ETV Bharat / city

छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद: मानसून से पहले कोयला स्टॉक पर संकट,रबी सीजन में भी रहेगा बिजली संकट! - Coal crisis in Rajasthan

प्रदेश में बिजली संकट का कोई दीर्घकालिक समाधान फिलहाल नजर नहीं आ रहा है. मानसून के समय भले ही घरेलू बिजली की मांग में थोड़ी कमी आएगी, लेकिन उसी दौरान रबी की फसल के चलते किसानों को पर्याप्त बिजली चाहिए (Demand of power in Rajasthan) होगी. छत्तीसगढ़ में कोयला खनन विवाद के चलते मानसून से पहले प्रदेश के बिजली घरों में समुचित कोयले का स्टॉक नहीं किया जा सकेगा. बरसात के दौरान खदानों में पानी भराव की समस्या के चलते भी पर्याप्त कोयला मिलना मुश्किल है.

Demand of power in Rajasthan to be increased in coming days
छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद: मानसून से पहले कोयला स्टॉक पर संकट,रबी सीजन में भी रहेगा बिजली संकट!
author img

By

Published : Jun 16, 2022, 3:56 PM IST

जयपुर. प्रदेश में गर्मियों के दौरान कोयले की किल्लत के चलते बिजली का संकट रहा और आम बिजली उपभोक्ताओं को पावर कट की समस्या का भी सामना करना पड़ा, लेकिन मानसून आने के बाद भी बिजली का संकट खत्म होने की उम्मीद कम ही है. छत्तीसगढ़ में कोयला खनन विवाद के चलते मानसून से पहले प्रदेश के बिजली घरों में समुचित कोयले का स्टॉक नहीं किया जा सकेगा और बरसात के दौरान खदानों में पानी भराव की समस्या के चलते पर्याप्त कोयला मिलना मुश्किल है.

रबी सीजन में 15 हजार मेगावाट से अधिक मांग रहने की संभावना: वर्तमान में प्रदेश में बिजली की औसतन 14000 मेगावाट की डिमांड है और इस डिमांड को पूरी करने के लिए भी बाजार से महंगे दामों में बिजली खरीदनी पड़ रही है. इस समय गर्मी के कारण घर ऑफिस व अन्य प्रतिष्ठानों में कूलर, एसी चल रहे हैं लेकिन बरसात में एसी, कूलर का बिजली लोड कम हो जाएगा. लेकिन रबी का सीजन शुरू होने से कृषि में बिजली की डिमांड रहेगी. पिछले साल रबी के सीजन में प्रदेश में औसतन 15 हजार मेगावाट प्रतिदिन बिजली की डिमांड रही थी. इस बार इसमें इजाफा ही होगा. ऐसे में मौजूदा समय में डिमांड के अनुरूप प्रदेश में बिजली का उत्पादन होना मुश्किल है क्योंकि प्रदेश में अधिकतर बिजली उत्पादन की इकाई थर्मल आधारित हैं और अभी कोयले का संकट चल रहा (Coal crisis in Rajasthan) है.

पढ़ें: Power Crisis in Rajasthan : सौर ऊर्जा में राजस्थान सिरमौर फिर भी बिजली संकट, जानिये क्यों?

नहीं सुलझा छत्तीसगढ़ कोयला खनन मानसून से पहले कैसे होगा कोयला स्टोरेज: जिन प्रदेशों में कोयला आधारित बिजली घर हैं, वहां मानसून से पहले ही कोयले का पर्याप्त स्टॉक कर लिया जाता है. लेकिन राजस्थान में इस समय स्थिति उल्ट है. राजस्थान को छत्तीसगढ़ में 841 हेक्टेयर में आवंटित पारस ईस्ट कोयला खदान से खनन नहीं करने दिया जा रहा है. स्थानीय लोग और कुछ स्वयंसेवी संगठनों के विरोध के चलते खनन का काम अटका हुआ है जबकि केंद्र और खुद छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन की अनुमति दे दी है. ऐसे में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम मानसून से पहले अपने बिजली घरों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक करके नहीं रख सकता और कोयला नहीं रहने पर रबी के सीजन में बिजली का उत्पादन भी प्रभावित होगा जिससे बिजली संकट की स्थिति बनेगी.

पढ़ें: राजस्थान बिजली संकट: 1970 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां बंद,अन्य में 4 से 5 दिन का कोयला शेष...

प्रदेश में है थर्मल आधारित 23 उत्पादन इकाइयां,कुल क्षमता 7580 मेगावाट: प्रदेश में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की कोयला आधारित 23 इकाइयां संचालित हैं जिनकी उत्पादन क्षमता कुल 7580 मेगावाट है. नियम अनुसार इन बिजली उत्पादन इकाइयों में 20 से 26 दिन का कोयले का स्टॉक रहना जरूरी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोयला खनन पर चल रहे विवाद के चलते राजस्थान को अपने हक का कोयला नहीं मिल पा रहा. मौजूदा हालातों में इन इकाइयों में 4 से 5 दिन का कोयला स्टॉक के लिए हर यूनिट में मौजूद है. मतलब साफ है कि मानसून से पहले रबी के सीजन के लिए कोयले का स्टॉक करना राजस्थान के लिए मुश्किलों भरा काम रहेगा.

पढ़ें: राजस्थान में बिजली संकट: सरकार के वादों का बोझ ढो रही डिस्कॉम, सरकार पर 20 हजार करोड़ का बकाया

प्रतिदिन मिल रहा 21 रैक कोयला: राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारियों की मानें तो वर्तमान में कोल इंडिया व अन्य माध्यमों से राजस्थान को 20 से 21 रैक कोयला प्रतिदिन मिल रहा है. अधिकारियों के अनुसार राजस्थान में मौजूदा जरूरत के लिहाज से यह कोयला पर्याप्त है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यदि कोयला खनन से जुड़ा विवाद सुलझ जाता है और राजस्थान को अपने हक का कोयला मिलता है, तो फिर प्रदेश में कोयले का संकट नहीं रहेगा और यह संकट खत्म होने के बाद प्रदेश में 7580 मेगावाट कुल क्षमता पर इकाई है काम करना शुरु कर सकती हैं.

जयपुर. प्रदेश में गर्मियों के दौरान कोयले की किल्लत के चलते बिजली का संकट रहा और आम बिजली उपभोक्ताओं को पावर कट की समस्या का भी सामना करना पड़ा, लेकिन मानसून आने के बाद भी बिजली का संकट खत्म होने की उम्मीद कम ही है. छत्तीसगढ़ में कोयला खनन विवाद के चलते मानसून से पहले प्रदेश के बिजली घरों में समुचित कोयले का स्टॉक नहीं किया जा सकेगा और बरसात के दौरान खदानों में पानी भराव की समस्या के चलते पर्याप्त कोयला मिलना मुश्किल है.

रबी सीजन में 15 हजार मेगावाट से अधिक मांग रहने की संभावना: वर्तमान में प्रदेश में बिजली की औसतन 14000 मेगावाट की डिमांड है और इस डिमांड को पूरी करने के लिए भी बाजार से महंगे दामों में बिजली खरीदनी पड़ रही है. इस समय गर्मी के कारण घर ऑफिस व अन्य प्रतिष्ठानों में कूलर, एसी चल रहे हैं लेकिन बरसात में एसी, कूलर का बिजली लोड कम हो जाएगा. लेकिन रबी का सीजन शुरू होने से कृषि में बिजली की डिमांड रहेगी. पिछले साल रबी के सीजन में प्रदेश में औसतन 15 हजार मेगावाट प्रतिदिन बिजली की डिमांड रही थी. इस बार इसमें इजाफा ही होगा. ऐसे में मौजूदा समय में डिमांड के अनुरूप प्रदेश में बिजली का उत्पादन होना मुश्किल है क्योंकि प्रदेश में अधिकतर बिजली उत्पादन की इकाई थर्मल आधारित हैं और अभी कोयले का संकट चल रहा (Coal crisis in Rajasthan) है.

पढ़ें: Power Crisis in Rajasthan : सौर ऊर्जा में राजस्थान सिरमौर फिर भी बिजली संकट, जानिये क्यों?

नहीं सुलझा छत्तीसगढ़ कोयला खनन मानसून से पहले कैसे होगा कोयला स्टोरेज: जिन प्रदेशों में कोयला आधारित बिजली घर हैं, वहां मानसून से पहले ही कोयले का पर्याप्त स्टॉक कर लिया जाता है. लेकिन राजस्थान में इस समय स्थिति उल्ट है. राजस्थान को छत्तीसगढ़ में 841 हेक्टेयर में आवंटित पारस ईस्ट कोयला खदान से खनन नहीं करने दिया जा रहा है. स्थानीय लोग और कुछ स्वयंसेवी संगठनों के विरोध के चलते खनन का काम अटका हुआ है जबकि केंद्र और खुद छत्तीसगढ़ सरकार ने खनन की अनुमति दे दी है. ऐसे में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम मानसून से पहले अपने बिजली घरों में कोयले का पर्याप्त स्टॉक करके नहीं रख सकता और कोयला नहीं रहने पर रबी के सीजन में बिजली का उत्पादन भी प्रभावित होगा जिससे बिजली संकट की स्थिति बनेगी.

पढ़ें: राजस्थान बिजली संकट: 1970 मेगावाट क्षमता की 5 इकाइयां बंद,अन्य में 4 से 5 दिन का कोयला शेष...

प्रदेश में है थर्मल आधारित 23 उत्पादन इकाइयां,कुल क्षमता 7580 मेगावाट: प्रदेश में राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम की कोयला आधारित 23 इकाइयां संचालित हैं जिनकी उत्पादन क्षमता कुल 7580 मेगावाट है. नियम अनुसार इन बिजली उत्पादन इकाइयों में 20 से 26 दिन का कोयले का स्टॉक रहना जरूरी है, लेकिन छत्तीसगढ़ में कोयला खनन पर चल रहे विवाद के चलते राजस्थान को अपने हक का कोयला नहीं मिल पा रहा. मौजूदा हालातों में इन इकाइयों में 4 से 5 दिन का कोयला स्टॉक के लिए हर यूनिट में मौजूद है. मतलब साफ है कि मानसून से पहले रबी के सीजन के लिए कोयले का स्टॉक करना राजस्थान के लिए मुश्किलों भरा काम रहेगा.

पढ़ें: राजस्थान में बिजली संकट: सरकार के वादों का बोझ ढो रही डिस्कॉम, सरकार पर 20 हजार करोड़ का बकाया

प्रतिदिन मिल रहा 21 रैक कोयला: राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारियों की मानें तो वर्तमान में कोल इंडिया व अन्य माध्यमों से राजस्थान को 20 से 21 रैक कोयला प्रतिदिन मिल रहा है. अधिकारियों के अनुसार राजस्थान में मौजूदा जरूरत के लिहाज से यह कोयला पर्याप्त है, लेकिन छत्तीसगढ़ में यदि कोयला खनन से जुड़ा विवाद सुलझ जाता है और राजस्थान को अपने हक का कोयला मिलता है, तो फिर प्रदेश में कोयले का संकट नहीं रहेगा और यह संकट खत्म होने के बाद प्रदेश में 7580 मेगावाट कुल क्षमता पर इकाई है काम करना शुरु कर सकती हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.