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जागते रहो: अब बच्चों को निशाना बना रहे साइबर हैकर्स, पेरेंट्स इस तरह दें ध्यान

साइबर हैकर्स इन दिनों लोगों को ठगने के लिए नए नए तरीके अपना रहे हैं. हैकर्स ठगी करने के लिए बच्चों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाकर वारदात को अंजाम दे रहे हैं (Cyber hackers are targeting children for cheating). जानें कैसे हैकर्स बच्चों को अपने जाल में फंसा रहे हैं और इनसे बचने के क्या हैं उपाय...

Cyber hackers are targeting children for cheating
साइबर हैकर की प्रतीकात्मक तस्वीर
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Published : Jun 25, 2022, 7:28 PM IST

जयपुर. साइबर हैकर्स ने इन दिनों लोगों को ठगने और ब्लैकमेल करने का एक नया तरीका इजाद किया है. अब वह मासूम बच्चों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाते हुए उनके परिजनों को ब्लैकमेल करने का काम कर रहे हैं. मासूम बच्चों को विभिन्न गेम्स और एप्लीकेशन के माध्यम से साइबर हैकर्स पहले अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें अलग-अलग टास्क देकर अपना काम करवाते हैं (Cyber hackers are targeting children for cheating). यदि कोई बच्चा ऐसा करने से मना करता है तो उसे उसके पेरेंट्स को जान से मारने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया जाता है. फिर उस बच्चे से वह तमाम काम करवाए जाते हैं. जो एक साइबर हैकर ठगी की वारदात को अंजाम देने के दौरान करता है. इस नए ट्रेंड के सामने आने के बाद पुलिस और पेरेंट्स दोनों ही काफी परेशान हैं. टेक्नोलॉजी के दौर में आज हर बच्चे को मोबाइल ऑपरेट करना और नेट का एक्सेस करना आता है, जिसका गलत फायदा साइबर हैकर्स उठा रहे हैं.

सिस्टम को क्रेक नहीं कर पाने के चलते मॉलवेयर डाउनलोड करवा कर रहे डिवाइस हैक: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि पूर्व में एंड्राइड और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के डिवाइस को साइबर हैकर्स बड़े आराम से क्रेक कर लिया करते थे. लेकिन जब से एंड्राइड और अन्य सिस्टम को सिक्योरिटी के दृष्टिकोण से अपग्रेड किया गया है, तब से साइबर हैकर्स उस सिस्टम को सीधे क्रेक नहीं कर पाते हैं. यूजर के सिस्टम को क्रेक करने के लिए साइबर हैकर्स यूजर की डिवाइस में मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं और फिर हैकिंग और ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. हालांकि लोग अब इस तरह के अपराधों के प्रति काफी सजग हो गए हैं. जिसके चलते अब लोगों को सीधे अपना शिकार बना पाना साइबर हैकर्स के लिए मुमकिन नहीं हो रहा है. ऐसे में हैकर्स ने अब बच्चों को अपने जाल में फंसा कर उनके जरिए वारदात को अंजाम देना शुरू किया है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का बयान

पढ़ें:#Jagte Raho: साइबर हैकर्स के निशाने पर ब्लू टिक वैरीफाइड सोशल मीडिया अकाउंट, पीएम मोदी समेत राजस्थान के कई बड़े नेता भी हुए शिकार

बच्चों को हैकर्स अपने जाल में फंसाकर मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं: बच्चों को अपने जाल में फंसा कर सबसे पहले साइबर हैकर्स उनके पेरेंट्स के विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं और फिर उन तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का एक्सेस अपने हाथ में ले लेते हैं. उसके बाद मोबाइल और अन्य डिवाइस पर से डाटा को डिलीट करना और बैंकिंग और अन्य महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी हासिल कर फाइनेंसियल फ्रॉड और ब्लैकमेल करने की वारदात को अंजाम दिया जाता है.

इस तरह से बनाया जा रहा बच्चों को शिकार: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी के दौर में हर बच्चे के पास मोबाइल फोन पहुंच गया है. बच्चा कुछ देर तक मोबाइल पर ऑनलाइन स्टडी करने के बाद माइंड को रिफ्रेश करने के लिए विभिन्न तरह के ऑनलाइन गेम्स खेलता है. ऑनलाइन गेमिंग के दौरान ही साइबर ठग 18 साल से कम उम्र के बच्चों को टारगेट करते हैं. गेम्स के जरिए बच्चों से संपर्क करने के बाद उनसे कम्युनिकेट करते हैं और उनको खेल में जितवा कर अगले लेवल तक पहुंचाने में और गेम्स में मिलने वाले कॉइंस को जिताने में मदद करते हैं. इस तरह से बच्चों का विश्वास जीतने के बाद उन्हें गेम में लॉक हुए फीचर्स को अनलॉक करके देने का झांसा देकर विभिन्न तरह के टास्क कर देते हैं. बच्चे का मोबाइल नंबर लेकर उससे बातचीत करना शुरू कर देते हैं और फिर उसे धीरे-धीरे अपने जाल में फंसा कर उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी देकर, बच्चे की एडिटेड न्यूड फोटो को वायरल करने की धमकी देकर अपने चंगुल में लेते हैं.

इसके बाद व्हाट्सएप और ई-मेल के जरिए बच्चे को मॉलवेयर फाइल भेज कर उसे उसके पेरेंट्स के मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड करने के लिए कहते हैं. जैसे ही बच्चा हैकर्स के कहने पर फाइल अपने पेरेंट्स के मोबाइल में डाउनलोड करता है, वैसे ही पूरे मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का एक्सेस साइबर हैकर्स अपने हाथ में ले लेते हैं. इसके बाद मोबाइल में सेव क्रेडिट कार्ड या अन्य बैंकिंग जानकारी हासिल करके बच्चे के पेरेंट्स के बैंक खातों से रुपए निकालना और अन्य तरीके से उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं.

पढ़ें:चीनी हैकर्स के निशाने पर दक्षिण चीन सागर पर दावा जताने वाले देश: रिपोर्ट

इंटरनेट का कंप्लीट एक्सेस बच्चे को न दें पेरेंट्स: उन्होंने आगे बताया कि साइबर हैकर्स के चंगुल में फंसने से बचने का एकमात्र तरीका यही है कि पेरेंट्स अपने बच्चे को इंटरनेट का कंप्लीट एक्सेस न दें. यहां पर यह बेहद जरूरी है कि पेरेंट्स गूगल प्ले स्टोर और और वेबसाइट पर मौजूद पैरेंटल कंट्रोल एप और सॉफ्टवेयर को अपने बच्चे के मोबाइल में डाउनलोड करें. इससे पेरेंट्स यह देख सकेंगे कि बच्चा मोबाइल पर क्या चीज देख रहा है और कितने समय के लिए देख रहा है. किन लोगों से उसकी बातचीत हो रही है और कहीं कोई उसे गलत चीजों में तो नहीं फंसा रहा है.

पैरेंटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर के जरिए पेरेंट्स बच्चे के मोबाइल का स्क्रीन टाइम भी फिक्स कर सकते हैं. जिस पर फिक्स किए गए टाइम पीरियड के दौरान ही मोबाइल फोन चालू रहेगा और बाकी समय वह ऑटोमेटिक बंद रहेगा. इसके साथ ही पेरेंट्स अपने और बच्चे के मोबाइल में एंटीवायरस और फायरवॉल डालकर रखें ताकि साइबर हैकर्स किसी भी तरह का मॉलवेयर उसमें डाउनलोड न करा सके. यह तमाम तरीके अपनाकर ही साइबर हैकर्स के अटैक से बचा जा सकता है.

पढ़ें:मध्य प्रदेश : हैकर्स के निशाने पर मीडिया हाउस, पुलिस ने जारी किया अलर्ट

अलग-अलग तरह के मामले आ रहे सामने: हाल ही में जयपुर के हरमाड़ा थाना इलाके में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक 13 साल के छात्र को ऑनलाइन गेमिंग के दौरान साइबर हैकर्स ने अपने जाल में फंसाया और फिर उसके पेरेंट्स के तीन मोबाइल फोन स्टूडेंट के जरिए हैक करवाए. स्टूडेंट को हैकर्स ने उसके पेरेंट्स को मारने की धमकी देकर कई टास्क दिए जिसे स्टूडेंट पूरा करता चला गया. हैकर्स ने स्टूडेंट के पेरेंट्स के मोबाइल से इंपोर्टेंट डाटा डिलीट कर दिया. साथ ही उनके बैंक खाते, डेबिट और एटीएम कार्ड संबंधित जानकारी हासिल कर ली. जोधपुर में ऑनलाइन गेमिंग के दौरान साइबर हैकर्स ने एक युवक को अपनी बातों में लेकर क्रिप्टोकरंसी के लेन-देन में फंसा दिया. जिसके चलते युवक पर काफी कर्जा हो गया और आखिरकार उसने कायलाना झील में कूदकर आत्महत्या कर ली.

जयपुर. साइबर हैकर्स ने इन दिनों लोगों को ठगने और ब्लैकमेल करने का एक नया तरीका इजाद किया है. अब वह मासूम बच्चों को अपना सॉफ्ट टारगेट बनाते हुए उनके परिजनों को ब्लैकमेल करने का काम कर रहे हैं. मासूम बच्चों को विभिन्न गेम्स और एप्लीकेशन के माध्यम से साइबर हैकर्स पहले अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उन्हें अलग-अलग टास्क देकर अपना काम करवाते हैं (Cyber hackers are targeting children for cheating). यदि कोई बच्चा ऐसा करने से मना करता है तो उसे उसके पेरेंट्स को जान से मारने की धमकी देकर ब्लैकमेल किया जाता है. फिर उस बच्चे से वह तमाम काम करवाए जाते हैं. जो एक साइबर हैकर ठगी की वारदात को अंजाम देने के दौरान करता है. इस नए ट्रेंड के सामने आने के बाद पुलिस और पेरेंट्स दोनों ही काफी परेशान हैं. टेक्नोलॉजी के दौर में आज हर बच्चे को मोबाइल ऑपरेट करना और नेट का एक्सेस करना आता है, जिसका गलत फायदा साइबर हैकर्स उठा रहे हैं.

सिस्टम को क्रेक नहीं कर पाने के चलते मॉलवेयर डाउनलोड करवा कर रहे डिवाइस हैक: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि पूर्व में एंड्राइड और अन्य ऑपरेटिंग सिस्टम के डिवाइस को साइबर हैकर्स बड़े आराम से क्रेक कर लिया करते थे. लेकिन जब से एंड्राइड और अन्य सिस्टम को सिक्योरिटी के दृष्टिकोण से अपग्रेड किया गया है, तब से साइबर हैकर्स उस सिस्टम को सीधे क्रेक नहीं कर पाते हैं. यूजर के सिस्टम को क्रेक करने के लिए साइबर हैकर्स यूजर की डिवाइस में मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं और फिर हैकिंग और ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं. हालांकि लोग अब इस तरह के अपराधों के प्रति काफी सजग हो गए हैं. जिसके चलते अब लोगों को सीधे अपना शिकार बना पाना साइबर हैकर्स के लिए मुमकिन नहीं हो रहा है. ऐसे में हैकर्स ने अब बच्चों को अपने जाल में फंसा कर उनके जरिए वारदात को अंजाम देना शुरू किया है.

साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज का बयान

पढ़ें:#Jagte Raho: साइबर हैकर्स के निशाने पर ब्लू टिक वैरीफाइड सोशल मीडिया अकाउंट, पीएम मोदी समेत राजस्थान के कई बड़े नेता भी हुए शिकार

बच्चों को हैकर्स अपने जाल में फंसाकर मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं: बच्चों को अपने जाल में फंसा कर सबसे पहले साइबर हैकर्स उनके पेरेंट्स के विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में मॉलवेयर डाउनलोड करवाते हैं और फिर उन तमाम इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का एक्सेस अपने हाथ में ले लेते हैं. उसके बाद मोबाइल और अन्य डिवाइस पर से डाटा को डिलीट करना और बैंकिंग और अन्य महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी हासिल कर फाइनेंसियल फ्रॉड और ब्लैकमेल करने की वारदात को अंजाम दिया जाता है.

इस तरह से बनाया जा रहा बच्चों को शिकार: साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ऑनलाइन स्टडी के दौर में हर बच्चे के पास मोबाइल फोन पहुंच गया है. बच्चा कुछ देर तक मोबाइल पर ऑनलाइन स्टडी करने के बाद माइंड को रिफ्रेश करने के लिए विभिन्न तरह के ऑनलाइन गेम्स खेलता है. ऑनलाइन गेमिंग के दौरान ही साइबर ठग 18 साल से कम उम्र के बच्चों को टारगेट करते हैं. गेम्स के जरिए बच्चों से संपर्क करने के बाद उनसे कम्युनिकेट करते हैं और उनको खेल में जितवा कर अगले लेवल तक पहुंचाने में और गेम्स में मिलने वाले कॉइंस को जिताने में मदद करते हैं. इस तरह से बच्चों का विश्वास जीतने के बाद उन्हें गेम में लॉक हुए फीचर्स को अनलॉक करके देने का झांसा देकर विभिन्न तरह के टास्क कर देते हैं. बच्चे का मोबाइल नंबर लेकर उससे बातचीत करना शुरू कर देते हैं और फिर उसे धीरे-धीरे अपने जाल में फंसा कर उसके माता-पिता को जान से मारने की धमकी देकर, बच्चे की एडिटेड न्यूड फोटो को वायरल करने की धमकी देकर अपने चंगुल में लेते हैं.

इसके बाद व्हाट्सएप और ई-मेल के जरिए बच्चे को मॉलवेयर फाइल भेज कर उसे उसके पेरेंट्स के मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में डाउनलोड करने के लिए कहते हैं. जैसे ही बच्चा हैकर्स के कहने पर फाइल अपने पेरेंट्स के मोबाइल में डाउनलोड करता है, वैसे ही पूरे मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का एक्सेस साइबर हैकर्स अपने हाथ में ले लेते हैं. इसके बाद मोबाइल में सेव क्रेडिट कार्ड या अन्य बैंकिंग जानकारी हासिल करके बच्चे के पेरेंट्स के बैंक खातों से रुपए निकालना और अन्य तरीके से उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर देते हैं.

पढ़ें:चीनी हैकर्स के निशाने पर दक्षिण चीन सागर पर दावा जताने वाले देश: रिपोर्ट

इंटरनेट का कंप्लीट एक्सेस बच्चे को न दें पेरेंट्स: उन्होंने आगे बताया कि साइबर हैकर्स के चंगुल में फंसने से बचने का एकमात्र तरीका यही है कि पेरेंट्स अपने बच्चे को इंटरनेट का कंप्लीट एक्सेस न दें. यहां पर यह बेहद जरूरी है कि पेरेंट्स गूगल प्ले स्टोर और और वेबसाइट पर मौजूद पैरेंटल कंट्रोल एप और सॉफ्टवेयर को अपने बच्चे के मोबाइल में डाउनलोड करें. इससे पेरेंट्स यह देख सकेंगे कि बच्चा मोबाइल पर क्या चीज देख रहा है और कितने समय के लिए देख रहा है. किन लोगों से उसकी बातचीत हो रही है और कहीं कोई उसे गलत चीजों में तो नहीं फंसा रहा है.

पैरेंटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर के जरिए पेरेंट्स बच्चे के मोबाइल का स्क्रीन टाइम भी फिक्स कर सकते हैं. जिस पर फिक्स किए गए टाइम पीरियड के दौरान ही मोबाइल फोन चालू रहेगा और बाकी समय वह ऑटोमेटिक बंद रहेगा. इसके साथ ही पेरेंट्स अपने और बच्चे के मोबाइल में एंटीवायरस और फायरवॉल डालकर रखें ताकि साइबर हैकर्स किसी भी तरह का मॉलवेयर उसमें डाउनलोड न करा सके. यह तमाम तरीके अपनाकर ही साइबर हैकर्स के अटैक से बचा जा सकता है.

पढ़ें:मध्य प्रदेश : हैकर्स के निशाने पर मीडिया हाउस, पुलिस ने जारी किया अलर्ट

अलग-अलग तरह के मामले आ रहे सामने: हाल ही में जयपुर के हरमाड़ा थाना इलाके में आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले एक 13 साल के छात्र को ऑनलाइन गेमिंग के दौरान साइबर हैकर्स ने अपने जाल में फंसाया और फिर उसके पेरेंट्स के तीन मोबाइल फोन स्टूडेंट के जरिए हैक करवाए. स्टूडेंट को हैकर्स ने उसके पेरेंट्स को मारने की धमकी देकर कई टास्क दिए जिसे स्टूडेंट पूरा करता चला गया. हैकर्स ने स्टूडेंट के पेरेंट्स के मोबाइल से इंपोर्टेंट डाटा डिलीट कर दिया. साथ ही उनके बैंक खाते, डेबिट और एटीएम कार्ड संबंधित जानकारी हासिल कर ली. जोधपुर में ऑनलाइन गेमिंग के दौरान साइबर हैकर्स ने एक युवक को अपनी बातों में लेकर क्रिप्टोकरंसी के लेन-देन में फंसा दिया. जिसके चलते युवक पर काफी कर्जा हो गया और आखिरकार उसने कायलाना झील में कूदकर आत्महत्या कर ली.

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