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दारासिंह एनकाउंटर केस : दर्ज नहीं की FIR, थानाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गुहार

दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में अदालती आदेश के बावजूद बनीपार्क थाना पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कर परिवाद को अदालत में लौटाने पर थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की गुहार की गई है. जिस पर अदालत ने 20 जनवरी को सुनवाई तय की है.

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Published : Jan 15, 2020, 8:53 PM IST

जयपुर. दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में अदालती आदेश के बावजूद बनीपार्क थाना पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कर परिवाद को अदालत में लौटाने पर थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की गुहार की गई है. जिस पर अदालत ने 20 जनवरी को सुनवाई तय की है.

परिवादी अमित बेनीवाल की ओर से अधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह पूनिया ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि परिवाद में न्यायिक अधिकारियों के नाम सिर्फ घटनाक्रम को लेकर रेफरेंस के तौर पर ही दिए गए हैं. इसके अलावा अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे. ऐसे में पुलिस को परिवाद का अध्ययन ही नहीं करना था, बल्कि उसे सीधे तौर पर एफआईआर के रूप में बदलाना था. पुलिस ने परिवाद पर आपत्ति लगाकर उसे पुन: अदालत में भेज दिया. ऐसे में थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में निजी विवि की डिग्री नहीं मानने पर मांगा जवाब

गौरतलब है कि एनकाउंटर प्रकरण की ट्रायल के दौरान दारासिंह की विधवा सुशीला देवी पर दबाव डालकर बयान बदलवाने का आरोप लगाते हुए परिवाद पेश किया गया था. जिस पर अदालत ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और राजाराम मील सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे. जिसे पुलिस ने पुन: अदालत में भेजते हुए कुछ बिन्दुओं पर अदालत का मार्गदर्शन चाहा था.

जयपुर. दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में अदालती आदेश के बावजूद बनीपार्क थाना पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज नहीं कर परिवाद को अदालत में लौटाने पर थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की गुहार की गई है. जिस पर अदालत ने 20 जनवरी को सुनवाई तय की है.

परिवादी अमित बेनीवाल की ओर से अधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह पूनिया ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि परिवाद में न्यायिक अधिकारियों के नाम सिर्फ घटनाक्रम को लेकर रेफरेंस के तौर पर ही दिए गए हैं. इसके अलावा अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे. ऐसे में पुलिस को परिवाद का अध्ययन ही नहीं करना था, बल्कि उसे सीधे तौर पर एफआईआर के रूप में बदलाना था. पुलिस ने परिवाद पर आपत्ति लगाकर उसे पुन: अदालत में भेज दिया. ऐसे में थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने पीटीआई भर्ती-2018 में निजी विवि की डिग्री नहीं मानने पर मांगा जवाब

गौरतलब है कि एनकाउंटर प्रकरण की ट्रायल के दौरान दारासिंह की विधवा सुशीला देवी पर दबाव डालकर बयान बदलवाने का आरोप लगाते हुए परिवाद पेश किया गया था. जिस पर अदालत ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और राजाराम मील सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे. जिसे पुलिस ने पुन: अदालत में भेजते हुए कुछ बिन्दुओं पर अदालत का मार्गदर्शन चाहा था.

Intro:जयपुर। दारासिंह एनकाउंटर प्रकरण में अदालती आदेश के बावजूद बनीपार्क थाना पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज ना कर परिवाद को अदालत में लौटाने पर थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की गुहार की गई है। जिस पर अदालत ने 20 जनवरी को सुनवाई तय की है। Body:परिवादी अमित बेनीवाल की ओर से अधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह पूनिया ने अदालत में प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि परिवाद में न्यायिक अधिकारियों के नाम सिर्फ घटनाक्रम को लेकर रेफरेंस के तौर पर ही दिए गए हैं। इसके अलावा अदालत ने पुलिस को मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए थे। ऐसे में पुलिस को परिवाद का अध्ययन ही नहीं करना था, बल्कि उसे सीधे तौर पर एफआईआर के रूप में बदलाना था। पुलिस ने परिवाद पर आपत्ति लगाकर उसे पुन: अदालत में भेज दिया। ऐसे में थानाधिकारी के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि एनकाउंटर प्रकरण की ट्रायल के दौरान दारासिंह की विधवा सुशीला देवी पर दबाव डालकर बयान बदलवाने का आरोप लगाते हुए परिवाद पेश किया गया था। जिस पर अदालत ने पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठोड और राजाराम मील सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे। जिसे पुलिस ने पुन: अदालत में भेजते हुए कुछ बिन्दुओं पर अदालत का मार्गदर्शन चाहा था।Conclusion:
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