जयपुर. प्रदेश में चल रहे सियासी संकट के बीच अब विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी ने कहा कि संवैधानिक संकट हो सकता है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की. जोशी का तर्क है कि बतौर स्पीकर उनके अधिकार संविधान प्रदत है. उसी के तहत उन्होंने विधायकों को नोटिस जारी किए लेकिन हाई कोर्ट ने इस संबंध में लंबित अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं लेने के लिए निर्देशित किया.
मौजूदा सियासी घटनाक्रम के बीच बुधवार को पत्रकारों से मुखातिब हुए विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर सीपी जोशी ने कहा कि साल 1992 में उच्च न्यायालय कि संवैधानिक पीठ ने इस मामले में दसवीं अनुसूची की वैधता को बरकरार रखा. न्यायालय ने यह भी व्यवस्था तब दी थी कि जब तक स्पीकर द्वारा अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं दिया जाता, तब तक ऐसे सदस्यों की रक्षा हेतु कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता. डॉक्टर सीपी जोशी ने कहा 1992 में दिए गए यह आदेश आज भी बरकरार है.
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जोशी ने कहा कि मैंने संवैधानिक गतिरोध को टालने की दृष्टि से अपने अधिवक्ता को सुप्रीम कोर्ट में जाकर संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत 1992 में आए आदेश की व्यवस्था के अनुरूप अपने संवैधानिक दायित्वों के निर्वहन की अनुमति मांगने को कहा है. उसके लिए एसएलपी भी दायर की है.
डॉक्टर सीपी जोशी ने कहा कि यह मामला अति आवश्यक प्रकृति का है. इस पूरे घटनाक्रम और हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश से मेरा संविधानिक अधिकार भी कम हुआ है, जो पूर्व जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित कानून के विपरीत है. ऐसी स्थिति में मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी पर तत्काल सुनवाई की जाएगी.
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जोशी ने यह भी कहा कि मेरे समक्ष मुख्य सचेतक ने 19 विधायकों की अयोग्यता याचिका लगाई थी. जिसपर मैंने सिर्फ नोटिस जारी किए हैं, जो कि मेरे क्षेत्राधिकार में है और जब तक मैं कोई फैसला नहीं करता, तब तक यह मामला कोर्ट में नहीं जा सकता था.
इसके बावजूद हाई कोर्ट ने मुझे दो बार इन याचिकाओं के संबंध में कोई आदेश पारित नहीं करने के लिए निर्देशित किया. एक संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में में इन याचिकाओं के संबंध में आदेश पारित करने के लिए बाध्य हूं लेकिन फिर भी माननीय उच्च न्यायालय का सम्मान करते हुए मैंने याचिकाओं के संबंध में कोई निर्णय नहीं दिया.
24 जुलाई को अपने फैसले को लेकर चुप रहे जोशी
पत्रकार वार्ता के दौरान जैसे का सीपी जोशी से 24 जुलाई को उनके समक्ष लगाई गई याचिकाओं पर निर्णय से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा इस बारे में अभी भी कुछ नहीं कहेंगे. तमाम चीजें 24 जुलाई को ही सबके सामने आएगी लेकिन उन्होंने यह साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप होने पर यह साफ होगा कि एक संवैधानिक पीठ दूसरे से विधायक पीठ के अधिकारों में हस्तक्षेप ना करें. यह तमाम चीजें सुप्रीम कोर्ट वापस डिफाइन करेंगे.
मैंने हमेशा पद की गरिमा बनाई रखी: सीपी जोशी
जोशी ने अपनी प्रेस वार्ता में यह भी कहा कि बतौर स्पीकर मैंने हमेशा पद की गरिमा बनाए रखा और हमेशा यही प्रयास रखा कि लोकतांत्रिक परंपराओं और अधिकारों का संरक्षण हो. जोशी के अनुसार जब इस घटनाक्रम के दौरान उन्होंने देखा कि उनके अधिकारों में हस्तक्षेप हो रहा है तो न्यायपालिका से गतिरोध टालने का प्रयास भी किया. जो हाई कोर्ट निर्देशित किया. उसके अनुरूप याचिकाओं पर अपना निर्णय भी स्थगित रखा लेकिन संविधान में मिले अधिकारों का हनन ना हो, यह भी ध्यान रखना जरूरी है.