जयपुर. वैश्वीकरण और उदारीकरण के इस दौर में आज देशों की सीमाएं धुंधली हुई हैं. युवाओं को शिक्षा, व्यापार और नौकरी के साथ ही बेहतर कॅरियर के विकल्प भी मिल रहे हैं. ऐसे में जयपुर के युवाओं के बीच विदेशी भाषा सीखने का उत्साह बढ़ रहा है. न केवल जयपुर शहर बल्कि ग्रामीण इलाके के युवा भी विदेशी भाषा सीखकर अपने कॅरियर को नई ऊंचाई पर ले जाने के सपने अपनी आंखों में पाल रहे हैं.
खास बात यह है कि भीड़ से अलग हटकर कुछ नया करने की ख्वाहिश भी युवाओं को कोई न कोई विदेशी भाषा सीखने के लिए प्रेरित कर रही है. विदेशी भाषा सीखने वाले युवाओं में जर्मन भाषा के प्रति एक खास लगाव भी देखने को मिल रहा है. इसका कारण यह है कि यह अंग्रेजी से काफी मिलती-जुलती है. इसका कोर्स अपेक्षाकृत छोटा है. इसके अलावा जर्मनी की कई कंपनियों की भारत के साथ ही कई अन्य देशों में बहुतायत भी एक बड़ा कारण है कि युवा जर्मन भाषा सीखने के प्रति ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं. इसके चलते शहर में विदेशी भाषा सिखाने वाले संस्थानों की संख्या में भी खासी बढ़ोतरी हुई है.
जर्मन लैंग्वेज सीखने का ज्यादा क्रेज
जर्मन भाषा सीख रही खुशी गुप्ता बताती हैं कि उन्हें एक खास विदेशी भाषा में विशेषज्ञता चाहिए थी. विदेशी भाषाओं को लेकर कई तरह के विकल्प आज युवाओं के सामने हैं लेकिन जर्मन लैंग्वेज सीखना बाकी की तुलना में थोड़ी आसान है क्योंकि इसके कैरेक्टर अंग्रेजी से काफी समानता रखते हैं. इसलिए उन्होंने जर्मन भाषा सीखने को तरजीह दी है. उनका कहना है कि जर्मनी की कंपनियां पूरे विश्व में फैली हुई हैं. ऐसे में जर्मन भाषा सीखने के बाद अच्छी नौकरी मिलने की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ जाती हैं. यह भी एक कारण है कि उन्होंने बाकी विदेशी भाषाओं के बजाए जर्मन भाषा सीखने को तवज्जो दी है.
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विदेशी भाषा सिखाने का संस्थान संचालित करने वाले देवकरण सैनी का कहना है कि वह पिछले 10 साल से जर्मन लैंग्वेज पढ़ा रहे हैं. उन्होंने नोटिस किया है कि विदेशी भाषा को सीखने को लेकर राजस्थान और जयपुर के युवाओं में उत्साह बढ़ा है. पिछले कुछ सालों में इस दिशा में एक तरह की क्रांति सी आ गई है. विदेशी भाषा सीखने को लेकर पहले लोगों में इतना क्रेज नहीं था. लेकिन धीरे-धीरे एक-दूसरे को देखकर कोई भी दूसरी विदेशी भाषा सीखने की ललक बढ़ी है. उनका कहना है कि यदि कोई युवा एक साल तक प्रयास करे तो किसी भी विदेशी भाषा में दक्षता हासिल कर सकता है. इसके बाद न केवल जॉब मिलने की संभावना है बल्कि अच्छी जॉब मिलना निश्चित है. हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि विदेशी भाषा में दक्ष होने के लिए यह जरूरी है कि आप कितना मोटिवेटेड होकर प्रयास कर रहे हैं.
फॉरेन लैंग्वेज सीखने से बढ़ी जॉब की संभावनाएं
इसके बाद मल्टीनेशनल कंपनियों में आसानी से जॉब मिल जाती हैं. इसके अलावा भी कई सारे फील्ड्स हैं. किसी भी विदेशी भाषा में दक्षता हासिल करने के बाद आप टीचर बन सकते हैं. गाइड बन सकते हैं. ट्रांसलेटर और इंटरप्रेटर के काम में भी काफी संभावनाएं हैं. ऐसे कई सारे फील्ड्स में जॉब के अवसर होते हैं. वह बताते हैं कि पिछले चार-पांच साल में कि जयपुर और गांवों के युवा भी जर्मन भाषा सीखकर जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया में अच्छी नौकरियां हासिल कर रहे हैं. यह बातें दूसरों को भी प्रेरित करती हैं.
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विदेशी भाषा सीखने के बाद अपने बिजनेस का विस्तार करना भी आसान होता है. वे अपना अनुभव बताते हुए कहते हैं कि दो बच्चों से शुरुवात करने के बाद जब उनकी क्लास में आठ बच्चे हुए तो वे काफी खुश हुए थे लेकिन अब करीब 100-150 युवा उनके पास विदेशी भाषा सीखने आ रहे हैं.
जर्मन का कोर्स कम समय में पूरा इसलिए सीखने के लिए ज्यादा तवज्जो
उनका कहना है कि जर्मन के अलावा फ्रेंच, इटालियन, जापानीज, चाइनीज के साथ ही कोरियन लैंग्वेज सीखने के प्रति भी युवाओं में बहुत क्रेज है. यूरोपियन भाषाओं में जर्मन लैंग्वेज को युवा काफी प्राथमिकता से लेते हैं क्योंकि कई जर्मन कंपनियां दुनियाभर में फैली हैं. इसलिए जर्मन लैंग्वेज सीखने के बाद जॉब आसानी से मिल जाती है. नितेश चौधरी का कहना है कि पढ़ाई के साथ-साथ विदेशी भाषा सीखने के लिए रिसर्च की क्योंकि उन्हें एक बैकअप चाहिए था. एक तरह से विशेषज्ञता चाहिए थी.
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आज के दौर में जहां सबको बराबरी के अवसर हैं. ऐसे दौर में कुछ अलग करने के लिए आपके पास किसी विदेशी भाषा में कमांड होनी चाहिए. उन्हें अपनी रिसर्च के दौरान पता चला कि जर्मन लैंग्वेज अन्य भाषाओं की तुलना में आसान है. इसका कोर्स भी कम समय में पूरा हो जाता है. यूरोप में जर्मन लैंग्वेज बहुत पॉपुलर है. इसलिए उन्होंने जर्मन को तरजीह दी है.
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महारानी कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही संस्कृति पारीक बताती हैं कि आज के युवाओं में हिंदी और अंग्रेजी के साथ ही एक कोई विदेशी भाषा सीखने का शौक है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि हम जब कोई भाषा सीखकर उस जगह जाते हैं तो वहां के लोगों से हम आसानी से बातचीत कर सकते हैं और हमारी संस्कृति के बारे में वहां के लोगों को बता सकते हैं. ठीक इसी तरह से वहां की संस्कृति के बारे में भी जान सकते हैं. विदेशी भाषा सीखने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारी रचनात्मकता में इजाफा होता है.
विदेशी भाषा सीखकर निखार सकते हैं रचनात्मकता
विदेशी भाषा सीखने के बाद जयपुर के कई युवाओं को कॅरियर के बेहतर विकल्प भी मिले हैं. जयपुर के प्रतीक मिश्र बताते हैं कि हमारे यहां भीड़ के साथ चलने की परंपरा रही है. पहले डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए जैसे होड़ मची रहती थी. उसके बाद एमबीए, सीए और सीएस करने की दौड़ शुरू हुई लेकिन यह एक ऐसा क्षेत्र है. जिसमें आप भीड़ से अलग चलकर कुछ करते हैं और कॅरियर के बेहतर विकल्प हासिल करते हैं. यदि किसी युवा के पास स्किल है और कुछ बेहतर करने का उत्साह और लगन है तो कोई भी विदेशी भाषा सीखकर अपनी रचनात्मकता को निखार सकते हैं.
जयपुर में भी जॉब की संभावनाएं
उनका कहना है कि कोई भी विदेशी भाषा सीखने के बाद युवाओं को बेहतर कॅरियर विकल्प मिलते हैं. मसलन वह मल्टीनेशनल कंपनियों में अच्छी नौकरी हासिल कर सकते हैं. जयपुर में रहकर टूरिस्ट गाइड बन सकते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में जा सकते हैं. खास बात यह है कि कोई भी विदेशी भाषा सीखने के बाद आप एक कतार से अलग खड़े होंगे और कम प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा. ऐसे में आप सिर्फ अपनी रचनात्मकता के दम पर काम हासिल कर सकते हैं. अपना व्यवसाय या व्यापार करने वालों को भी विदेशी भाषा जानने के कारण कई बार बड़ा फायदा होने की बात उन्होंने कही है. उन्होंने खुद आठ साल पहले इटेलियन भाषा सीख ली थी. अब युवाओं को इटेलियन भाषा सिखा रहे हैं. उनके पास इटेलियन भाषा सीखने आने वालों में ज्वेलरी और मार्बल के व्यवसाय से जुड़े लोगों की भी खासी संख्या है.
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जयपुर के ही रेड कार्ड होल्डर टूरिस्ट गाइड कुणाल शर्मा बताते हैं कि वैश्वीकरण के इस दौर में कोई भी विदेशी भाषा सीखना बहुत जरूरी हो गया है. विदेशी भाषा की जानकारी होने के कारण आज वे देश में कहीं भी पर्यटकों को गाइड कर सकते हैं. उनका यह भी कहना है कि कई यूरोपीय देशों में शिक्षा निशुल्क है. ऐसे में यदि किसी यूरोपियन देश की भाषा सीखकर कोई युवा वहां पढ़ाई का मौका हासिल कर सकता है और अपने कॅरियर को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है.