जयपुर. शहर की राह आसान हो और लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए सरकार ने राजधानी में सोडाला, झोटवाड़ा एलिवेटेड और 4 आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) के प्रोजेक्ट बनाने शुरू किए. लेकिन कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन से ये प्रोजेक्ट फिलहाल अपनी वर्क डेडलाइन क्रॉस कर चुके हैं. नवनियुक्त जेडीसी ने इन प्रोजेक्ट को गति देने के निर्देश तो दिए, लेकिन जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण) के पास स्किल्ड लेबर की कमी है.
देशव्यापी लॉकडाउन और कोरोना ने राजधानी के विकास कार्यों पर ब्रेक लगा दिया. करोड़ों रुपए की योजनाएं फिलहाल ठप है और मजदूर भी शहर से पलायन कर चुके हैं. ऐसे में लॉकडाउन खुलने के बाद भी शहर के बड़े प्रोजेक्ट्स को शुरू करना जेडीए के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, जिन पर पार पाने का प्रयास किया जा रहा है. इस वैश्विक महामारी के बीच शहर में निर्माणाधीन सोडाला एलिवेटेड, झोटवाड़ा एलिवेटेड और चार आरओबी का काम अधर में लटका हुआ है.
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सोडाला एलिवेटेड
साल 2016 में सोडाला के ट्रैफिक को डायवर्ट करने के लिए सोडाला से अंबेडकर सर्किल तक 1.8 किलोमीटर और अंबेडकर सर्किल से सोडाला तक 2.8 किलोमीटर एलिवेटेड रोड बनाने का काम शुरू किया गया था. 250 करोड़ की लागत वाले इस प्रोजेक्ट की डेडलाइन अक्टूबर 2018 थी, लेकिन डेडलाइन के करीब 2 साल बाद भी काम अधूरा ही है. वहीं, लॉकडाउन के बाद काम शुरू तो हुआ, लेकिन स्किल्ड लेबर की कमी से गर्डर कास्टिंग और लॉन्चिंग जैसे कार्य नहीं हो पा रहे हैं.
झोटवाड़ा एलिवेटेड
2018 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने झोटवाड़ा एलिवेटेड प्रोजेक्ट की नींव रखी और दिसंबर 2020 डेडलाइन निर्धारित की. 110 करोड़ की लागत से बनने वाला एलिवेटेड रोड 2.2 किलोमीटर लंबा बनना है. लेकिन अभी यहां दुकानों को शिफ्ट करने और जमीन उपलब्ध नहीं होने से भी काम रुका हुआ है.
4 आरओबी प्रोजेक्ट पर कोरोना का मार
इनके अलावा शहर में 4 अलग-अलग जगह आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) प्रोजेक्ट भी चल रहे हैं. जिनका काम भी कोरोना की वजह से लगभग ठप पड़ गया है.
स्किल्ड लेबर की है कमीः एनसी माथुर
इस संबंध में जेडीए के अभियांत्रिकी निदेशक एनसी माथुर ने बताया कि कोरोना काल में करीब 2 महीने एलिवेटेड और आरओबी का काम बंद रहा. हालांकि अब सोडाला और झोटवाड़ा एलिवेटेड का काम शुरू कर दिया गया है. इसी तरह जाहोता, सीतापुरा, बस्सी और दांतली आरओबी (रेलवे ओवरब्रिज) का काम चल रहा है.
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माथुर ने कहा कि अभी उपलब्ध लेबर की पूर्ण क्षमता को इस्तेमाल करते हुए काम किया जा रहा है. लेकिन स्किल्ड लेबर की कमी के कारण गर्डर कास्टिंग, लॉन्चिंग और सरिया बांधना जैसे काम नहीं हो पा रहे हैं. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने सभी विकास कार्यों में 6 महीने का एक्सटेंशन स्वीकृत किया है.
सरकार किसी आदमी को उठाकर काम पर नहीं लगा सकतीः धारीवाल
वहीं, यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि लेबर अपने आप ही आएगी. कोई भी सरकार किसी आदमी को उठाकर काम पर नहीं लगा सकती है. उन्होंने बताया कि सरकार ने कौन व्यक्ति किस कार्य में स्किल्ड है और किस प्रोजेक्ट में उसका इस्तेमाल किया जा सकता है इसका रजिस्ट्रेशन कर रखा है. धारीवाल का कहना है कि 3 महीने के लॉकडाउन पीरियड के कारण सारा काम छिन्न-भिन्न हो गया है. अब धीरे-धीरे सभी काम शुरू हो रहे हैं.
बहरहाल, राजधानी में करोड़ों की ये प्रोजेक्ट फिलहाल कोरोना की भेंट चढ़े हुए हैं. इस महामारी में मजदूर वर्ग के पलायन की वजह से महज 30 से 40 फीसदी मजदूर ही काम कर रहे हैं. ऐसे में शहर वासियों को अभी राह सुगम होने का इंतजार ही करना पड़ेगा.