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न संसाधन, न अनुभव, फिर क्यों सीवरेज में उतार दिया जाता है सफाई कर्मचारियों को! - जयपुर नगर निगम

हाल ही में राजधानी में सीवरेज में काम करते वक्त एक सफाई कर्मचारी की मौत के मामले में वाल्मिकी समाज आक्रोशित है. सफाई कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती और संसाधनों की पूर्ति के बिना सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.

Jaipur Municipal Corporation, सीवरेज में सफाई कर्मचारी की मौैत, death of the sweeper
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Published : Oct 5, 2019, 9:03 AM IST

जयपुर. सीवरेज में दम घुटने से सफाई कर्मचारी की मौत के मामले ने निगम प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए हैं. इसे लेकर सफाई कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती और संसाधनों की पूर्ति के बिना सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.

सफाई कर्मचारी की मौत के बाद उठने लगे सवाल

हाल ही में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने एक मंच से सफाई कर्मचारियों के काम और उससे प्रभावित होने वाले उनके स्वास्थ्य को लेकर जिक्र किया था कि कांग्रेस सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी, जिससे सफाई कर्मचारी को सीवर चेंबर साफ करने के लिए उसमें उतरने की जरूरत न पड़े. लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही राजधानी में दो सफाई कर्मचारी सीवरेज टैंक की सफाई के दौरान मूर्छित हो गए. जिनमें से एक की इलाज के दौरान मौत भी हो गई.

पढ़ें: RCA के नए अध्यक्ष गहलोत ने कहा- सीपी जोशी ने जिम्मेदारी दी है तो क्रिकेट के लिए करूंगा काम

मामले की पड़ताल की गई तो सामने आया कि यहां काम करने पहुंचे सफाई कर्मचारियों के पास न तो अनुभव था और न ही कोई संसाधन. साल 2018 में नियुक्त हुए इन कर्मचारियों को तो निगम की ओर से मास्क तक उपलब्ध नहीं कराए गए. इस हादसे के बाद सफाई कर्मचारियों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. उन्होंने मृतक आश्रित को नौकरी और 10 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की है. साथ ही आने वाली भर्तियों में कुशल और अनुभवी वाल्मीकि समाज से जुड़े हुए सफाई कर्मचारियों की भर्ती की मांग की है.

उन्होंने निगम प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीवरेज साफ करने वाले कर्मचारियों के लिए गम बूट मास्क और अन्य संसाधनों की कमी को लेकर बार-बार ज्ञापन दिया गया है. बावजूद इसके निगम की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई. ऐसे में कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती और संसाधनों की पूर्ति नहीं होने तक सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.

पढ़ें: अशोक गहलोत को युवाओं के रोजगार की नहीं अपने बेटे की चिंताः सतीश पूनिया

इस हादसे ने कई सवाल खड़े किए. पहला सवाल ये कि आखिर सीवरेज में उतरने वाले सफाई कर्मचारियों को कब पूरे संसाधन मिलना शुरू होंगे. दूसरा सवाल ये कि आखिर क्यों अनुभवहीन सफाई कर्मचारियों की जान को जोखिम में डालकर उनसे यह कार्य कराया जा रहा है. तीसरा बड़ा सवाल ये कि क्यों राजनेता बड़े मंचों से ऐसे दावे करते हैं, जिनका हकीकत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता.

जयपुर. सीवरेज में दम घुटने से सफाई कर्मचारी की मौत के मामले ने निगम प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए हैं. इसे लेकर सफाई कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती और संसाधनों की पूर्ति के बिना सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है.

सफाई कर्मचारी की मौत के बाद उठने लगे सवाल

हाल ही में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने एक मंच से सफाई कर्मचारियों के काम और उससे प्रभावित होने वाले उनके स्वास्थ्य को लेकर जिक्र किया था कि कांग्रेस सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी, जिससे सफाई कर्मचारी को सीवर चेंबर साफ करने के लिए उसमें उतरने की जरूरत न पड़े. लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही राजधानी में दो सफाई कर्मचारी सीवरेज टैंक की सफाई के दौरान मूर्छित हो गए. जिनमें से एक की इलाज के दौरान मौत भी हो गई.

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मामले की पड़ताल की गई तो सामने आया कि यहां काम करने पहुंचे सफाई कर्मचारियों के पास न तो अनुभव था और न ही कोई संसाधन. साल 2018 में नियुक्त हुए इन कर्मचारियों को तो निगम की ओर से मास्क तक उपलब्ध नहीं कराए गए. इस हादसे के बाद सफाई कर्मचारियों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. उन्होंने मृतक आश्रित को नौकरी और 10 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की है. साथ ही आने वाली भर्तियों में कुशल और अनुभवी वाल्मीकि समाज से जुड़े हुए सफाई कर्मचारियों की भर्ती की मांग की है.

उन्होंने निगम प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीवरेज साफ करने वाले कर्मचारियों के लिए गम बूट मास्क और अन्य संसाधनों की कमी को लेकर बार-बार ज्ञापन दिया गया है. बावजूद इसके निगम की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई. ऐसे में कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती और संसाधनों की पूर्ति नहीं होने तक सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने का फैसला लिया है.

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इस हादसे ने कई सवाल खड़े किए. पहला सवाल ये कि आखिर सीवरेज में उतरने वाले सफाई कर्मचारियों को कब पूरे संसाधन मिलना शुरू होंगे. दूसरा सवाल ये कि आखिर क्यों अनुभवहीन सफाई कर्मचारियों की जान को जोखिम में डालकर उनसे यह कार्य कराया जा रहा है. तीसरा बड़ा सवाल ये कि क्यों राजनेता बड़े मंचों से ऐसे दावे करते हैं, जिनका हकीकत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता.

Intro:जयपुर - सीवरेज में दम घुटने से सफाई कर्मचारी की मौत के मामले ने निगम प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए हैं। इसे लेकर सफाई कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती, और संसाधनों की पूर्ति के बिना सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है।


Body:कांग्रेस सरकार ऐसी व्यवस्था करेगी जिससे सफाई कर्मचारी को सीवर चेंबर साफ करने के लिए उसमें उतरने की जरूरत ना पड़े। हाल ही में प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत ने एक मंच से सफाई कर्मचारियों के काम और उस से प्रभावित होने वाले उनके स्वास्थ्य को लेकर जिक्र किया। लेकिन इसके कुछ घंटों बाद ही राजधानी में दो सफाई कर्मचारी सीवरेज टैंक की सफाई के दौरान मूर्छित हो गए। जिनमें से एक की इलाज के दौरान मौत भी हो गई। मामले की पड़ताल की गई तो सामने आया कि यहां काम करने पहुंचे सफाई कर्मचारियों के पास ना तो अनुभव था और ना ही कोई संसाधन। हाल ही में 2018 में नियुक्त हुए इन कर्मचारियों को तो निगम की ओर से मास्क तक उपलब्ध नहीं कराए गए। इस हादसे के बाद सफाई कर्मचारियों में आक्रोश देखने को मिल रहा है। उन्होंने मृतक आश्रित को नौकरी और 10 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की है। साथ ही आने वाली भर्तियों में कुशल और अनुभवी वाल्मीकि समाज से जुड़े हुए सफाई कर्मचारियों की भर्ती की मांग की है। उन्होंने निगम प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीवरेज साफ करने वाले कर्मचारियों के लिए गम बूट मास्क और अन्य संसाधनों की कमी को लेकर बार-बार ज्ञापन दिया गया है। बावजूद इसके निगम की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई। ऐसे में कर्मचारियों ने अनुभवी कर्मचारियों की भर्ती और संसाधनों की पूर्ति नहीं होने तक सीवरेज सफाई के काम का बहिष्कार करने का फैसला लिया है।
बाईट - नंदकिशोर डंडोरिया, अध्यक्ष सफाई कर्मचारी


Conclusion:इस हादसे ने कई सवाल खड़े किए। पहला सवाल ये कि आखिर सीवरेज में उतरने वाले सफाई कर्मचारियों को कब पूरे संसाधन मिलना शुरू होंगे। दूसरा सवाल ये कि आखिर क्यों अनुभवहीन सफाई कर्मचारियों की जान को जोखिम में डालकर उनसे यह कार्य कराया जा रहा है। और तीसरा बड़ा सवाल ये कि क्यों राजनेता बड़े मंचों से ऐसे दावे करते हैं, जिनका हकीकत से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं होता।
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