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कोर्ट ने दिए पूर्व राजपरिवार की संपत्ति खाली करने के आदेश, ये है पूरा मामला

पूर्व राजपरिवार की संपत्ति रामबाग स्टाफ क्वार्टर में पिछले 7 दशक से रह रहे परिवार को कब्जा खाली करने के आदेश कोर्ट ने दिए (Case of Rambagh Staff Quarters) हैं. कोर्ट ने माना है कि प्रतिवादी संपत्ति पर अतिक्रमी हैं.

Court orders to vacate Rambagh Staff Quarters
कोर्ट ने दिए पूर्व राजपरिवार की संपत्ति खाली करने के आदेश, ये है पूरा मामला
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Published : Sep 10, 2022, 9:08 PM IST

जयपुर. किराया अधिकरण मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर प्रथम ने पूर्व राजपरिवार की संपत्ति रामबाग स्टाफ क्वार्टर में विगत सात दशकों से रहे परिवार को कब्जा खाली करने के आदेश दिए (Court orders to vacate Rambagh Staff Quarters) हैं. अदालत ने माना की प्रतिवादी संपत्ति पर अतिक्रमी है. वहीं अदालत ने प्रतिवादी मोहन सिंह को वाद दायर करने से वास्तविक कब्जा प्राप्ति कर हर माह 1500 रुपए हर्जाना देने को कहा है.

अदालत ने यह आदेश एसएमएस इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन प्रा.लि. के दावे पर दिए. दावे में कहा गया कि प्रतिवादी के पिता नंदा पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह के पास बटलर के तौर पर कार्यरत थे. जिनकी सेवाएं बाद में वादी कंपनी को अर्पित कर दी गई. सेवाकाल के दौरान नंदा को रहने के लिए रामबाग स्टाफ क्वाटर्स में निशुल्क आवास दिया गया था. वहीं नंदा वर्ष 1992 में सेवानिवृत्त हो गई. इसके बाद भी प्रतिवादी पक्ष ने बहाने बनाते हुए आवास खाली नहीं किया. इस दौरान प्रतिवादी के पिता की मौत हो गई.

पढ़ें: जयपुर: सहकारी समिति की जमीन पर माता-पिता को बसाकर किया कब्जा, प्रशासन ने करवाया खाली

जब वादी ने आवास खाली करने का कहा तो प्रतिवादी ने भवन खाली नहीं किया. अदालत में प्रतिवादी की ओर से कहा गया कि वादी कंपनी के अस्तित्व में आने से पहले से ही प्रतिवादी पक्ष वहां रह रहा है. सवाई मानसिंह ने यह संपत्ति प्रतिवादी के पिता को दान में देकर मालिक बनाया था. ऐसे दावे को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने प्रतिवादी को भवन खाली करने को कहा है.

जयपुर. किराया अधिकरण मामलों की विशेष अदालत क्रम-2 महानगर प्रथम ने पूर्व राजपरिवार की संपत्ति रामबाग स्टाफ क्वार्टर में विगत सात दशकों से रहे परिवार को कब्जा खाली करने के आदेश दिए (Court orders to vacate Rambagh Staff Quarters) हैं. अदालत ने माना की प्रतिवादी संपत्ति पर अतिक्रमी है. वहीं अदालत ने प्रतिवादी मोहन सिंह को वाद दायर करने से वास्तविक कब्जा प्राप्ति कर हर माह 1500 रुपए हर्जाना देने को कहा है.

अदालत ने यह आदेश एसएमएस इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन प्रा.लि. के दावे पर दिए. दावे में कहा गया कि प्रतिवादी के पिता नंदा पूर्व महाराजा सवाई मानसिंह के पास बटलर के तौर पर कार्यरत थे. जिनकी सेवाएं बाद में वादी कंपनी को अर्पित कर दी गई. सेवाकाल के दौरान नंदा को रहने के लिए रामबाग स्टाफ क्वाटर्स में निशुल्क आवास दिया गया था. वहीं नंदा वर्ष 1992 में सेवानिवृत्त हो गई. इसके बाद भी प्रतिवादी पक्ष ने बहाने बनाते हुए आवास खाली नहीं किया. इस दौरान प्रतिवादी के पिता की मौत हो गई.

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जब वादी ने आवास खाली करने का कहा तो प्रतिवादी ने भवन खाली नहीं किया. अदालत में प्रतिवादी की ओर से कहा गया कि वादी कंपनी के अस्तित्व में आने से पहले से ही प्रतिवादी पक्ष वहां रह रहा है. सवाई मानसिंह ने यह संपत्ति प्रतिवादी के पिता को दान में देकर मालिक बनाया था. ऐसे दावे को खारिज किया जाए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने प्रतिवादी को भवन खाली करने को कहा है.

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