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Staff Residence Allotment : विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों की डिमांड, आउट ऑफ टर्न मिले स्टाफ को आवास, विभाग ने दिया ये जवाब... - GAD reply to ministers and MLAs on staff residence demand

विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों के स्टाफ को आवास आवंटन को लेकर हमेशा से विवाद होता रहता है. इस बार भी 30 से ज्यादा विधायक और मंत्रियों ने आउट ऑफ टर्न आवास आवंटित किए जाने की डिमांड (Demand of staff residence by MLAs and ministers) रखी, जिसके जवाब में सामान्य प्रशासन विभाग ने जवाब दिया कि यह सिर्फ मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. आउट ऑफ टर्न आवास सीएम के निर्देश पर ही कर सकते हैं.

Demand of staff residence by MLAs and ministers, GAD says its privilege of CM
विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों की डिमांड, आउट ऑफ टर्न मिले स्टाफ को आवास, विभाग ने दिया ये जवाब...
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Published : Jul 29, 2022, 4:49 PM IST

जयपुर. जिन विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों के स्टाफ को आवास नहीं मिल रहा है. उन्होंने सरकार से आउट ऑफ टर्न आवास देने की मांग उठाई (Demand of staff residence by MLAs and ministers) है. 30 से ज्यादा विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड, निगम और आयोग के अध्यक्षों ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिख कर स्टाफ को आउट ऑफ टर्न आवास देने की मांग की है. अब विभाग ने सभी को साफ कह दिया है कि इस पॉलिसी के तहत आवास आंवटन का विशेषाधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री के पास है.

मंत्री-विधायकों ने पत्र में यह लिखा: विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग को लिखे पत्र में कहा गया कि उनके यहां लगे स्टाफ का नम्बर आवास आंवटन में नहीं आ रहा है. ऐसे में आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत आवास आवंटित किए जाएं. ऐसा लिखने वाले कोई एक या दो विधायक या मंत्री नहीं हैं बल्कि 30 से ज्यादा विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों ने यह पत्र लिखा. इसमें मंत्री शकुंतला रावत, गोविंद राम मेघवाल, लालचंद कटारिया, प्रमोद जैन भाया, हेमाराम चौधरी, मुरारी मीणा, राजेंद्र यादव, अशोक चांदना सहित 30 से ज्यादा मंत्री और विधायकों के नाम हैं.

पढ़ें: Rajasthan: ऑनलाइन आवेदन पर ही मिलेंगे सरकारी आवास, GAD ने लंबित 6000 आवेदकों को दिया 15 दिन का समय

जीएडी का जवाब: विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों की ओर आउट ऑफ टर्न में उठाई गई मांग पर सामान्य प्रशासन विभाग ने जवाब देते हुए कहा (GAD reply to ministers and MLAs on staff residence demand) कि यह सिर्फ सीएम को विशेषाधिकार है कि वो इस पॉलिसी के तहत आवास आंवटन कर सकते हैं. सम्मान्य प्रक्रिया के तहत जो कर्मचारियों के लिए आवास आवंटन नियम है, उसके तहत ही रोस्टर के हिसाब से इन्हें आवास आवंटित किये जायेंगे.

पढ़ें: Rajasthan High Court: पूर्व मुख्यमंत्री को बंगला देने से जुड़ी अवमानना याचिका खारिज...वरिष्ठ विधायक के नाते दिया गया आवास- राज्य सरकार

क्या है मामला: बता दें कि प्रदेश में पक्ष और विपक्ष के मिलाकर 200 विधायक हैं. इसके साथ करीब 30 से ज्यादा बोर्ड, निगम और आयोग के अध्यक्ष है. इन सब को स्टाफ मिला हुआ है. कर्मचारी होने के नाते इन्हें राजकीय आवास दिया जाता है, लेकिन सरकार के पास इतनी संख्या में आवास उपलब्ध नहीं है. खास बात यह है कि कई कैबिनेट और राज्य मंत्रियों के स्टाफ भी अभी तक आवास आंवटन नहीं हुआ है. नियमों के अनुसार इन सभी को आवेदन के बाद प्राथमिकता के आधार आवास आंवटन होता है. कई ऐसे मंत्री हैं जिन्हें बाद में पद दिया गया है, फिर वो कैबिनेट या राज्य मंत्री हो या फिर बोर्ड, आयोग या निगम के अध्यक्ष हैं. अब इन सब को पद मिलने के साथ स्टाफ मिल गया लेकिन उन्हें आवास नहीं मिल रहा है. हालांकि नियमों के अनुसार आवास आंवटन नहीं होने तक आवास अलाउंस दिया जाता है.

जयपुर. जिन विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों के स्टाफ को आवास नहीं मिल रहा है. उन्होंने सरकार से आउट ऑफ टर्न आवास देने की मांग उठाई (Demand of staff residence by MLAs and ministers) है. 30 से ज्यादा विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड, निगम और आयोग के अध्यक्षों ने सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र लिख कर स्टाफ को आउट ऑफ टर्न आवास देने की मांग की है. अब विभाग ने सभी को साफ कह दिया है कि इस पॉलिसी के तहत आवास आंवटन का विशेषाधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री के पास है.

मंत्री-विधायकों ने पत्र में यह लिखा: विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों की ओर से सामान्य प्रशासन विभाग को लिखे पत्र में कहा गया कि उनके यहां लगे स्टाफ का नम्बर आवास आंवटन में नहीं आ रहा है. ऐसे में आउट ऑफ टर्न पॉलिसी के तहत आवास आवंटित किए जाएं. ऐसा लिखने वाले कोई एक या दो विधायक या मंत्री नहीं हैं बल्कि 30 से ज्यादा विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों ने यह पत्र लिखा. इसमें मंत्री शकुंतला रावत, गोविंद राम मेघवाल, लालचंद कटारिया, प्रमोद जैन भाया, हेमाराम चौधरी, मुरारी मीणा, राजेंद्र यादव, अशोक चांदना सहित 30 से ज्यादा मंत्री और विधायकों के नाम हैं.

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जीएडी का जवाब: विधायकों, मंत्रियों, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों की ओर आउट ऑफ टर्न में उठाई गई मांग पर सामान्य प्रशासन विभाग ने जवाब देते हुए कहा (GAD reply to ministers and MLAs on staff residence demand) कि यह सिर्फ सीएम को विशेषाधिकार है कि वो इस पॉलिसी के तहत आवास आंवटन कर सकते हैं. सम्मान्य प्रक्रिया के तहत जो कर्मचारियों के लिए आवास आवंटन नियम है, उसके तहत ही रोस्टर के हिसाब से इन्हें आवास आवंटित किये जायेंगे.

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क्या है मामला: बता दें कि प्रदेश में पक्ष और विपक्ष के मिलाकर 200 विधायक हैं. इसके साथ करीब 30 से ज्यादा बोर्ड, निगम और आयोग के अध्यक्ष है. इन सब को स्टाफ मिला हुआ है. कर्मचारी होने के नाते इन्हें राजकीय आवास दिया जाता है, लेकिन सरकार के पास इतनी संख्या में आवास उपलब्ध नहीं है. खास बात यह है कि कई कैबिनेट और राज्य मंत्रियों के स्टाफ भी अभी तक आवास आंवटन नहीं हुआ है. नियमों के अनुसार इन सभी को आवेदन के बाद प्राथमिकता के आधार आवास आंवटन होता है. कई ऐसे मंत्री हैं जिन्हें बाद में पद दिया गया है, फिर वो कैबिनेट या राज्य मंत्री हो या फिर बोर्ड, आयोग या निगम के अध्यक्ष हैं. अब इन सब को पद मिलने के साथ स्टाफ मिल गया लेकिन उन्हें आवास नहीं मिल रहा है. हालांकि नियमों के अनुसार आवास आंवटन नहीं होने तक आवास अलाउंस दिया जाता है.

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