्रदेशाध्यक्ष पुखराज गर्ग...?

यह बिल यह प्रावधान करता है कि फसल बिकने के 3 दिन में किसान को उसका पैसा देना होगा. विवाद के निपटारे के लिए भी मैकेनिज्म तय किया गया है. एपीएमसी एक्ट जो लागू है वह लागू रहेगा. यह एक नवाचार है जो पहली बार किसान की आय दोगुनी करने के लिए लेकर आए हैं. यूपीए सरकार के समय भी इस बात पर चर्चा हुई थी, लेकिन उस समय सरकार स्टेबल नहीं थी. अब यह काम दोबारा प्रधानमंत्री मोदी ने करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो कांग्रेस का घोषणा पत्र उस पर कांग्रेस यू टर्न ले रही हैं. किसान बाजार में कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है. यह भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में थी, जहां किसान जब चाहे जहां चाहे अपनी फसल बेच सकेगा और अब इसको लेकर जब केंद्र सरकार बिल ले आई है तो आपके पेट में दर्द होने लगा है. 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर यूपीए सरकार ने ही किया था.

पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार से नियमित होगी सुनवाई, ई-पास के जरिए होगा वकीलों और पक्षकारों का प्रवेश

उन्होंने कहा कि जिस किसान के विरोध करने की बात कांग्रेस कर रही है उसके लिए बिरला ऑडिटोरियम में किसान सम्मेलन किया था. उसमें 500 किसान नहीं आए, क्या यह किसानों का रोष है. 24 सितंबर को राष्ट्रपति ने इन बिलों को हस्ताक्षर करके जारी कर दिए उसे किस आधार पर रोका जाएगा. बिना मतलब के समय खराब किया जा रहा है. संसद के पास सॉवरिन पावर है उसके बावजूद भी यह बिल लेकर आए हैं. यह साफ है कि यह खोटा काम विधानसभा में किया जा रहा है. फेडरल सिस्टम को खराब करने की बात की जा रही है. फेडरल सिस्टम पर चोट कर के संविधान पर चोट करने का काम किया जा रहा है.

पढ़ेंः राजस्थान विधानसभा में उठा गुर्जर आंदोलन का मामला, बिलों पर चर्चा के बाद सरकार देगी जवाब

पूरे देश में कृषि मंडी टैक्स पंजाब के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा है 16 लाख 78216 केस राजस्थान में पहले से किसानों के विवादों के पेंडिंग है. अगर संविदा खेती में करार होगा तो चाहे फसल खराब हो या कैसी भी हो उसे करार के मुताबिक पैसा मिलेगा. 65 साल के बाद एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में परिवर्तन किया गया है. इसी के आधार पर स्टॉक लिमिट समाप्त की गई है. यह कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी था, लेकिन आपको इससे कोई लेना-देना नहीं है. केंद्र सरकार ने ढाई करोड़ किसान जो किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट में नहीं थे उनको इस क्रेडिट लिमिट में जोड़ते हुए दो लाख करोड़ का प्रावधान किया.

जयपुर. कृषि बिलों को लेकर उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने राज्य सरकार पर कृषि कानूनों के विरोध में संशोधन बिल लाए जाने को असंवैधानिक बताया. साथ ही इसे देश के फेडरल सिस्टम पर एक हमला करार दिया. राठौड़ ने कहा कि समाचार पत्रों से सुना कि अचानक सदन आहूत किया गया. यह सदन उस समय पर हो रहा है जब कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. राजस्थान में दो हजार से ज्यादा लोग इस संक्रमण से मर चुके हैं और दो लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं.

उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

दूसरी ओर कानून व्यवस्था भी प्रदेश में खराब हो चुकी है. कृषि मंत्री जिस बेरोजगारी की चिंता कर रहे हैं एक सर्वे में राजस्थान में बेरोजगारी 15.3 प्रतिशत है. जिन 3 बिलों का संशोधन राजस्थान की सरकार लेकर आ रही है वह असंवैधानिक है और केवल सदन का समय बर्बाद किया जा रहा है. 24 सितंबर को राष्ट्रपति ने इन बिलों पर हस्ताक्षर कर दिया और यह लागू हो चुका है. यह कोई अनिवार्य बिल नहीं है. किसान आज भी मंडी में जाकर मंडी टैक्स लेकर अपनी उपज को बेच सकता है, लेकिन केंद्र सरकार ने उसे यह अधिकार दिया है कि वह बिना किसी टैक्स के अपनी फसल बाहर बेच सकता है.

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यह बिल यह प्रावधान करता है कि फसल बिकने के 3 दिन में किसान को उसका पैसा देना होगा. विवाद के निपटारे के लिए भी मैकेनिज्म तय किया गया है. एपीएमसी एक्ट जो लागू है वह लागू रहेगा. यह एक नवाचार है जो पहली बार किसान की आय दोगुनी करने के लिए लेकर आए हैं. यूपीए सरकार के समय भी इस बात पर चर्चा हुई थी, लेकिन उस समय सरकार स्टेबल नहीं थी. अब यह काम दोबारा प्रधानमंत्री मोदी ने करके दिखाया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में जो कांग्रेस का घोषणा पत्र उस पर कांग्रेस यू टर्न ले रही हैं. किसान बाजार में कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है. यह भी कांग्रेस के घोषणा पत्र में थी, जहां किसान जब चाहे जहां चाहे अपनी फसल बेच सकेगा और अब इसको लेकर जब केंद्र सरकार बिल ले आई है तो आपके पेट में दर्द होने लगा है. 2014 में फल और सब्जियों को एपीएमसी एक्ट से बाहर यूपीए सरकार ने ही किया था.

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उन्होंने कहा कि जिस किसान के विरोध करने की बात कांग्रेस कर रही है उसके लिए बिरला ऑडिटोरियम में किसान सम्मेलन किया था. उसमें 500 किसान नहीं आए, क्या यह किसानों का रोष है. 24 सितंबर को राष्ट्रपति ने इन बिलों को हस्ताक्षर करके जारी कर दिए उसे किस आधार पर रोका जाएगा. बिना मतलब के समय खराब किया जा रहा है. संसद के पास सॉवरिन पावर है उसके बावजूद भी यह बिल लेकर आए हैं. यह साफ है कि यह खोटा काम विधानसभा में किया जा रहा है. फेडरल सिस्टम को खराब करने की बात की जा रही है. फेडरल सिस्टम पर चोट कर के संविधान पर चोट करने का काम किया जा रहा है.

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पूरे देश में कृषि मंडी टैक्स पंजाब के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा है 16 लाख 78216 केस राजस्थान में पहले से किसानों के विवादों के पेंडिंग है. अगर संविदा खेती में करार होगा तो चाहे फसल खराब हो या कैसी भी हो उसे करार के मुताबिक पैसा मिलेगा. 65 साल के बाद एसेंशियल कमोडिटीज एक्ट में परिवर्तन किया गया है. इसी के आधार पर स्टॉक लिमिट समाप्त की गई है. यह कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी था, लेकिन आपको इससे कोई लेना-देना नहीं है. केंद्र सरकार ने ढाई करोड़ किसान जो किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट में नहीं थे उनको इस क्रेडिट लिमिट में जोड़ते हुए दो लाख करोड़ का प्रावधान किया.

Last Updated : Nov 2, 2020, 3:45 PM IST
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