जयपुर. राजस्थान भाजपा में चल रहे सियासी घमासान के बीच अब संगठन ने सुस्त पड़ी जिलों की कोऑर्डिनेशन कमेटियों की सक्रियता पर फोकस करना शुरू कर दिया है. खास तौर पर हाल ही में हुए प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह के प्रवास के बाद प्रदेश संगठन ने इस दिशा में काम शुरू किया है. अरुण सिंह ने जयपुर में लंबे समय बाद कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक ली थी, जिसमें कमेटी के कामकाज पर विस्तार से चर्चा हुई.
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सभी जिलों में बनी है कमेटी लेकिन जयपुर में ही लंबे समय बाद हुई बैठक
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार भाजपा पार्टी के प्रोटोकॉल में इस प्रकार की समन्वय कमेटियां बनाया जाना शामिल है और जयपुर सहित सभी जिलों में पार्टी की ओर से यह कमेटियां बनी हुई भी है. जिसमें उस जिला इकाई के प्रमुख जनप्रतिनिधि और पदाधिकारी शामिल होते हैं. हालांकि, राजधानी जयपुर में जिला स्तर की कोऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक लंबे अरसे बाद प्रदेश प्रभारी की मौजूदगी में देखने को मिली, लेकिन उसके पहले जयपुर शहर की बैठक में ही भाजपा के सभी विधायक और पूर्व विधायक एक साथ नहीं जुटते थे. मतलब साफ है कि प्रदेश प्रभारी के निर्देश के बाद ही अब सभी जिलों में यह समितियां सक्रिय रूप से काम करती दिखेगी.
यह है समन्वय समिति का काम
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो हर जिले की समन्वय समिति में क्षेत्र के संबंधित जनप्रतिनिधि और प्रमुख पदाधिकारी शामिल रहते हैं और उस क्षेत्र के पार्टी और संगठन से जुड़े प्रमुख निर्णय से पहले इस समन्वय समिति में उस पर चर्चा की जाती है, जिससे सभी की राय संबंधित मामले में सामने आ जाए. हालांकि, समिति के पास किसी भी संबंध में निर्णय करने का अधिकार नहीं होता, लेकिन इस कमेटी के माध्यम से जिस विषय को चर्चा में लाया जाता है उस पर क्षेत्र के संबंधित नेताओं के सुझाव सामने आ जाते हैं. इसके बाद पार्टी नेतृत्व उन सुझाव के आधार पर ही संबंधित मसले पर अंतिम निर्णय लेता है.
सियासी तूफान को थामने में काम आएगी समन्वय समिति
दरअसल, पिछले कुछ महीने से प्रदेश भाजपा में बयानों से सियासी तूफान आया हुआ है. राजस्थान में नेताओं के अलग-अलग गुट भी नजर आने लगे हैं. इसी खेमेबाजी और अंतरकलह को रोकने में जिला और प्रदेश की यह समन्वय समितियां काफी महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकती है क्योंकि किसी विषय पर यदि विवाद है तो पक्ष और विपक्ष के तमाम उस क्षेत्र के नेता इस कमेटी के माध्यम से एक जाजम पर बैठते हैं. यही कारण है कि जयपुर आने पर प्रदेश प्रभारी ने इस प्रकार की समन्वय समितियों पर अधिक फोकस किया.