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स्पेशल: सीपी जोशी की राह पर गोविंद सिंह डोटासरा, निकाय और निगम चुनाव में लगाए जाएंगे कोऑर्डिनेटर

राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट के निकाय और निगम चुनाव पर रोक लगाने के इनकार के बाद अब सरकार को यह चुनाव 31 अक्टूबर तक कराने होंगे. वहीं कांग्रेस में कमजोर संगठन होने के चलते अब प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सीपी जोशी की राह पर चलने की तैयारी में है. अब कांग्रेस में निकाय और निगम चुनाव की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्रियों के सहयोग से कोऑर्डिनेटर संभालेगी.

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निकाय और निगम चुनाव में सीपी जोशी की राह पर गोविंद सिंह डोटासरा
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Published : Oct 10, 2020, 5:11 AM IST

जयपुर. राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट के निकाय और निगम चुनाव पर रोक लगाने के इनकार के बाद अब सरकार को यह चुनाव 31 अक्टूबर तक कराने होंगे. निकाय हो या निगम चुनाव इनमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी अगर किसी की होती है, तो वह है पार्टी का संगठन, लेकिन कांग्रेस पार्टी में इस समय संगठन के नाम पर केवल गोविंद डोटासरा है और चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर सिंबल बांटने और चुनाव प्रबंधन के लिए संगठन की आवश्यकता होती है. ऐसे में अब गोविंद डोटासरा भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सीपी जोशी की राह पर चलने की तैयारी कर रहे हैं.

निकाय और निगम चुनाव में सीपी जोशी की राह पर गोविंद सिंह डोटासरा

राजस्थान में अब यह बिलकुल साफ हो गया है कि जब तक प्रभारी महासचिव अजय माकन प्रदेश के सातों संभागों का फीडबैक कार्यक्रम नहीं कर लेते हैं, राजस्थान में कार्यकारिणी नहीं घोषित की जाएगी. ऐसे में निगम और निकाय चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीपी जोशी की तरह चुनाव के लिए कोऑर्डिनेटर बनाने जा रहे हैं. यह कोऑर्डिनेटर जिला स्तर और विधानसभा स्तर पर बनेंगे, जो पूरे चुनाव का प्रबंधन देखेंगे. हालांकि पहले कहा जा रहा था कि इन चुनावों से पहले एक छोटी कार्यकारिणी गोविंद सिंह डोटासरा बना देंगे, लेकिन अब कोऑर्डिनेटर से ही चुनाव करवाए जाएंगे.

यही नहीं इन चुनाव में जिलों के प्रभारी मंत्री भी अहम भूमिका में रहेंगे. यह जिला प्रभारी और कोऑर्डिनेटर ही आपस में मिलकर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव जिताने के लिए रणनीति जिलों में बनाते हुए दिखाई देंगे. दरअसल इससे पहले जब सीपी जोशी भी प्रदेश अध्यक्ष बने थे तो उन्होंने भंग हुई कार्यकारिणी से काम लेने की जगह कोऑर्डिनेटर बनाए थे. गौरतलब है कि प्रदेश में अभी 11 जिलों ओर दो संभागों यानी भरतपुर अजमेर काही फीडबैक कार्यक्रम पूरा हुआ है.

यह भी पढ़ें- Special: इस बार जयपुरवासी नहीं देख सकेंगे बंगाली संस्कृति की झलक, दुर्गा पूजा पर नहीं सजेंगे पंडाल

ऐसे में दो गुटों से जूझ रही कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती है कि बिना बातचीत के संगठन बनाया जाए. अब जब तक पूरे प्रदेश में फीडबैक कार्यक्रम पूरा नहीं हो जाता है. तब तक संगठन नहीं बनेगा लेकिन चुनाव पर कोई प्रभाव ना पड़े, इसके लिए कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए जाएंगे. जिसे लेकर एक्सरसाइज भी लगभग पूरी हो चुकी है.

जयपुर. राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट के निकाय और निगम चुनाव पर रोक लगाने के इनकार के बाद अब सरकार को यह चुनाव 31 अक्टूबर तक कराने होंगे. निकाय हो या निगम चुनाव इनमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी अगर किसी की होती है, तो वह है पार्टी का संगठन, लेकिन कांग्रेस पार्टी में इस समय संगठन के नाम पर केवल गोविंद डोटासरा है और चुनाव में प्रत्याशी चयन से लेकर सिंबल बांटने और चुनाव प्रबंधन के लिए संगठन की आवश्यकता होती है. ऐसे में अब गोविंद डोटासरा भी पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे सीपी जोशी की राह पर चलने की तैयारी कर रहे हैं.

निकाय और निगम चुनाव में सीपी जोशी की राह पर गोविंद सिंह डोटासरा

राजस्थान में अब यह बिलकुल साफ हो गया है कि जब तक प्रभारी महासचिव अजय माकन प्रदेश के सातों संभागों का फीडबैक कार्यक्रम नहीं कर लेते हैं, राजस्थान में कार्यकारिणी नहीं घोषित की जाएगी. ऐसे में निगम और निकाय चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा सीपी जोशी की तरह चुनाव के लिए कोऑर्डिनेटर बनाने जा रहे हैं. यह कोऑर्डिनेटर जिला स्तर और विधानसभा स्तर पर बनेंगे, जो पूरे चुनाव का प्रबंधन देखेंगे. हालांकि पहले कहा जा रहा था कि इन चुनावों से पहले एक छोटी कार्यकारिणी गोविंद सिंह डोटासरा बना देंगे, लेकिन अब कोऑर्डिनेटर से ही चुनाव करवाए जाएंगे.

यही नहीं इन चुनाव में जिलों के प्रभारी मंत्री भी अहम भूमिका में रहेंगे. यह जिला प्रभारी और कोऑर्डिनेटर ही आपस में मिलकर प्रत्याशी चयन से लेकर चुनाव जिताने के लिए रणनीति जिलों में बनाते हुए दिखाई देंगे. दरअसल इससे पहले जब सीपी जोशी भी प्रदेश अध्यक्ष बने थे तो उन्होंने भंग हुई कार्यकारिणी से काम लेने की जगह कोऑर्डिनेटर बनाए थे. गौरतलब है कि प्रदेश में अभी 11 जिलों ओर दो संभागों यानी भरतपुर अजमेर काही फीडबैक कार्यक्रम पूरा हुआ है.

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ऐसे में दो गुटों से जूझ रही कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती है कि बिना बातचीत के संगठन बनाया जाए. अब जब तक पूरे प्रदेश में फीडबैक कार्यक्रम पूरा नहीं हो जाता है. तब तक संगठन नहीं बनेगा लेकिन चुनाव पर कोई प्रभाव ना पड़े, इसके लिए कोऑर्डिनेटर नियुक्त किए जाएंगे. जिसे लेकर एक्सरसाइज भी लगभग पूरी हो चुकी है.

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