जयपुर. भारत में गरबा और डांडिया गुजरात की सांस्कृतिक पहचान है. अब ये नृत्य कला तेजी से गुजरात के बाहर भी जगह बना रही है. बीते 2 दशक में राजस्थान में भी लोगों में गरबा डांडिया को लेकर रुचि बढ़ी है. राजधानी जयपुर का गुजराती समाज जयपुर में बसने से लेकर अब तक शारदीय नवरात्र में गरबा डांडिया का आयोजन करता रहा है.
बताया जाता है कि महाराजा सवाई जय सिंह ने जयपुर की स्थापना के समय गुजराती ब्राह्मणों को जयपुर बुलाकर पूजा-पाठ कराई थी और जयपुर में बसाया था. तभी से परकोटे में गुजराती समाज के लोग शारदीय नवरात्र में गुजराती और राजस्थानी पोशाक धारण कर गुजरात के रंग यहां बिखेर रहे हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी ये परंपरा जारी है. हालांकि समय के साथ डीजे की गूंज इसका अभिन्न अंग और रंग-मंडप पहचान बन गए हैं.
हाथों में डांडिया और रंग-बिरंगी पोशाक में झूमते महिला और पुरुष इसी तरह गुलाबी नगरी हर वर्ष गरबा रास में धूम पचते दिखते हैं. हालांकि इस बार कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से वृहद स्तर पर ये आयोजन नहीं हो सके.