जयपुर. प्रदेश में वैक्सीनेशन की गति बढ़ाने और वंचित लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरुकता लाने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग 'कोविड वैक्सीनेशन वाहन' चलाएगा. प्रदेश में कोरोना संक्रमितों में नए वैरिएंट की जांच के लिए की जा रही जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए विभाग ने सभी जिलों के लिए सैंपल के लक्ष्य निर्धारित किए हैं.
चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि सभी जिलों के लिए 358 वाहनों की स्वीकृति जारी की है. बैनर, पंपलेट और माइकिंग के माध्यम से वाहन उन क्षेत्रों में भ्रमण करेंगे जहां टीकाकरण का प्रतिशत कम है या जागरूकता का अभाव है. गालरिया ने बताया कि वाहन की टीम स्कूल, हॉस्टल, भीड़भाड़ वाले बाजार, हाट व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी घूमकर लोगों को वैक्सीनेशन के महत्व को समझाएगी और इसके फायदे गिनाएगी.
उन्होंने बताया कि क्षेत्र के सीएमएचओ जरूरत के अनुसार वैक्सीनेशन वाहन (Covid vaccination vehicle in Rajasthan) को सम्बंधित क्षेत्रों में भेज सकेंगे व लोगों को जागरुक कर सकेंगे. प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि आमजन को कोरोना टीकाकरण के प्रति जागरूक करने में यह पहल बेहद कारगर साबित होगी. उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से बचने में वैक्सीनेशन के दोनों डोज लगना बेहद जरूरी है.
संसाधनों को लेकर चर्चा
गालरिया ने प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए गुरुवार को विभाग के सभी अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की. सचिव ने स्वास्थ्य भवन में सम्बंधित सभी अधिकारियों को आगामी एक से डेढ़ माह पूरी तरह सजग और सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं. बैठक में कोरोना के उपचार में काम आने वाली दवा, टेस्टिंग किट्स, ऑक्सीजन प्लांट्स, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 332 चयनित चिकित्सा संस्थानों में एचडीयू बेड की उपलब्धता, कोविड वैक्सीनेशन सहित कई अन्य विषयों पर चर्चा की गई.
गालरिया ने कोरोना में काम आने वाली फाइव ड्रग मेडिसिन किट, एन 95 मास्क, रेमडिसिविर इंजेक्शन तथा अन्य जीवन रक्षक दवाओं का एक से डेढ़ महीने तक का स्टॉक रखने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी का सर्वाधिक सामना किया था. प्रदेश में 460 से ज्यादा ऑक्सीजन प्लांटस ने काम करना शुरू कर दिया है. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर व अन्य उपकरणों से प्रदेश में 1000 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकेगी.
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जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए जिलों के लक्ष्य निर्धारित
प्रदेश में कोरोना संक्रमितों में नए वैरिएंट की जांच के लिए की जा रही जिनोम सिक्वेंसिंग (Genome sequencing in Rajasthan) के लिए विभाग ने सभी जिलों के लिए सैंपल के लक्ष्य निर्धारित किए हैं. संभाग वाइज इन जिलों के लिए दिन भी तय कर दिए गए हैं. एसएमएस मेडिकल कॉलेज इसके लिए नोडल सेंटर बनाया गया है. शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव वैभव गालरिया ने गुरुवार को इस संबंध में स्वास्थ्य भवन में मीटिंग लेकर निर्देश जारी किए. गालरिया ने बताया कि जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए प्रदेश के सभी जिलों को 20 सैंपल, संभागीय मुख्यालय के जिलों को 30 और जयपुर को 50 सैंपल प्रति सप्ताह जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजने के निर्देश दिए हैं.
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गालरिया ने बताया कि सोमवार को जोधपुर, मंगलवार को बीकानेर, बुधवार को उदयपुर, गुरुवार को कोटा, शुक्रवार को अजमेर, शनिवार को भरतपुर व रविवार को जयपुर संभाग के जिले जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेज सकेंगे. उन्होंने बताया कि जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए जयपुर मेडिकल एसएमएस कॉलेज नोडल सेंटर होगा.
गालरिया ने बताया कि जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए सैंपल भेजने से पहले सभी प्रभारी यह सुनिश्चित कर लें कि मरीज के सिटी वैल्यू के सैंपल 30 से ज्यादा ना हो. साथ ही सैंपल पूरे मानकों और प्रोटोकॉल की पालना के साथ ही भिजवाए जाएं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में जयपुर की एसएमएस मेडिकल कॉलेज में जिनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा है. जयपुर के अलावा जोधपुर में भी जिनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा शुरू करने की तैयारियां की जा रही हैं.