जयपुर. राजस्थान के कई इलाकों में रविवार को तेज बारिश हुई. इस दौरान बिजली गिरने से चार अलग-अलग जगहों पर दर्दनाक हादसे हुए. राजधानी जयपुर के आमेर में बिजली गिरने से 11 लोगों ने दम तोड़ दिया है. जबकि कई लोगों के हताहत होने की खबर है.
जयपुर के आमेर महल के सामने पहाड़ी पर स्थित वॉच टावर पर आकाशीय बिजली गिरने से 11 लोगों की मौत हो गई है और कई लोग घायल हुए हैं. पुलिस और सिविल डिफेंस की टीमें मौके पर आज भी रेस्क्यू ऑपरेशन चलाएंगी. वहीं, अब तक 30 लोगों को रेस्क्यू किया गया है. घायलों का एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) में उपचार चल रहा है.
कैसे पता चलता है बिजली गिरेगी- यदि आकाशीय बिजली चमक रही है और अपके सिर के बाल खड़े हो जाएं और शरीर कंपन करने लगे तो आपके आस-पास यह खतरा हो सकता है. ऐसी स्थिति में नीचे झुकर कान बंद कर लें, बालों को ढक कर सिर को घुटनों में छुपा लें और पैरों तले जमीन पर बैठ जाएं. इससे जमीन के साथ कम से कम संपर्क रहेगा और संभावित खतरा टल सकता है. साथ ही दोनों एड़ी को तिरछा मिलाकर बैठ जाएं.
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आकाशीय बिजली कैसे बनती है ?- बिजली एक विद्युत प्रवाह है. इस विद्युत प्रवाह में बादलों की भी भूमिका होती है. जब जमीन गर्म होती है, तो हवा को गर्म करती है. जैसे ही यह गर्म हवा जमीन से ऊपर आती है, भाप ठंडी होती है और बादल बनते हैं. जब हवा बढ़ती रहती है, तो बादल और बड़ा हो जाता है. बादलों के ऊपर तापमान बहुत ठंडा होता है और भाप बर्फ में बदल जाती है.
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इसके बाद बादलों में गड़गड़ाहट होती है. इससे बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े एक-दूसरे से टकराते हैं. इनके टकराने से विद्युत आवेश (इलेक्ट्रिक चार्ज) बनता है जिससे पूरा बादल विद्युत आवेशों से भर जाता है. हल्के आवेशित कण (पॉजिटिवली चार्जड पार्टिकल्स) बादल के ऊपर बनते हैं. वहीं भारी नकारात्मक रूप से आवेशित कण (नेगेटिवली चार्जड पार्टिकल्स) बादल के नीचे बैठ जाते हैं. जब पॉजिटिवली और नेगेटिवली चार्जड पार्टिकल्स काफी बड़े हो जाते हैं, तो इनके बीच एक विशाल चिंगारी या बिजली बनती है.
बिजली गिरने से हुई मौतों पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlo), सचिन पायलट (Sachin Pilot) और वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर दुख जताया है. वहीं, मुख्यमंत्री ने तत्काल मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये सहायता राशि देने के निर्देश दिए हैं. घायलों को नियमानुसार सहायता राशि दी जाएगी.