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डीसीपी कराए पूर्व राज्यपाल पर जमानती वारंट तामील

अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने फर्जी दस्तावेज बनाकर मुआवजे के तौर पर भूमि लेने के मामले में पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल के जमानती वारंट पुन: जारी करते हुए संबंधित डीसीपी से 31 मार्च तक तामील कराने को कहा है.

Additional Chief Metropolitan Magistrate Ser-7,  Jaipur News
डीसीपी कराए पूर्व राज्यपाल पर जमानती वारंट तामील
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Published : Jan 22, 2021, 10:25 PM IST

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने फर्जी दस्तावेज बनाकर मुआवजे के तौर पर भूमि लेने के मामले में पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल के जमानती वारंट पुन: जारी करते हुए संबंधित डीसीपी से 31 मार्च तक तामील कराने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने अन्य आरोपियों के जमानती वारंट भी पुन: जारी किए हैं.

मामले के अनुसार संजय किशोर की ओर से वर्ष 2012 में परिवाद पेश कर कहा गया कि वर्ष 1953 में राज्य सरकार ने करीब 218 एकड़ भूमि सामूहिक कृषि कार्य के लिए किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति को 25 साल के लिए आवंटित की गई थी. वर्ष 1978 में यह अवधि स्वत: समाप्त हो गई. इस समिति के मूल सदस्यों को दरकिनार कर आरोपियों ने भूमि पर कब्जा जमा लिया.

पढ़ें- कारगिल युद्ध में घायल सैनिक के आश्रित को नौकरी नहीं देने पर एक लाख का हर्जाना

वहीं, जेडीए ने करधनी और पृथ्वीराज नगर योजना के लिए इस भूमि में से कुछ भूमि को अवाप्त किया. आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर भूमि पर स्वामित्व बताते हुए मुआवजे के तौर पर 1500 मीटर के भूखंड प्राप्त कर लिए. मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने पूर्व में कमला बेनीवाल सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में प्रसंज्ञान लिया गया था, जिसे आरोपियों की ओर से रिवीजन अर्जी दायर कर चुनौती दी गई थी. जिसे एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने फर्जी दस्तावेज बनाकर मुआवजे के तौर पर भूमि लेने के मामले में पूर्व राज्यपाल कमला बेनीवाल के जमानती वारंट पुन: जारी करते हुए संबंधित डीसीपी से 31 मार्च तक तामील कराने को कहा है. इसके साथ ही अदालत ने अन्य आरोपियों के जमानती वारंट भी पुन: जारी किए हैं.

मामले के अनुसार संजय किशोर की ओर से वर्ष 2012 में परिवाद पेश कर कहा गया कि वर्ष 1953 में राज्य सरकार ने करीब 218 एकड़ भूमि सामूहिक कृषि कार्य के लिए किसान सामूहिक कृषि सहकारी समिति को 25 साल के लिए आवंटित की गई थी. वर्ष 1978 में यह अवधि स्वत: समाप्त हो गई. इस समिति के मूल सदस्यों को दरकिनार कर आरोपियों ने भूमि पर कब्जा जमा लिया.

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वहीं, जेडीए ने करधनी और पृथ्वीराज नगर योजना के लिए इस भूमि में से कुछ भूमि को अवाप्त किया. आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर भूमि पर स्वामित्व बताते हुए मुआवजे के तौर पर 1500 मीटर के भूखंड प्राप्त कर लिए. मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने पूर्व में कमला बेनीवाल सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में प्रसंज्ञान लिया गया था, जिसे आरोपियों की ओर से रिवीजन अर्जी दायर कर चुनौती दी गई थी. जिसे एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था.

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