जयपुर. राजधानी जयपुर में पिछले 3 दिन से शातिर साइबर ठग व्हाट्सएप नंबर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर डीजीपी एमएल लाठर सहित कई मंत्रियों और पुलिस के आला अधिकारियों की फोटो लगाकर लोगों से राशि व गिफ्ट वाउचर की मांग कर चुके (Fraud using CM photo as DP on Whatsapp) हैं. ताज्जुब की बात यह है कि पुलिस अब तक ना तो ठगों का कोई भी सुराग जुटा सकी है और ना ही उन नंबरों को व्हाट्सएप से ब्लॉक करवा सकी है. वहीं ठग बड़े आराम से अलग-अलग मंत्रियों और अधिकारियों की फोटो लगाकर लगातार ठगी का प्रयास कर रहे हैं और कुछ लोग उसके झांसे में आकर राशि भी गंवा चुके हैं. ठगों का पैटर्न सभी मामलों में एक ही रहा है. लोगों को व्हाट्सएप मैसेज भेज कर खुद को मीटिंग में व्यस्त बता कर जल्द राशि या गिफ्ट वाउचर भेजने के लिए कहा जाता है. जो लोग सिर्फ तस्वीर देखकर मैसेज का रिप्लाई करते हैं, वे ठगों के झांसे में फंस जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं.
इस तरह से चल रहा ठगों का खेल: ठगों ने गुरुवार को सबसे पहले एसीबी एडीजी दिनेश एमएन की फोटो लगाकर ठगी का प्रयास किया और जब कोई भी उनका शिकार नहीं बना तो फिर उसी नंबर पर मंत्री शांति धारीवाल की फोटो लगाकर लोगों से राशि की डिमांड (Demand of money by using fake Whatsapp DP) की. जब शांति धारीवाल के नाम से भी कोई उनके जाल में नहीं फंसा तो फिर उसी नंबर पर उन्होंने देर शाम मंत्री शकुंतला रावत की फोटो लगाकर लोगों से ठगी का प्रयास किया लेकिन उसमें भी उनको सफलता नहीं मिली.
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इसके बाद ठगों ने एक दूसरे नंबर पर डीजीपी एमएल लाठर की फोटो लगाकर ठगी का प्रयास किया और उसमें सफल नहीं रहने पर उसी नंबर पर एसीबी डीजी बीएल सोनी की फोटो लगाकर ठगी की कोशिश की. इसके बाद ठगों ने गुरुवार को एक व्हाट्सएप नंबर पर मंत्री सालेह मोहम्मद की फोटो लगाकर ठगी का प्रयास किया लेकिन उसमें भी उनको सफलता नहीं मिली. इसके बाद ठगों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की फोटो व्हाट्सएप नंबर पर लगा कर सचिवालय के अधिकारियों से 3 लाख रुपए के गिफ्ट कार्ड की मांग की लेकिन उसमें भी कोई ठगी का शिकार नहीं हो पाया.
आईएएस के नाम पर ठगे 70 हजार: गुरुवार को ठगों ने एक व्हाट्सएप नंबर पर राजस्थान अर्बन इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के निदेशक आईएएस कुमार पाल गौतम की फोटो लगाकर विभाग की एक महिला कर्मचारी को मैसेज भेज 70 हजार रुपए के गिफ्ट कार्ड की मांग की. महिला कर्मचारी ने नंबर को वेरीफाई नहीं किया और नंबर पर लगी हुई फोटो के आधार पर ठगों के जाल में फंस 70 हजार रुपए के गिफ्ट वाउचर खरीद कर उस नंबर पर लिंक भेज दिए. इस दौरान विभाग के कुछ अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों के पास भी ठगों के मैसेज पहुंचे लेकिन अन्य लोग ठगों के झांसे में नहीं आए. जब तक महिला कर्मचारी को ठगे जाने की जानकारी मिली, तब तक काफी देर हो चुकी थी और उसके 70 हजार रुपए ठगे जा चुके थे. इसके बाद ठगी का शिकार हुई प्रोजेक्ट की वित्तीय सलाहकार आरती बागोटिया ने गांधीनगर थाने में ठगी का मामला दर्ज करवाया.
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व्हाट्सएप नंबर ब्लॉक करने में आ रही यह परेशानी: डीआईजी क्राइम राहुल प्रकाश ने बताया कि जब ठग किसी सिम कार्ड का प्रयोग करके ठगी की वारदात को अंजाम देते हैं तो पुलिस तुरंत संबंधित टेलीकॉम कंपनी से संपर्क कर उस नंबर को ब्लॉक करवाती है. हालांकि व्हाट्सएप नंबर पर अलग-अलग अधिकारियों की डीपी लगा कर ठगी का प्रयास करने वाले ठगों के नंबर कि व्हाट्सएप प्रोफाइल को ब्लॉक करवाना आसान काम नहीं है.
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व्हाट्सएप का सर्वर भारत में मौजूद नहीं है, ऐसे में फेक प्रोफाइल का एक डेटाबेस तैयार कर उन प्रोफाइल को ब्लॉक या आईडी को डीएक्टिवेट करने के लिए व्हाट्सएप हेडक्वार्टर को मेल भेजी जाती है. व्हाट्सएप हेडक्वार्टर द्वारा उस रिक्वेस्ट का रिव्यू किया जाता है और उनके जो नियम बने हुए हैं उसके आधार पर आगे एक्शन लिया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में कई हफ्तों का समय लगता है और फेक व्हाट्सएप प्रोफाइल को जल्दी डीएक्टिवेट या रिमूव करवाना काफी मुश्किल होता है. जिसका फायदा शातिर साइबर ठग उठाते हैं और फेक आईडी से खरीदी हुई सिम कार्ड पर व्हाट्सएप प्रोफाइल क्रिएट कर उस प्रोफाइल पर अलग-अलग अधिकारियों, मंत्रियों, न्यायाधीश व अलग-अलग नामी लोगों की तस्वीरें लगाकर ठगी करते हैं.