जयपुर. प्रदेश में साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाने में लगे हुए हैं. विदेश में नौकरी लगाने के नाम पर भी बड़ी तादाद में बेरोजगारों को साइबर ठगों की ओर से अपना शिकार बनाया जा रहा है. नौकरी की चाह में बेरोजगार बड़ी आसानी से साइबर ठगों की ओर से बिछाए गए जाल में फंस जाते हैं और फिर बैंक खातों में जमा की गई धनराशि को गंवा बैठते हैं.
साइबर ठग भी बेरोजगारों को अपना सॉफ्ट टारगेट मानते हैं. इसके साथ ही साइबर ठग बेरोजगारों से मोटी राशि ना ठग कर छोटी-छोटी राशि में ठगी करते हैं और बड़ी संख्या में बेरोजगारों को अपना शिकार बनाते हैं. नौकरी की तलाश करने वाले लोग विभिन्न वेबसाइट पर ऑनलाइन अप्लाई करते हैं और अपना रिज्यूम ऑनलाइन ही अपलोड करते हैं. साइबर ठगों की ओर से ऐसी वेबसाइट का डाटा चुराकर बेरोजगार या फिर ऐसे लोग जो नौकरी की तलाश में हैं, उनकी तमाम जानकारी जुटा ली जाती है. उसके बाद बेरोजगारों को नौकरी लगाने का झांसा देकर उनसे संपर्क किया जाता है.
नौकरी के लिए अप्लाई करने के लिए साइबर ठगों की ओर से 1000 से लेकर 2000 रुपए तक की फीस जमा कराने के लिए कहा जाता है. जिसके चलते बेरोजगार ठगों के जाल में फंस जाते हैं और ठगों द्वारा बताए गए बैंक खाते में या यूपीआई के जरिए या फिर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन ऐप के जरिए राशि ठगों के खातों में जमा करा देते हैं. ठगी का अहसास होने पर अधिकांश लोग इसकी रिपोर्ट तक नहीं करते हैं क्योंकि ठगी गई राशि काफी कम होती है. वहीं, सैकड़ों लोगों को इसी प्रकार से ठगी का शिकार बना कर साइबर ठग एक अच्छा खासा अमाउंट जमा कर लेते हैं.
पुलिस की निगाहों में आने से बचने के लिए ठगी जाती है कम राशि
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि नौकरी लगाने के नाम पर साइबर ठगों द्वारा बेरोजगारों से काफी छोटा अमाउंट ठगा जाता है. ऐसा करके साइबर ठग पुलिस की निगाहों से बचे रहते हैं. ऐसे प्रकरणों में साइबर ठग बड़ी संख्या में लोगों को अपना शिकार बनाते हुए उनसे काफी छोटा अमाउंट ठगते हैं.
ऐसा करके साइबर ठगों के बैंक खाते में तो एक बड़ा अमाउंट जमा हो जाता है, लेकिन जिस व्यक्ति के साथ ठगी होती है वह इसकी कोई भी शिकायत पुलिस में दर्ज नहीं करवाता है क्योंकि मामला पुलिस तक नहीं पहुंचता है. ऐसे में साइबर ठग पुलिस की निगाहों से बचा रहता है और ठगी की वारदातों को लगातार अंजाम देता रहता है.
QR कोड भेजकर बना रहे ठगी का शिकार
साइबर सिक्योरिटी एक्सपोर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग नौकरी लगाने के नाम पर नौकरी के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने वाले व्यक्ति को मैसेज या फिर ईमेल के जरिए क्यूआर कोड भेज रहे हैं. जिसमें ठगों द्वारा नौकरी के लिए अप्लाई करने वाले व्यक्ति को क्यूआर कोड ऑनलाइन पेमेंट ऐप के माध्यम से स्कैन करने के लिए कहा जाता है.
ठगों द्वारा पेमेंट ऐप के माध्यम से क्यूआर कोड स्कैन करने पर नौकरी के लिए आवेदक का फॉर्म ऑनलाइन एक्सेप्ट होने का झांसा दिया जाता है. जैसे ही व्यक्ति ठगों द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड को पेमेंट ऐप के माध्यम से स्कैन करता है, वैसे ही ठगों द्वारा उस व्यक्ति के बैंक खाते से 20 हजार से लेकर 40 हजार रुपए तक की ठगी कर ली जाती है. कई प्रकरणों में ठगों द्वारा ठगा गया यह अमाउंट लाख रुपए तक होता है.
फर्जी E-KYC के जरिए खोले गए बैंक खातों में किया जाता है ट्रांजैक्शन
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठगों द्वारा लोगों से जितनी भी राशि ठगी जाती है उसका ट्रांजैक्शन फर्जी ई-केवाईसी के जरिए खोले गए बैंक खातों में किया जाता है. ऐसे में ठगी का शिकार हुए पीड़ित व्यक्ति की ओर से जब पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई जाती है तो पुलिस सबसे पहले उस बैंक अकाउंट की डिटेल को खंगालती है जिसमें ठगी गई राशि का ट्रांजैक्शन हुआ है.
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बैंक अकाउंट की डिटेल के आधार पर जब पुलिस उस व्यक्ति तक पहुंचती है, जिसके दस्तावेजों के आधार पर बैंक अकाउंट खोला गया है तो वह व्यक्ति साइबर ठग ना होकर एक साधारण व्यक्ति ही निकलता है. जिस व्यक्ति के दस्तावेजों के आधार पर साइबर ठगों द्वारा बैंक अकाउंट ऑपरेट किए जाते हैं, उन व्यक्तियों को इसकी भनक तक नहीं होती है कि उनके दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल कर बैंक खातों में लाखों रुपए की राशि का ट्रांजैक्शन किया जा रहा है.
SEO कर फेक वेबसाइट को करवाते हैं ट्रेंड
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग विदेशों में नौकरी लगाने का झांसा देकर ऐसी वेबसाइट जो वाकई में विदेशों में नौकरी लगाने का काम कर रही है, उनकी हुबहू कॉपी कर फेक वेबसाइट का निर्माण करते हैं. इसके बाद साइबर ठग सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (SEO) के जरिए अपनी फेक वेबसाइट को गूगल सर्च में सबसे ऊपर ट्रेंड करवा लेते हैं और असली वेबसाइट सर्च इंजन में नीचे चली जाती है.
विदेश में नौकरी के लिए अप्लाई करने वाला व्यक्ति जब वेबसाइट को सर्च करता है तो साइबर ठगों की वेबसाइट सबसे ऊपर दिखाई देती है. वेबसाइट पर क्लिक करने पर नौकरी के लिए अप्लाई करने के लिए एक नंबर दिया गया होता है और जब उस नंबर पर व्यक्ति द्वारा कॉल किया जाता है तो फेक आईवीआर के जरिए नौकरी का आवेदन करने के लिए उसे फीस के रूप में एक राशि जमा कराने को कहता है.
आईवीआर कॉल के माध्यम से ही जो व्यक्ति अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड की जानकारी और सीवीवी कोड एंटर करता है वैसे ही ठगों द्वारा उस व्यक्ति के खाते से लाखों रुपए का ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है. इसी प्रकार से व्यक्ति को वीजा के लिए ऑनलाइन अप्लाई करने या फ्लाइट टिकट बुक कराने के लिए भी इसी प्रकार से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने के लिए कहा जाता है और फिर उसके खाते से एक निर्धारित राशि ठग ली जाती है. उसके बाद साइबर ठगों द्वारा पीड़ित व्यक्ति की मेल आईडी पर फ्लाइट की फर्जी टिकट और फर्जी वीजा भेज दिया जाता है.
यह तरीका अपनाकर करें साइबर ठगों से बचाव
- ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने से पहले URL जरूर जांचें
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने से पहले वेबसाइट या फिर जिस भी लिंक के माध्यम से ट्रांजैक्शन किया जा रहा है, उसके यूआरएल की जांच अवश्य करें. विदेश में नौकरी के लिए अप्लाई करने और वीजा के लिए अप्लाई करने के लिए उस संबंधित देश की सरकार द्वारा अधिकृत वेबसाइट के यूआरएल कोड निर्धारित होते हैं.
प्रत्येक देश की सरकारी वेबसाइट के URL कोड निर्धारित होते हैं, जैसे कि भारत की सरकारी वेबसाइट की यूआरएल कोड में .gov.in, अमेरिका की सरकारी वेबसाइट की यूआरएल कोर्ट .gov, चाइना की सरकारी वेबसाइट की यूआरएल कोड .gov.cn है. इसी प्रकार से प्रत्येक देश की सरकारी वेबसाइट का डोमेन फिक्स होता है और उनके यूआरएल कोड निर्धारित होते हैं. जिसे जांच कर यह पता लगाया जा सकता है कि जिस वेबसाइट पर वीजा के लिए या फिर नौकरी के लिए आवेदन किया जा रहा है वह ऑथेंटिकेट है या नहीं.
- ऑनलाइन फॉर्म भरते वक्त दूसरे टैब पर ना करें क्लिक
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि जब भी नौकरी के लिए या फिर वीजा व अन्य चीजों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जाए तो आवेदन का फॉर्म ऑनलाइन भरते वक्त किसी भी दूसरे टैब पर क्लिक नहीं करना चाहिए. साइबर ठग टैब नैपिंग के जरिए एक फर्जी लिंक क्रिऐट करते हैं और जैसे ही उस लिंक के जरिए ओपन हुए पेज पर व्यक्ति द्वारा ट्रांजैक्शन के लिए अपने बैंक खाते या क्रेडिट व डेबिट कार्ड की डिटेल को एंटर किया जाता है, वैसे ही उसके बैंक खातों से साइबर ठगों द्वारा ट्रांजैक्शन कर लिया जाता है.
- कंपनी की वेबसाइट पर जाकर ही बुक कराएं ऑनलाइन टिकट
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भरद्वाज ने बताया कि साइबर ठगों के झांसे में ना आकर कंपनी की वेबसाइट पर जाकर ही ऑनलाइन टिकट बुक कराएं. अधिकांश बड़ी कंपनियों का छोटी वेबसाइट से टाइअप नहीं होता है और ऐसे में साइबर ठग उसका गलत फायदा उठाकर सोशल इंजीनियरिंग के जरिए लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाते हैं. साइबर ठगी से बचने के लिए व्यक्ति का जागरुक और चौकन्ना होना बेहद आवश्यक है. चौकन्ना रहकर और अपनी जागरूकता से ही व्यक्ति साइबर ठगों के जाल में फंसने से खुद को बचा सकता है.