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SPECIAL : कोरोना संक्रमित हैं ? डर मत पालिये...आप एसिम्टोमेटिक हो सकते हैं, डॉक्टर की इस सलाह पर ध्यान दीजिए - जयपुर डॉक्टर की सलाह

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बीच मरीजों को अब कोरोना के मानसिक डरने भी घेरना शुरू कर दिया है. चिकित्सकों ने दावा किया है कि लोगों में इस बीमारी का डर इतना बढ़ चुका है कि कोविड-19 पॉजिटिव होने पर मरीज अस्पताल की तरफ भाग रहे हैं. जबकि इनमें से अधिकतर वे मरीज हैं जिन्हें कोरोना के सिर्फ मामूली लक्षण हैं.

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कोरोना संक्रमित हैं ? डर मत पालिये
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Published : Apr 23, 2021, 5:04 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमित होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको ऑक्सीजन की जरूरत पड़े या आईसीयू में भर्ती करना पड़े. 90 प्रतिशत मामले एसिम्पटोमेटिक होते हैं. यानी वे घर पर आइसोलेट रहकर और दवाएं लेकर ठीक हो सकते हैं. ऐसे में डरें नहीं. डॉक्टर की सलाह पर ध्यान दें...

पैनिक होने की जरूरत नहीं है, 90 प्रतिशत लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं

जयपुर में कोरोना कहर बरपा रहा है. अस्पताल, बेड, आईसीयू और ऑक्सीजन की हालत किसी छिपी नहीं है. ऐसे में संक्रमित होने पर भी घबराने की, डरने की जरूरत नहीं है. जयपुर में चिकित्सकों ने अपील की है कि सामान्य संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. वे घर में आइसोलेशन में रहें, दवाई लें, जल्द ही वे स्वस्थ हो जाएंगे.

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अस्पतालों को गंभीर रोगियों के लिए रहने दें

ईएसआई अस्पताल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश जैन का कहना है कि कोविड-19 की पहली लहर से ही लोगों में भ्रांतियां हैं, अब दूसरी लहर में भी लोग मानसिक दबाव ले रहे हैं. दूसरी लहर खतरनाक है, यह डर लोगों के मन में बैठ गया है. वे सोचते हैं कि वे संक्रमित हो जाएंगे तो अस्पताल में ही उनका इलाज हो सकता है. जबकि ऐसा नहीं है. 90 प्रतिशत लोग घर पर इलाज से ही ठीक हो रहे हैं. सिर्फ 10 फीसदी गंभीर संक्रमितों के लिए अस्पताल रहने दें.

डॉक्टर की इस सलाह पर ध्यान दें

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इन बातों का खास ध्यान रखें

डॉ जैन ने कहा कि संक्रमित होने के बाद मरीज सोचने लगते हैं कि ठीक होंगे या नहीं, उन्हें इलाज मिलेगा या नहीं, वे कैसे रिकवर कर पाएंगे. ऐसा नहीं सोचें. बस कुछ बातों का ध्यान रखें, दवाएं दें और चिंता न करें.

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90 फीसदी एसिम्पटोमेटिक होते हैं मरीज

पढ़ें- COVID-19 : राजस्थान के प्रमुख शहरों में जानें कितने खाली बचे हैं ऑक्सीजन बेड, ICU और वेंटिलेटर्स

भ्रांतियों पर ध्यान न दें

डॉ जैन का कहना है कि इस बीमारी को लेकर लोगों में काफी भ्रांतियां फैली हैं. यही भ्रांतिया हावी होकर अवसाद बन रही हैं. डॉ जैन ने कहा कि अभी भी इस बीमारी की रिकवरी रेट काफी अच्छी है. यदि मरीज संक्रमण की चपेट में भी आ जाता है तो उसे सबसे पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही अस्पताल में भर्ती होना चाहिए.

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डॉक्टर की सलाह पर ही अस्पताल में एडमिट हों

90 प्रतिशत एसिम्पटोमेटिक केस

जयपुर सीएमएचओ प्रथम डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि मौजूदा समय में जो संक्रमण के मामले देखने को मिल रहे हैं उनमें 90% केस एसिंप्टोमेटिक हैं. यानी व्यक्ति संक्रमित तो है लेकिन उसमें किसी तरह की कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे. इस तरह के मरीज चिकित्सकीय सलाह लें. दवाएं लेकर होम आइसोलेशन में रहें. सतर्कता बरतेंगे तो जल्द ही वे ठीक हो जाएंगे.

ऑक्सीजन लेवल की जांच

डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि जो एसिंप्टोमेटिक मरीज हैं. उन्हें घर पर ही आइसोलेट रहकर हर 2 घंटे के बीच अपना ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहना चाहिए. यदि ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे आता है तभी मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है.

जयपुर. कोरोना संक्रमित होने पर भी जरूरी नहीं कि आपको ऑक्सीजन की जरूरत पड़े या आईसीयू में भर्ती करना पड़े. 90 प्रतिशत मामले एसिम्पटोमेटिक होते हैं. यानी वे घर पर आइसोलेट रहकर और दवाएं लेकर ठीक हो सकते हैं. ऐसे में डरें नहीं. डॉक्टर की सलाह पर ध्यान दें...

पैनिक होने की जरूरत नहीं है, 90 प्रतिशत लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं

जयपुर में कोरोना कहर बरपा रहा है. अस्पताल, बेड, आईसीयू और ऑक्सीजन की हालत किसी छिपी नहीं है. ऐसे में संक्रमित होने पर भी घबराने की, डरने की जरूरत नहीं है. जयपुर में चिकित्सकों ने अपील की है कि सामान्य संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. वे घर में आइसोलेशन में रहें, दवाई लें, जल्द ही वे स्वस्थ हो जाएंगे.

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अस्पतालों को गंभीर रोगियों के लिए रहने दें

ईएसआई अस्पताल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश जैन का कहना है कि कोविड-19 की पहली लहर से ही लोगों में भ्रांतियां हैं, अब दूसरी लहर में भी लोग मानसिक दबाव ले रहे हैं. दूसरी लहर खतरनाक है, यह डर लोगों के मन में बैठ गया है. वे सोचते हैं कि वे संक्रमित हो जाएंगे तो अस्पताल में ही उनका इलाज हो सकता है. जबकि ऐसा नहीं है. 90 प्रतिशत लोग घर पर इलाज से ही ठीक हो रहे हैं. सिर्फ 10 फीसदी गंभीर संक्रमितों के लिए अस्पताल रहने दें.

डॉक्टर की इस सलाह पर ध्यान दें

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इन बातों का खास ध्यान रखें

डॉ जैन ने कहा कि संक्रमित होने के बाद मरीज सोचने लगते हैं कि ठीक होंगे या नहीं, उन्हें इलाज मिलेगा या नहीं, वे कैसे रिकवर कर पाएंगे. ऐसा नहीं सोचें. बस कुछ बातों का ध्यान रखें, दवाएं दें और चिंता न करें.

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90 फीसदी एसिम्पटोमेटिक होते हैं मरीज

पढ़ें- COVID-19 : राजस्थान के प्रमुख शहरों में जानें कितने खाली बचे हैं ऑक्सीजन बेड, ICU और वेंटिलेटर्स

भ्रांतियों पर ध्यान न दें

डॉ जैन का कहना है कि इस बीमारी को लेकर लोगों में काफी भ्रांतियां फैली हैं. यही भ्रांतिया हावी होकर अवसाद बन रही हैं. डॉ जैन ने कहा कि अभी भी इस बीमारी की रिकवरी रेट काफी अच्छी है. यदि मरीज संक्रमण की चपेट में भी आ जाता है तो उसे सबसे पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही अस्पताल में भर्ती होना चाहिए.

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डॉक्टर की सलाह पर ही अस्पताल में एडमिट हों

90 प्रतिशत एसिम्पटोमेटिक केस

जयपुर सीएमएचओ प्रथम डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि मौजूदा समय में जो संक्रमण के मामले देखने को मिल रहे हैं उनमें 90% केस एसिंप्टोमेटिक हैं. यानी व्यक्ति संक्रमित तो है लेकिन उसमें किसी तरह की कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे. इस तरह के मरीज चिकित्सकीय सलाह लें. दवाएं लेकर होम आइसोलेशन में रहें. सतर्कता बरतेंगे तो जल्द ही वे ठीक हो जाएंगे.

ऑक्सीजन लेवल की जांच

डॉक्टर नरोत्तम शर्मा का कहना है कि जो एसिंप्टोमेटिक मरीज हैं. उन्हें घर पर ही आइसोलेट रहकर हर 2 घंटे के बीच अपना ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहना चाहिए. यदि ऑक्सीजन लेवल 90 से नीचे आता है तभी मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है.

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