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कोरोना महामारी के दौरान पैक्स कर्मियों को भूली सरकार, सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन ने की ये मांग

राजस्थान सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष सूरजभान सिंह आमेरा ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र लिखकर पैक्स कर्मियों को कोरोना वॉरियर्स का दर्जा देने की मांग की है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान पैक्स कर्मियों को सरकार भूल गई है.

CM Ashok Gehlot,  Rajasthan Cooperative Credit Societies Employees Union
सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन ने की ये मांग
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Published : May 11, 2021, 3:31 PM IST

जयपुर. प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप के बीच लगातार अपनी सेवाएं दे रहे सरकारी समितियों से जुड़े पैक्स कर्मियों को सरकार ने भुला दिया है. यही कारण है कि विपदा के समय लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे कार्मिकों को भी फ्रंटलाइन वर्कर यानी कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिए जाने की मांग बुलंद हो गई है. मांग को लेकर सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष सूरजभान सिंह आमेरा ने मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री और सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भी लिखा है.

सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन ने की ये मांग

पढ़ें- पायलट समर्थकों ने बनाया @Pilot With People अकाउंट, कोविड मरीजों की कर रहे मदद

आमेरा के अनुसार कोरोना महामारी के बीच जब जीवन संकट में है उस समय प्रदेश के 7 हजार सहकारी पैक्स में कार्यरत कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कई कर्मचारियों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है तो कई कर्मचारी अभी भी कोरोना पॉजिटिव हैं. लेकिन, प्रदेश सरकार और विभाग ने अब तक इन्हें फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए कोरोना वॉरियर्स का दर्जा नहीं दिया है. साथ ही इन्हें कोई सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है.

यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सहकारी टैक्स कर्मियों ने कोरोना के पहले लहर के दौरान भी गोन मंडियों, किसान उपज, खरीद केंद्र, घर-घर राशन वितरण और सतत फसली ऋण वितरण वसूली आदि सेवाओं में अपना योगदान दिया था. इसी तरह इस संकट में भी बैंकर्स की तरह इनका काम लगातार जारी है और वही राज्य सरकार ने भी अपनी गाइडलाइन में इन्हें अनुमत गतिविधियों में शामिल किया है.

आमेरा ने सरकार से की ये मांग...

  • राज्य के सहकारी पैक्सकर्मियों को जिन्हें अभी कोई चिकित्सा सुविधा लागू नहीं है उन्हें भी राज्य सरकार की महत्वपूर्ण कल्याणकारी RGHS कैश लेस योजना की पात्रता में शामिल कर राज्य कर्मियों की तरह इस चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया जाए.
  • कोविड संक्रमण की विनाशकारी स्थिति में पैक्स माध्यम से किसानों को फसली ऋण वितरण व्यवस्था में बायोमैट्रिक सत्यापन जिससे संक्रमण बढ़ रहा है पर रोक लगाकर कोई अन्य सुरक्षित विकल्प लागू किया जाए.
  • राज्य की सहकारी साख व्यवस्था के मूल आधार पैक्सकर्मियों को भी राशन, डीलर इत्यादि की तरह फ्रंटलाइन वर्कर कोरोना वॉरियर्स मानते हुए कोविड संक्रमण से मृत्यु हो जाने पर उनके परिवार को 50 लाख की आर्थिक अनुग्रह राशि मुआवजे के तौर पर दिया जाए.
  • राज्य की सहकारी पैक्स-लैम्प्स में कार्यरत कर्मचारियों को राशन डीलर, गैस संचालकों, मेडिकल स्टाफ, बैंक बीमा कार्मिकों की तरह वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देकर पहले कोविड वैक्सीन लगवाई जाए.

आमेरा के अनुसार सहकारी साख व्यवस्था के प्रमुख आधार ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारी हैं, जो गांव-गांव और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करके इन विकट परिस्थितियों में भी अपना योगदान दे रहे हैं. ऐसे में सरकार उन्हें आर्थिक, सामाजिक और जीवन की सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करें, जो प्रदेश सरकार की भी जिम्मेदारी है.

जयपुर. प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के प्रकोप के बीच लगातार अपनी सेवाएं दे रहे सरकारी समितियों से जुड़े पैक्स कर्मियों को सरकार ने भुला दिया है. यही कारण है कि विपदा के समय लगातार ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे कार्मिकों को भी फ्रंटलाइन वर्कर यानी कोरोना वॉरियर्स का दर्जा दिए जाने की मांग बुलंद हो गई है. मांग को लेकर सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन के अध्यक्ष सूरजभान सिंह आमेरा ने मुख्यमंत्री, सहकारिता मंत्री और सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भी लिखा है.

सहकारी साख समितियां एंप्लाइज यूनियन ने की ये मांग

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आमेरा के अनुसार कोरोना महामारी के बीच जब जीवन संकट में है उस समय प्रदेश के 7 हजार सहकारी पैक्स में कार्यरत कर्मचारी भी इससे अछूते नहीं हैं. उन्होंने कहा कि कई कर्मचारियों की कोरोना के कारण मौत हो चुकी है तो कई कर्मचारी अभी भी कोरोना पॉजिटिव हैं. लेकिन, प्रदेश सरकार और विभाग ने अब तक इन्हें फ्रंटलाइन वर्कर मानते हुए कोरोना वॉरियर्स का दर्जा नहीं दिया है. साथ ही इन्हें कोई सुविधाएं भी नहीं दी जा रही है.

यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सहकारी टैक्स कर्मियों ने कोरोना के पहले लहर के दौरान भी गोन मंडियों, किसान उपज, खरीद केंद्र, घर-घर राशन वितरण और सतत फसली ऋण वितरण वसूली आदि सेवाओं में अपना योगदान दिया था. इसी तरह इस संकट में भी बैंकर्स की तरह इनका काम लगातार जारी है और वही राज्य सरकार ने भी अपनी गाइडलाइन में इन्हें अनुमत गतिविधियों में शामिल किया है.

आमेरा ने सरकार से की ये मांग...

  • राज्य के सहकारी पैक्सकर्मियों को जिन्हें अभी कोई चिकित्सा सुविधा लागू नहीं है उन्हें भी राज्य सरकार की महत्वपूर्ण कल्याणकारी RGHS कैश लेस योजना की पात्रता में शामिल कर राज्य कर्मियों की तरह इस चिकित्सा सुविधा का लाभ दिया जाए.
  • कोविड संक्रमण की विनाशकारी स्थिति में पैक्स माध्यम से किसानों को फसली ऋण वितरण व्यवस्था में बायोमैट्रिक सत्यापन जिससे संक्रमण बढ़ रहा है पर रोक लगाकर कोई अन्य सुरक्षित विकल्प लागू किया जाए.
  • राज्य की सहकारी साख व्यवस्था के मूल आधार पैक्सकर्मियों को भी राशन, डीलर इत्यादि की तरह फ्रंटलाइन वर्कर कोरोना वॉरियर्स मानते हुए कोविड संक्रमण से मृत्यु हो जाने पर उनके परिवार को 50 लाख की आर्थिक अनुग्रह राशि मुआवजे के तौर पर दिया जाए.
  • राज्य की सहकारी पैक्स-लैम्प्स में कार्यरत कर्मचारियों को राशन डीलर, गैस संचालकों, मेडिकल स्टाफ, बैंक बीमा कार्मिकों की तरह वैक्सीनेशन में प्राथमिकता देकर पहले कोविड वैक्सीन लगवाई जाए.

आमेरा के अनुसार सहकारी साख व्यवस्था के प्रमुख आधार ग्राम सेवा सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारी हैं, जो गांव-गांव और ग्रामीण क्षेत्रों में काम करके इन विकट परिस्थितियों में भी अपना योगदान दे रहे हैं. ऐसे में सरकार उन्हें आर्थिक, सामाजिक और जीवन की सुरक्षा और संरक्षण प्रदान करें, जो प्रदेश सरकार की भी जिम्मेदारी है.

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