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जयपुर में बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज, पिता को दी मुखाग्नि - बेटियों ने अंतिम संस्कार किया

जयपुर के आमेर में बेटियों ने एक अनुकरणीय पहल करते हुए मिसाल पेश की है. कंवरपुरा ग्राम पंचायत में बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया है. बेटियों ने न सिर्फ अपने पिता को मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार की सारी रश्में निभाईं. वहीं इसकी चर्चा पूरे गांव में हो रही है.

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जयपुर में बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज
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Published : Oct 3, 2020, 6:34 PM IST

जयपुर. ग्रामीण क्षेत्रों में कहा जाता है कि बेटा कुल का दीपक होता है. बेटे के बिना माता पिता को मुखाग्नि कौन देगा, लेकिन यह बातें अब बीते जमाने की हो गईं. कहा जाता है कि बेटियां बेटों से कम नहीं, जिसकी एक मिसाल राजधानी जयपुर के आमेर में देखने को मिली है. आमेर के कंवरपुरा ग्राम पंचायत में बेटियों ने साहस दिखाते हुए एक अनुकरणीय पहल की है. बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया है. बेटियों ने ना केवल अपने पिता को मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार की भी सारी रस्में निभाई, जिनकी उम्मीद एक पुत्र से की जाती थी.

जयपुर में बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज

ग्रामीणों के मुताबिक आमेर के ग्राम पंचायत कंवरपुरा में मंगलाराम का निधन हो गया, जिसको बेटियों ने मुखाग्नि दी. मृतक ग्राम हनुतपुरा तहसील शाहपुरा निवासी मंगलाराम हरितवाल के चार बेटियां हैं. इनके कोई पुत्र नहीं है. जिसका फर्ज बेटियों ने निभाया. प्रेम देवी पत्नी मंगलचंद, सुनी देवी पत्नी राजेन्द्र, अर्चना देवी पत्नी रणजीत और बिमला देवी पत्नी रोशन लाल जाट निवासी कंवरपुरा ने अपने पिता को पुत्रों की कमी का अहसास नहीं होने दिया. इन पुत्रियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया. साथ ही परिवार की महिलाएं भी शव यात्रा में शामिल हुईं. बेटियों ने अपने माता पिता की सेवा करते हुए पुत्र की कमी का अहसास नहीं होने दिया.

पढ़ें- अलवर: गूंदपुर में डेंगू बुखार का प्रकोप, डिप्टी सीएमएचओ ने किया घर-घर जाकर निरीक्षण

गांव से जब अंतिम यात्रा निकाली गई तो चारों बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया. बेटियां अर्थी को कंधा लेकर निकली तो देखने वालों की भीड़ लग गई. यह दृश्य देखकर हर किसी व्यक्ति की आंखें नम हो गई. गांव में हिंदू परंपरा को तोड़ते हुए बेटियों ने पिता के शव को कंधा देकर न केवल मोक्ष धाम पहुंचाया, बल्कि मुखाग्नि भी दी. मोक्ष धाम ले जाकर वैदिक रीति रिवाज के मुताबिक मुखाग्नि दी गई.

पिता के निधन से बेटियों को गहरा दुख हुआ है. बेटियों ने कहा कि पिता ने हमें कभी बेटों से कम नहीं समझा. हमारा सौभाग्य है कि हमें अपने पिता का अंतिम संस्कार करने का मौका मिला है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि समाज में बैठे बेटी के अंतर को दूर करना चाहिए. मंगलाराम की बेटियों ने पिता को कंधा देकर गांव के मुक्तिधाम में अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए.

पढ़ें- सवाई माधोपुर सेक्स स्कैंडल पर बोले राजस्थान सेवादल अध्यक्ष, अगर इस मामले में महिला कांग्रेस सेवादल की हुई तो दे दूंगा इस्तीफा

बेटियों द्वारा किया गया अंतिम संस्कार गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है. बेटियों ने पिता को मुखाग्नि देकर बेटे होने का फर्ज अदा किया है. वहीं समाज में बेटा-बेटी के अंतर की मानसिकता को भी दूर किया है.

जयपुर. ग्रामीण क्षेत्रों में कहा जाता है कि बेटा कुल का दीपक होता है. बेटे के बिना माता पिता को मुखाग्नि कौन देगा, लेकिन यह बातें अब बीते जमाने की हो गईं. कहा जाता है कि बेटियां बेटों से कम नहीं, जिसकी एक मिसाल राजधानी जयपुर के आमेर में देखने को मिली है. आमेर के कंवरपुरा ग्राम पंचायत में बेटियों ने साहस दिखाते हुए एक अनुकरणीय पहल की है. बेटी ने पिता को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया है. बेटियों ने ना केवल अपने पिता को मुखाग्नि दी, बल्कि अंतिम संस्कार की भी सारी रस्में निभाई, जिनकी उम्मीद एक पुत्र से की जाती थी.

जयपुर में बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज

ग्रामीणों के मुताबिक आमेर के ग्राम पंचायत कंवरपुरा में मंगलाराम का निधन हो गया, जिसको बेटियों ने मुखाग्नि दी. मृतक ग्राम हनुतपुरा तहसील शाहपुरा निवासी मंगलाराम हरितवाल के चार बेटियां हैं. इनके कोई पुत्र नहीं है. जिसका फर्ज बेटियों ने निभाया. प्रेम देवी पत्नी मंगलचंद, सुनी देवी पत्नी राजेन्द्र, अर्चना देवी पत्नी रणजीत और बिमला देवी पत्नी रोशन लाल जाट निवासी कंवरपुरा ने अपने पिता को पुत्रों की कमी का अहसास नहीं होने दिया. इन पुत्रियों ने पिता की अर्थी को कंधा दिया. साथ ही परिवार की महिलाएं भी शव यात्रा में शामिल हुईं. बेटियों ने अपने माता पिता की सेवा करते हुए पुत्र की कमी का अहसास नहीं होने दिया.

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गांव से जब अंतिम यात्रा निकाली गई तो चारों बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया. बेटियां अर्थी को कंधा लेकर निकली तो देखने वालों की भीड़ लग गई. यह दृश्य देखकर हर किसी व्यक्ति की आंखें नम हो गई. गांव में हिंदू परंपरा को तोड़ते हुए बेटियों ने पिता के शव को कंधा देकर न केवल मोक्ष धाम पहुंचाया, बल्कि मुखाग्नि भी दी. मोक्ष धाम ले जाकर वैदिक रीति रिवाज के मुताबिक मुखाग्नि दी गई.

पिता के निधन से बेटियों को गहरा दुख हुआ है. बेटियों ने कहा कि पिता ने हमें कभी बेटों से कम नहीं समझा. हमारा सौभाग्य है कि हमें अपने पिता का अंतिम संस्कार करने का मौका मिला है. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि समाज में बैठे बेटी के अंतर को दूर करना चाहिए. मंगलाराम की बेटियों ने पिता को कंधा देकर गांव के मुक्तिधाम में अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए.

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बेटियों द्वारा किया गया अंतिम संस्कार गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है. बेटियों ने पिता को मुखाग्नि देकर बेटे होने का फर्ज अदा किया है. वहीं समाज में बेटा-बेटी के अंतर की मानसिकता को भी दूर किया है.

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