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सदन में पारित हुई कृषि और पशुपालन चिकित्सा विभाग से जुड़ी अनुदान मांगें, मंत्री ने कहा- यही हालात रहे तो प्रदेश से ऊंट गायब हो जाएंगे - Rajasthan Legislative Latest News

सदन में सोमवार को कृषि और पशुपालन चिकित्सा विभाग से जुड़ी अनुदान मांगें पारित हुई. मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि यदि यही हालात यही रहे तो प्रदेश से आने वाले दिनों में ऊंट गायब हो जाएंगे.

Rajasthan Vidhan Sabha News,  Minister Lalchand Kataria
मंत्री लालचंद कटारिया
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Published : Mar 15, 2021, 10:45 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को कृषि और पशुपालन चिकित्सा विभाग से जुड़ी अनुदान की मांग पारित हुई. इससे पहले अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के दौरान सदन के कई सदस्यों ने प्रदेश में ऊंट की संख्या में हो रही कमी पर चिंता जाहिर की और इसके कई कारण भी गिनाए. वहीं, जवाब में खुद कृषि और पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने भी माना यदि यही हालात यही रहे तो प्रदेश से आने वाले दिनों में ऊंट गायब हो जाएंगे.

यही हालात रहे तो प्रदेश से ऊंट गायब हो जाएंगे

पढ़ें- ऊंट को राज्य पशु का दर्जा देने वाले मूर्ख हैं, उनमें दिमाग नहीं: अमीन खान

कृषि पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के अनुसार ऊंट के विषय में एक समिति भी बनाई है, जिसमें जल्द ही बैठक कर कुछ अहम निर्णय लिए जाएंगे. कटारिया ने सदन में मौजूद विधायकों से भी ऊंट को बचाने के लिए उनके सुझाव आमंत्रित किए और यह भी कहा कि इसके लिए 23 करोड़ की लागत से एक विशेष कार्य योजना भी प्रदेश सरकार ने बनाई है.

पटवारियों की हड़ताल, लेकिन चल रहा गिरदावरी का काम

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई जिलों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है, जिसकी पीड़ा सदन में कई विधायकों ने भी व्यक्त की. निश्चित तौर पर पटवारियों की हड़ताल चल रही है, लेकिन विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस काम में लगा दिया है ताकि किसानों को किसी प्रकार का नुकसान ना हो और गिरदावरी का काम भी समय पर हो.

किसान तीन प्रकार के होते हैं...

अनुदान मांगों के जवाब पर बोलते हुए मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान में तीन प्रकार के किसान हैं. इनमें पहला हलधारी किसान है जो अब ट्रैक्टर से बुवाई करते हैं. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 60 फीसदी है. दूसरे प्रकार के किसान छत्ताधारी होते हैं, जिनके पास लंबी चौड़ी जमीन तो होती है लेकिन वह खुद उस पर खेती नहीं करते बल्कि खेत में जाकर मजदूरों से काम कर आते हैं और उसका पूरा हिसाब किताब खुद रखते हैं. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 8 से 10 फीसदी है.

पढ़ें- शून्यकाल में बिहारीलाल बिश्नोई और वासुदेव देवनानी ने उठाया ये मुद्दा

वहीं, तीसरे प्रकार के किसान होते हैं बंगलाधारी किसान, जिनके पास लंबी चौड़ी जमीनें होती है लेकिन उस पर खुद खेती नहीं करते बल्कि अन्य किसान और मजदूर उसमें खेती करते हैं और बांग्लाधारी किसान अपने मुनीम के जरिए उसका हिसाब किताब और देखरेख करवाता है. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है.

नवाचारों को अपनाए किसान

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने किसानों को नवाचार अपनाने की अपील भी की और कहा कि नवाचारों को अपनाकर उन्नत खेती की जा सकती है ताकि कम लागत पर ज्यादा उत्पादन हो सके. इसके लिए मंत्री ने देश और प्रदेश में कृषि में अपनाई जा रही नई पद्धतियों की जानकारी भी सदन में रखी. साथ ही यह भी कहा कि अब तो सोलर पंप के जरिए भी किसान अपनी लागत को कम कर सकते हैं क्योंकि अब ट्यूबवेल के साथ ही कृषि के अन्य उपकरणों में लगने वाली बिजली सोलर पंप के जरिए किसान खुद बना सकता है और कम लागत में योग करण भी खरीद सकता है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का दे दिया है राज्य अंश

राजस्थान सरकार ने अपने सवा 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश में 56.95 लाख किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्लेम दिलवाया. इस योजना में 4995 करोड़ का राज्य अंश भी जमा कराया, जिसमें पिछली भाजपा सरकार के समय का 1035 करोड़ का भुगतान भी शामिल है.

इंटीग्रेटेड पोर्टल राज किसान और राज किसान जैविक मोबाइल एप की जानकारी

मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने संबोधन के दौरान किसानों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से किए जा रहे नवाचारों की भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रदेश में एंट्री गेट एडपोर्टल राज किसान भी शुरू कर दिया गया है. वहीं, राज किसान जैविक मोबाइल एप के जरिए भी किसानों को तमाम जानकारियां साझा की जा रही है.

पढ़ें- मंत्रिमंडल विस्तार होते ही होगा विस्फोट और घोड़े अस्तबल में चले जाएंगेः राजेंद्र राठौड़

कटारिया ने जैविक खेती पर भी जोर दिया और कहा कि जिस प्रकार से कैंसर महामारी का रूप लेती जा रही है. ऐसे में जैविक खेती पर किसानों का पूरा फोकस रहना चाहिए. उन्होंने कृषि विभाग और पशुपालन विभाग में पिछले दिनों निकाली गई भर्तियों की जानकारी दी तो वहीं आगामी दिनों में जो भर्तियां पूर्ण होकर नियुक्तियां दी जानी है उसकी भी जानकारी साझा की.

कृषि मंत्री ने बताया कि हमने 98 जीएसएस पर किसानों को ट्रैक्टर मुहैया कराने के लिए नया नवाचार भी किया है ताकि जिन किसानों के पास ट्रैक्टर नहीं है वह उन जीएसएस पर जाकर किराए पर ट्रैक्टर लेकर अपने कृषि से जुड़ा काम कर लें.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को कृषि और पशुपालन चिकित्सा विभाग से जुड़ी अनुदान की मांग पारित हुई. इससे पहले अनुदान मांगों पर हुई चर्चा के दौरान सदन के कई सदस्यों ने प्रदेश में ऊंट की संख्या में हो रही कमी पर चिंता जाहिर की और इसके कई कारण भी गिनाए. वहीं, जवाब में खुद कृषि और पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने भी माना यदि यही हालात यही रहे तो प्रदेश से आने वाले दिनों में ऊंट गायब हो जाएंगे.

यही हालात रहे तो प्रदेश से ऊंट गायब हो जाएंगे

पढ़ें- ऊंट को राज्य पशु का दर्जा देने वाले मूर्ख हैं, उनमें दिमाग नहीं: अमीन खान

कृषि पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया के अनुसार ऊंट के विषय में एक समिति भी बनाई है, जिसमें जल्द ही बैठक कर कुछ अहम निर्णय लिए जाएंगे. कटारिया ने सदन में मौजूद विधायकों से भी ऊंट को बचाने के लिए उनके सुझाव आमंत्रित किए और यह भी कहा कि इसके लिए 23 करोड़ की लागत से एक विशेष कार्य योजना भी प्रदेश सरकार ने बनाई है.

पटवारियों की हड़ताल, लेकिन चल रहा गिरदावरी का काम

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई जिलों में ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है, जिसकी पीड़ा सदन में कई विधायकों ने भी व्यक्त की. निश्चित तौर पर पटवारियों की हड़ताल चल रही है, लेकिन विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों को और कृषि विभाग के अधिकारियों को इस काम में लगा दिया है ताकि किसानों को किसी प्रकार का नुकसान ना हो और गिरदावरी का काम भी समय पर हो.

किसान तीन प्रकार के होते हैं...

अनुदान मांगों के जवाब पर बोलते हुए मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राजस्थान में तीन प्रकार के किसान हैं. इनमें पहला हलधारी किसान है जो अब ट्रैक्टर से बुवाई करते हैं. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 60 फीसदी है. दूसरे प्रकार के किसान छत्ताधारी होते हैं, जिनके पास लंबी चौड़ी जमीन तो होती है लेकिन वह खुद उस पर खेती नहीं करते बल्कि खेत में जाकर मजदूरों से काम कर आते हैं और उसका पूरा हिसाब किताब खुद रखते हैं. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या करीब 8 से 10 फीसदी है.

पढ़ें- शून्यकाल में बिहारीलाल बिश्नोई और वासुदेव देवनानी ने उठाया ये मुद्दा

वहीं, तीसरे प्रकार के किसान होते हैं बंगलाधारी किसान, जिनके पास लंबी चौड़ी जमीनें होती है लेकिन उस पर खुद खेती नहीं करते बल्कि अन्य किसान और मजदूर उसमें खेती करते हैं और बांग्लाधारी किसान अपने मुनीम के जरिए उसका हिसाब किताब और देखरेख करवाता है. प्रदेश में ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है.

नवाचारों को अपनाए किसान

कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने किसानों को नवाचार अपनाने की अपील भी की और कहा कि नवाचारों को अपनाकर उन्नत खेती की जा सकती है ताकि कम लागत पर ज्यादा उत्पादन हो सके. इसके लिए मंत्री ने देश और प्रदेश में कृषि में अपनाई जा रही नई पद्धतियों की जानकारी भी सदन में रखी. साथ ही यह भी कहा कि अब तो सोलर पंप के जरिए भी किसान अपनी लागत को कम कर सकते हैं क्योंकि अब ट्यूबवेल के साथ ही कृषि के अन्य उपकरणों में लगने वाली बिजली सोलर पंप के जरिए किसान खुद बना सकता है और कम लागत में योग करण भी खरीद सकता है.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का दे दिया है राज्य अंश

राजस्थान सरकार ने अपने सवा 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश में 56.95 लाख किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्लेम दिलवाया. इस योजना में 4995 करोड़ का राज्य अंश भी जमा कराया, जिसमें पिछली भाजपा सरकार के समय का 1035 करोड़ का भुगतान भी शामिल है.

इंटीग्रेटेड पोर्टल राज किसान और राज किसान जैविक मोबाइल एप की जानकारी

मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने संबोधन के दौरान किसानों के लिए प्रदेश सरकार की ओर से किए जा रहे नवाचारों की भी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि प्रदेश में एंट्री गेट एडपोर्टल राज किसान भी शुरू कर दिया गया है. वहीं, राज किसान जैविक मोबाइल एप के जरिए भी किसानों को तमाम जानकारियां साझा की जा रही है.

पढ़ें- मंत्रिमंडल विस्तार होते ही होगा विस्फोट और घोड़े अस्तबल में चले जाएंगेः राजेंद्र राठौड़

कटारिया ने जैविक खेती पर भी जोर दिया और कहा कि जिस प्रकार से कैंसर महामारी का रूप लेती जा रही है. ऐसे में जैविक खेती पर किसानों का पूरा फोकस रहना चाहिए. उन्होंने कृषि विभाग और पशुपालन विभाग में पिछले दिनों निकाली गई भर्तियों की जानकारी दी तो वहीं आगामी दिनों में जो भर्तियां पूर्ण होकर नियुक्तियां दी जानी है उसकी भी जानकारी साझा की.

कृषि मंत्री ने बताया कि हमने 98 जीएसएस पर किसानों को ट्रैक्टर मुहैया कराने के लिए नया नवाचार भी किया है ताकि जिन किसानों के पास ट्रैक्टर नहीं है वह उन जीएसएस पर जाकर किराए पर ट्रैक्टर लेकर अपने कृषि से जुड़ा काम कर लें.

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